आगरा-मथुरा में आईएमए संभालेगी ब्लू बेबी का दिल
ब्लू बेबी यानि जन्मजात दिल की बीमारी संग पैदा होने वाले बच्चे अब इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गरीब परिवारों के ऐसे बच्चों के दिल को संभालेगी। हेड क्वार्टर स्तर से उनका...
ब्लू बेबी यानि जन्मजात दिल की बीमारी संग पैदा होने वाले बच्चे अब इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गरीब परिवारों के ऐसे बच्चों के दिल को संभालेगी। हेड क्वार्टर स्तर से उनका निशुल्क इलाज करवाया जाएगा। आगरा और मथुरा से ऐसे केसों को आगे बढ़ाने के लिए सभी सदस्यों को सूचना भेज दी गई है।
नवजात बच्चों में ब्लू बेबी होने के केस लगातार बढ़ रहे हैं। ताजनगरी में हर माह 10 से 15 ऐसे केस देखे जा रहे हैं। गरीब परिवार में पैदा होने वाले ऐसे बच्चों को हायर सेंटर पर बड़े ऑपरेशन की जरूरत होती है, जो गरीबी के कारण उन्हें नहीं मिल पाता। इस कारण नवजात बच्चों की मौत भी हो जाती है या फिर वे कुछ साल परेशानियों के साथ जीते हैं और फिर दम तोड़ देते हैं।
आईएमए अध्यक्ष डॉ. जेएन टंडन बताते हैं कि आईएमए की आगरा इकाई ने हेड क्वार्टर की संस्तुति पर आगरा और मथुरा जिले से आने वाले ऐसे मामलों में निशुल्क इलाज करने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि दोनों जिलों से जो भी गरीब परिवारों के यहां ऐसे बच्चे होंगे। अगर वे परिवार बच्चे का इलाज कराना चाहते हैं तो आईएमए दिल्ली के हायर सेंटरों पर ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज करवाएगी।
क्या होता है ब्लू बेबी
नवजात बच्चों में जन्म से हृदय के कई तरह के विकार होते हैं। इस कारण बच्चों का शरीर नीला पड़ने लगता है। उसमे शरीर में ऑक्सीजन कम मात्रा में पहुंचती है। इसे टैट्रोलॉजी ऑफ फैलौट (टीओएफ) यानि कंटेनाइटल हार्ट डिफेक्ट कहा जाता है। ऐसे बच्चों का एक मात्र इलाज मेजर दिल का ऑपरेशन होना है। यह ऑपरेशन हायर सेंटरों पर होता है। इसमें तीन से पांच लाख रुपये तक का खर्च आता है।
हर साल दम तोड़ देते हैं सैकड़ों ब्लू बेबी
आईएमए की स्टडी के मुताबिक 100 में से तीन या चार ऐसे बच्चे पैदा होते हैं। हर साल देश में सैकड़ों ब्लू बेबी की मौत इलाज न मिल पाने के कारण होती है। देहात क्षेत्रों में ये केस सबसे अधिक दिखते हैं।
आठ माह की परी अब नहीं रहेगी ब्लू बेबी
शाहगंज के जूता कारीगर की आठ माह की बेटी परी जन्म से ब्लू बेबी है, मगर अब वह ब्लू बेबी नहीं रहेगी। परिवार के आईएमए के पास आने पर डॉक्टरों ने इसका मुफ्त ऑपरेशन करने की तैयारी की है। आईएमए आगरा अध्यक्ष डॉ. जेएन टंडन ने बताया कि यह पहला केस होगा। कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई है। जल्द ही हेड क्वार्टर स्तर से बच्ची को दिल्ली ऑपरेशन के लिए भेजा जाएगा।