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मुश्किल:इस साल आलू किसानों को नुकसान, खरीदना-बेचना नहीं कर पाएंगे

राज्य सरकार की ओर से किसानों से सीधे आलू खरीदने के फैसले का लाभ इस बार कम ही काश्तकार उठा पाएंगे। कारण सरकार का यह एक अच्छा फैसला देर से उठाया गया कदम साबित हो रहा है। अगर यही निर्णय मार्च से पूर्व...

मुश्किल:इस साल आलू किसानों को नुकसान, खरीदना-बेचना नहीं कर पाएंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 18 Apr 2017 06:57 AM
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राज्य सरकार की ओर से किसानों से सीधे आलू खरीदने के फैसले का लाभ इस बार कम ही काश्तकार उठा पाएंगे। कारण सरकार का यह एक अच्छा फैसला देर से उठाया गया कदम साबित हो रहा है। अगर यही निर्णय मार्च से पूर्व ले लिया गया होता तो आलू उत्पादक किसान इसका भरपूर लाभ उठा पाते। ज्यादातर किसानों ने अपने आलू कोल्ड स्टोरों में रख दिए हैं। जो बचा है वह मानक से छोटा या बड़ा और दागी है।

जानकार बताते हैं कि जिसने कोल्ड स्टोरों में अपना आलू रख दिया वह अभी निकालेगा नहीं क्योंकि उसे प्रति कुंतल दो से सवा दो सौ रुपये कोल्ड स्टोर को किराया देना पड़ेगा। वहीं बोरे की कीमत 40 रुपये का भी भुगतान करना पड़ेगा। इसके बाद क्रय केन्द्र तक ले जाने के लिए भाड़ा अलग से देना होगा। ऐसे में क्रय केन्द्रों पर आलू बेचना किसानों के लिए फायदे का सौदा नहीं है।

उधर, बाजारों में बिना ग्रेडिंग के 400 से 425 रुपये प्रति कुंतल किसानों का आलू बिक जा रहा है। आलु उत्पादक बाराबंकी के रामशरण वर्मा कहते हैं, किसानों से आलू खरीदने का सरकार का निर्णय बहुत ही प्रशंसनीय है लेकिन थोड़ी देर हो गई है। अगर यही कदम फरवरी या मार्च के शुरू में उठा लिया जाता तो सभी को इसका भारी लाभ मिलता लेकिन यह सरकार ही मार्च के मध्य में अस्तित्व में आई।

चार एजेन्सियां अधिकृत हैं आलू क्रय के लिए: प्रदेश में पीसीएफ, यूपी एग्रो, उत्तर प्रदेश औद्यानिक विपणन संघ (हॉफेड) तथा उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ के कुल 41 क्रय केन्द्रों पर आलु खरीदा जा रहा है। ताजा आंकड़े के अनुसार सोमवार दोपहर तक 256 कुंतल आलू ही खरीदा जा सका है। फिरोजाबाद, आगरा, फरुखाबाद, बुलन्दशहर, कन्नौज, अलीगढ़, कानपुर, बदायूं, बरेली, इलाहाबाद, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, फैजाबाद, बाराबंकी, सुलतानपुर तथा गोरखपुर

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