एएमयू की लैब में की परख, लोकल सीएफएल से बढ़ सकता है बिजली का बिल
सस्ते के चक्कर में लोकल सीएफएल खरीदना आपके लिए नुकसान का सौदा साबित हो सकता है। इससे बिजली का बिल बढ़ना तय है। एएमयू के इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन लैब की परख में सामने आया है कि बाजार में बिकने वाली लोकल...
सस्ते के चक्कर में लोकल सीएफएल खरीदना आपके लिए नुकसान का सौदा साबित हो सकता है। इससे बिजली का बिल बढ़ना तय है। एएमयू के इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन लैब की परख में सामने आया है कि बाजार में बिकने वाली लोकल सीएफएल जितने वॉट की होती है, उससे ज्यादा बिजली की खपत करती है।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रो. जमील असगर ने इस लैब में स्काडा मशीन की मदद से यह परख की थी। यहां लोकल और ब्रांडेड सीएफएल को परखा गया था कि कंपनियां जितना दावा करती हैं, क्या उतनी ही बिजली खर्च होती है। ब्रांडेड कंपनियों का दावा तो टेस्ट में सही पाया गया। लेकिन तमाम लोकल सीएफएल पर जितना वॉट लिखा था, उससे ज्यादा बिजली खपत पाई गई। खराब पॉवर फैक्टर की वजह से उनमे ये दिक्कत थी। पावर फैक्टर 0.9 होना चाहिए, जोकि लोकल सीएलएल में कम होता है।
सीएफएल के जल्द खराब होने के कारण की तलाश
इसी लैब में एक प्रयोग चल रहा है, जिसमें यह पता किया जा रहा है कि बल्ब की तुलना में सीएफएल जल्दी खराब क्यों हो जाती है। ताकि उसे कंपनियों को बताया जा सके। प्राथमिक प्रयोगों में सामने आया है कि सीएफएल में सर्किट गड़बड़ी के कारण ये जल्दी खराब होती हैं। खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां बिजली का फ्लक्चुएशन ज्यादा रहता है।