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पूर्व सांसद अतीक अहमद हत्या के आरोप से बरी, 6 लोगों को उम्रकैद

इलाहाबाद कचहरी के बाहर वर्ष 1995 में हुए शूट आउट में सीबीआई की विशेष अदालत ने फूलपुर से पूर्व सांसद रहे बाहुबली अतीक अहमद को हत्या और हत्या की साजिश के आरोप से बरी कर दिया है। इसके अलावा दोषी करार...

पूर्व सांसद अतीक अहमद हत्या के आरोप से बरी, 6 लोगों को उम्रकैद
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 11 Jan 2016 08:38 PM
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इलाहाबाद कचहरी के बाहर वर्ष 1995 में हुए शूट आउट में सीबीआई की विशेष अदालत ने फूलपुर से पूर्व सांसद रहे बाहुबली अतीक अहमद को हत्या और हत्या की साजिश के आरोप से बरी कर दिया है। इसके अलावा दोषी करार दिए गए छह मुल्जिमों को सीबीआई की विशेष अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।

अदालत ने मुल्जिम मो़ यासिर व मुजत्बा हसन को आम्र्स एक्ट में भी दोषी करार दिया है। उन दोनों पर 32-32 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। जबकि अन्य मुल्जिम मुस्तफा हसन, मो. फारुक, मकसूद अहमद व सगीर अहमद पर तीस-तीस हजार रुपए का जुर्माना ठोंका है।
विशेष जज एके सिंह ने अतीक अहमद के अलावा एक अन्य मुल्जिम खलीकुज्जमा को साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। घटना के तीन मुल्जिम यूसुफ उर्फ मुन्ना व नफीस अहमद व एक अन्य की मुकदमे के दौरान मौत हो चुकी है।

चार अप्रैल, 1995 को पुलिस कस्टडी में पेशी पर कचहरी आए दो बंदियों अख्तर हुसैन व पप्पू को बदमाशों ने गोली मार दी थी। जवाबी कारवाई में पुलिस ने मौके पर ही मारुति वैन से आए चारों हमलावर जमील उर्फ जमीलुद्दीन, बसंत लाल, बुधई पासी व अशफाक अहमद को मार गिराया था। बदमाश पूरी तैयारी से वारदात को अंजाम देने आए थे। आगे बैठे दो बदमाशों की कमर में कारतूसों की पेटी बंधी थी। दो डीबीबीएल बंदूकें पड़ी थीं। पीछे बैठे बदमाशों के पास 12 बोर का एक-एक तमंचा था। कांस्टेबल नाहर सिंह ने 15 राउंड फायर किए जिसमें पांच मिस हो गए थे। कांस्टेबल विशेश्वर पाण्डेय की रायफल से कांस्टेबल कन्हैया प्रसाद राय ने 12 राउंड फायर किए। मौके पर मारुति वैन (यूपी 70 एफ 5186) बरामद कर ली गई थी।

हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश
हाईकोर्ट के आदेश से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। जांच के बाद सीबीआई ने इस मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद व मारे गए चारों बदमाशों समेत कुल 14 मुल्जिमों के खिलाफ हत्या व हत्या का षडयंत्र रचने आदि जैसी गंभीर धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया। 29 अक्टूबर, 1996 को आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने मृत मुल्जिमों के विरुद्घ मुकदमे की कार्रवाई बंद कर दी थी।

अतीक ने सीबीआई पर उठाए सवाल
इस शूटआउट मामले में अदालत से दोषमुक्त किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए पूर्व सांसद अतीक अहमद ने सीबीआई की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए। अतीक अहमद के वकील खान सौलत हनीफ ने कहा कि राजनीतिक कारणों से सीबीआई ने अतीक को इस मामले में जबरन फंसाया था। जबकि अतीक ने ही सीबीआई से विवेचना के लिए याचिका की थी। अतीक अहमद ने कहा कि सीबीआई का तो राजनैतिक इस्तेमाल होता है।

यह है घटना
इस घटना की एफआईआर बंदी अख्तर हुसैन को पेशी पर कचहरी लाए कांस्टेबल नाहर सिंह ने थाना कर्नलगंज में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक वह और कांस्टेबल विशेश्वर पाण्डेय अपनी सरकारी रायफल के साथ मुल्जिम अख्तर हुसैन, सुशील कुमार, श्याम बाबू, राजन कुमार, कमलजीत सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह को नैनी केंद्रीय कारागार, इलाहाबाद से अदालत में पेश कराने के लिए लाए थे। इन्हें कचहरी के लॉकअप में रखा गया था। इसके बाद अख्तर हुसैन, सुशील कुमार, श्याम बाबू व राजन कुमार को कांस्टेबल नाहर सिंह व विशेश्वर पाण्डेय सीजेएम कोर्ट में पेश करने ले गए। पेशी के बाद वह लोग वापस लॉकअप लौट रहे थे। इनके आगे-आगे कुछ अन्य मुल्जिमों को भी अदालत में पेश कराकर पुलिस वाले लौट रहे थे। इसी दौरान सूचना अधिकारी कार्यालय के सामने सड़क पर नीम के पेड़ के पास एकाएक गहरे नीले रंग की मारुति वैन पीछे से आई। उसमें से एक आदमी दो नाली बंदूक लिए उतरा और अख्तर को गोली मार दी। अख्तर वहीं गिर पड़ा। इस बीच वैन मुड़ने लगी। इसमें पीछे बैठे बदमाशों ने कट्टे से कांस्टेबल नाहर सिंह पर फायर करना चाहा। लेकिन वहां मौजूद कांस्टेबल अनिल कुमार अवस्थी ने दौड़कर बदमाश का हाथ झटक दिया। तब वैन में पीछे बैठे दूसरे बदमाश ने अंदर से ही फायर किया। कांस्टेबल अनिल अवस्थी के सीने में गोली लगी जिससे वह घायल हो गए थे। इससे बौखलाए बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी जिसमें कांस्टेबल नाहर सिंह व विशेश्वर पाण्डेय के आगे जा रहे बंदियों में से एक पप्पू को गोली लगी। वह घायल हो गया। जिस बदमाश ने अख्तर को गोली मारी थी, वह वैन की ओर भागा। इस पर नाहर सिंह तुरंत दौड़कर मारुति के आगे आए। लेटकर पोजीशन लिया। नाहर सिंह ने वैन के टायर पर फायर कर दिया जिससे टायर फट गया। इसके बाद बदमाशों ने दोबारा गोलियां चला दी। कांस्टेबल विशेश्वर पाण्डेय बंदियों को पकड़े हुए थे। इस दौरान कांस्टेबल कन्हैया प्रसाद राय दौड़ते हुए आए और आत्मरक्षा का कोई उपाय न देखकर कांस्टेबल विशेश्वर की रायफल से बदमाशों पर जवाबी फायर कर दिया। परिसर में मौजूद अन्य सिपाहियों ने वैन पर पथराव कर दिया। फायरिंग बंद होने पर पुलिस ने वैन का दरवाजा खोला तो उसमें बदमशों की लाश पड़ी थी।

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