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सुकमा शहीद: छुट्टी पर आने वाला था घर,लेकिन गांव आया शव

सुकमा में शहीद हुए किशन पाल के परिजन शोक में डूबे हुए हैं। परिजनों को इस बात का भी गर्भ है वह देश की सेवा के लिए शहीद हुआ है। शहीद के भाई ने नक्सलियों के खिलाफ कडे़ कमद उठाए जाने की मांग की है। थाना...

सुकमा शहीद: छुट्टी पर आने वाला था घर,लेकिन गांव आया शव
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 25 Apr 2017 04:38 PM
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सुकमा में शहीद हुए किशन पाल के परिजन शोक में डूबे हुए हैं। परिजनों को इस बात का भी गर्भ है वह देश की सेवा के लिए शहीद हुआ है। शहीद के भाई ने नक्सलियों के खिलाफ कडे़ कमद उठाए जाने की मांग की है। थाना जैथरा क्षेत्र के नगला डांडी निवासी के भाई देवेंद्र ने बताया कि सोमवार की देररात्रि को पुलिस के माध्यम से सूचना मिली कि भाई नक्सली हमलें में शहीद हो गया है।

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पहली बार में तो इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था जब पूरा घटनाक्रम सुना तो पैरों तले जमीन खिसक गई। शहीद किशन पाल के 85 वर्षीय पिता रनवीर सिंह को तो रात्रि में इस बात की सूचना भी नहीं दी। भोर होने पर जब गांव तथा आसपास के लोग दरवाजे पर एकत्रित होने लगे तो पिता ने भीड का कारण पूछा। जैसे ही बेटे के शहीद होने की सूचना मिली तो वह रोने लगे।

परिवार के लोगों के चुप कराने पर भी वह शांत नहीं हो रहे थे। पांच भाइयों में किशनपाल दूसरे नंबर का बेटा था। फोन पर पिता से अक्सर हाल लेता था। मां का निधन होने के बाद पिता किशनपाल कुछ अधिक ही ध्यान रखता था। मंगलवार को भाई देवेंद्र सिंह ने बताया कि नवंबर 2016 में छुट्टी पर आए थे। एक सप्ताह पूर्व फोन पर हुई वार्ता में बताया था कि 18 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच गांव में छुट्टी लेकर आने वाले थे।

दो दिन पहले फोन पर जानकारी दी कि नक्सलियों की गतिविधिया बढ़ गई है ऐसे छुट्टी रद्द हो गई। अब छुट्टी मिलने के बाद घर आएंगे। जिस दिन घर आने वाले थे इसी दिन शहीद हो गए। अब उनका पार्थिक शरीर 25 अप्रैल को घर पहुंचेगा। 

नक्सलियों का हो सफाया

भाई देवेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मांग की है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया है, लेकिन सरकार कुछ ऐसा करें जिससे देश के अन्य सैनिक शहीद न हो सके। इन नक्सलियों का सफाया किया जाए। जो देश के हित की बात नहीं करता है वह देश में कैसे रह सकता है। 

किशनपाल के नहीं है कोई संतान

किशनपाल सिंह पांच भाई तथा दो बहनें है। सभी शादीशुदा है। किशनपाल सिंह 1992 में रामपुर जिले में भर्ती हुआ था। उसकी शादी 1989 में सरोज देवी निवासी नगला गंगी थाना नयागांव के साथ हुई थी। किशन पाल के कोई संतान नहीं थी। जिस समय किशनपाल शहीद हुआ है उस समय गांव में उनकी पत्नी नहीं थी। सरोज इस समय अपने भाई पास दिल्ली में है। ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक सरोज का पति के शहीद होने की भी जानकारी नहीं दी गई है। वह शाम तक गांव पहुंच पाएगी।

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