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होली की मस्ती में डूबा समूचा जन्मस्थान

नंदगांव-बरसाना के बाद शनिवार को रंगभरनी एकादशी पर योगीराज श्रीकृष्ण की जन्मस्थली अबीर-गुलाल से सराबोर हो उठी। अथाह मानव समुद्र अबीर-गुलाल से सराबोर हो गया। रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने हर किसी...

होली की मस्ती में डूबा समूचा जन्मस्थान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 19 Mar 2016 10:44 PM
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नंदगांव-बरसाना के बाद शनिवार को रंगभरनी एकादशी पर योगीराज श्रीकृष्ण की जन्मस्थली अबीर-गुलाल से सराबोर हो उठी। अथाह मानव समुद्र अबीर-गुलाल से सराबोर हो गया। रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने हर किसी को झूमने पर मजबूर कर दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच गांव रावल की हुरियारिनों ने यहां लाठियों से हुरियारों की जमकर खबर ली।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण लठामार होली समिति द्वारा लीला मंच पर होली का शुभारंभ काष्र्णि गुरुशरणानंद महाराज ने किया। इसके साथ ही मंचीय प्रस्तुतियों की शुरुआत ब्रजवंदना से हुई तो दर्शक समूह भक्तिभाव से झूम उठा। ब्रज के लोक कलाकारों ने राधाकृष्ण की होली व गोपियों के संवाद के बीच हंसी-ठिठोली की तो दर्शकों को साक्षात द्वापर युग की यादें ताजा होने लगीं। रसिया को नारि बनाओ री, कान्हा बरसाने में आय जइयो जैसे गीतों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मयूर नृत्य की प्रस्तुति ने तो श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। कान्हा मोर बनि आयौ...की तर्ज पर मयूर कुटी पर द्वापर में हुई मयूर लीला को कलाकारों ने सजीवता से प्रस्तुत किया। राजस्थान का कालबेलिया नृत्य हुआ तो दर्शक रोमांचित हो उठे, जबकि दीपक नृत्य ने हर किसी का दिल जीत लिया। प्रख्यात कलाकार ओमप्रकाश डांगुर ने ब्रज गोपियों के साथ संवाद और रसिया गीतों के माध्यम से हंसी-ठिठोली के बीच नृत्य की प्रस्तुति पर दर्शक झूमते रहे।

ब्रज के अलावा राजस्थान व दिल्ली से आए कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति के माध्यम से हर किसी का दिल जीत लिया। मुखराई (गोवर्धन) की महिलाओं ने परम्परागत चरकुला नृत्य को मंचीय प्रस्तुति के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस बीच राधाकृष्ण की फूलों की होली हर किसी को लुभा गई। शाम पांच बजते ही होली की उमंग यहां रावल की हुरियारिन व हुरियारों ने परवान चढ़ाई। लाठियां लेकर हुरियारिन व हुरियारे जन्मस्थान प्रांगण में उतरे तो समूचे जन्मस्थान पर मशीनों से अबीर-गुलाल व फूलों की वर्षा होने लगी। बस, फिर क्या था लाठियों की तड़तड़ाहट गूंजने लगी। अबीर-गुलाल के बादलों में जन्मस्थान परिसर डूबा नजर आया। मस्ती से झूमते श्रद्धालु हुरियारिनों के करीब जाते तो वे उनको लठिया देतीं। करीब एक घंटे तक चली इस लठामार होली के बाद आयोजन का समापन हुआ।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लीला मंच पर लठामार होली का शुभारंभ संत काष्र्णि गुरुशरणानंद महाराज ने राधाकृष्ण की आरती उतार कर किया। उनके साथ जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा, गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, अधिशाषी राजीव श्रीवास्तव, लठामार होली समिति के किशोर भरतिया आदि थे।

सुरक्षाकर्मियों को करनी पड़ी मशक्कत
लठामार होली के दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, लेकिन भीड़ के आगे सब कुछ बौना नजर आया। होली की मस्ती में झूमते श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने को सुरक्षाकर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सबसे ज्यादा हालात लठामार होली के समय बिगड़ते नजर आए। श्रद्धालुओं ने भी एक-दूसरे पर पुष्प व अबीर-गुलाल की वर्षा की। होली के आयोजन की कमान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी संभाल रखी थी।

कुर्ता फाड़ होली ने जीत लिया दिल
ब्रज के प्रख्यात कलाकार ओमप्रकाश डांगुर द्वारा श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर प्रस्तुत कुर्ता फाड़ होली ने दर्शकों को लोट-पोट कर दिया। इस कुर्ता फाड़ होली में रसिया के माध्यम से संवाद ही नहीं गायन और नृत्य का भी समावेश किया गया था। कुर्ता फाड़ने के बाद लाठियों से मार और ब्रज गोपिकाओं की मस्ती ने हर किसी को यहां झूमने पर मजबूर कर दिया।

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