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इंडियन एमआईटी से किसी तरह कम नहीं आईआईटी कानपुरः राव

आईआईटी कानपुर के 49वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को भारत रत्न प्रो.सीएनआर राव को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा गया तो आईआईटी का मुख्य आडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस अवसर पर...

इंडियन एमआईटी से किसी तरह कम नहीं आईआईटी कानपुरः राव
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Jun 2016 09:20 PM
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आईआईटी कानपुर के 49वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को भारत रत्न प्रो.सीएनआर राव को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजा गया तो आईआईटी का मुख्य आडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस अवसर पर उन्होंने कहा  कि आईआईटी कानपुर देश का पहला एमआईटी (दुनिया की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी)बन सकता है। यह पहली इंडियन एमआईटी हो सकती है। इसमे सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। देश में एमआईटी नहीं बन पाने के पीछे इच्छा शक्ति की कमी रही है।

दीक्षांत समारोह में आए छात्र-छात्राओं से लेकर प्रोफेसर और मुख्य अतिथि तक ने आईआईटी कानपुर के सेना राव यानी प्रो. सीएनआर राव का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने मंच पर आकर सभी को धन्यवाद देते हुए आईआईटी के निदेशक इन्द्रनील मन्ना के हाथों उपाधि ग्रहण की। 

इस मौके पर प्रो. सीएनआर राव ( चिंतामणि नागेश रामचंद्रन राव) ने कहा कि 29 वर्ष की उम्र में वह 1963 में बतौर प्रोफेसर आईआईटी कानपुर आए थे। वह केमिस्ट्री विभाग में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे। उस दौरान कैम्पस और हॉस्टल नहीं थे। टाइप थ्री के आवास में पत्नी और छोटी बेटी के साथ आए थे। उस वक्त समोसा रोड पर बिकता था, अब आईआईटी कानपुर में बहुत कुछ है। इसीलिए यहां पर रहकर काफी अच्छा लगा। 

उन्होंने कहा कि वह कई देशों की यूनिवर्सिटी में गए और वहां पढ़ाया लेकिन आईआईटी कानपुर जैसे छात्र कहीं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर का केमिस्ट्री विभाग दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है।  माडर्न केमिस्ट्री की शुरुआत आईआईटी कानपुर से हुई है। देश में कंप्यूटर साइंस और मैटेरियल साइंस भी आईआईटी कानपुर से ही शुरू हुआ है। उस वक्त बैलगाड़ी से कंप्यूटर आया था। उन्होंने रहस्योद्घाटन किया कि कानपुर कैंपस में वह स्टूडेंट्स और साथियों के बीच सेना राव के नाम से पॉपुलर रहे हैं।

सुविधाओं की कमी से संस्थान पिछड़े 
प्रो. राव ने कहा कि भारत में सुविधाओं की कमी से तकनीकी संस्थान पिछड़ रहे हैं। भारत में कई विश्वस्तरीय संस्थान हैं जिस पर भी थोड़ा हाथ लगाया जाएगा वह विश्वस्तरीय बन सकता है। अमेरिका और साउथ कोरिया में तकनीकी संस्थानों की बढ़ने की वजह इंडस्ट्री कनेक्शन और योगदान है। यही भारत में भी होना चाहिए।  

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