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घर को ही बना लिया म्यूजियम

हजारों वर्ष पुराने ताम्र पत्र व हथियार...पौराणिक पुस्तकों का भंडार...कुछ ऐसा है अमरोहा के तौफीक अहमद का घर, जो किसी म्यूजियम से कम नहीं। घर की ऊपरी मंजिल पर बने एक कमरे को म्यूजियम का ही रूप देख रखा...

घर को ही बना लिया म्यूजियम
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 22 Jun 2016 12:09 AM
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हजारों वर्ष पुराने ताम्र पत्र व हथियार...पौराणिक पुस्तकों का भंडार...कुछ ऐसा है अमरोहा के तौफीक अहमद का घर, जो किसी म्यूजियम से कम नहीं। घर की ऊपरी मंजिल पर बने एक कमरे को म्यूजियम का ही रूप देख रखा है। जहां हर धर्म की पौराणिक किताबें अलग ही अहसास कराती हैं।

शहर के मोहल्ला पीरजादा में गलियों के बीच बना छोटा सा तौफीक अहमद चिश्ती का घर। ऊपरी मंजिल पर बाहरी साइड में एक छोटा सा कमरा है, जो म्यूजियम का रूप ले चुका है। नौ वी कक्षा तक पढ़े तौफीक अहमद को पुराने व एंटीक आइटम एकत्र करने का शौक है और यह शौक उन्हें 14 वर्ष की उम्र में पड़ा था। कक्षा छह में उन्होंने तारीके फरिश्ता नामक किताब पढ़ी। इसके बाद उन्हें देश की सैर करके ईसा पूर्व की चीजों को देखने की इच्छा हुई। इसी के साथ इतिहास जानने के पौराणिक पुस्तकों का रुख कर लिया और इसी को अपना पेशा बना लिया। आज उनके पास हर धर्म की करीब चार हजार पुस्तकें हैं। इनमें एक पुस्तक मिर्जा गालिब की फारसी भाषा में हस्तलिखित पुस्तक भी शामिल है। अब उनकी विरासत बेटे अनवार समदानी ने संभाल ली है।

पुरातत्व विभाग की टीम कर चुकी दौरा
अमरोहा। तौफीक अहमद के घर मिनी म्यूजियम चलने की जानकारी पुरातत्व विभाग को हुई, तो टीम ने यहां का दौरा भी किया था। एएसआई विभाग के अधिकारी डॉ. वीआर मणि व मैसूर म्यूजियम के डायरेक्टर डॉ. टीएस रविशंकर की टीमों ने यहां पहुंचकर ताम्र पत्र, हथियार व अन्य चीजों का अवलोकन किया था।
ईसा पूर्व के दो राजाओं के ताम्र पत्र बढ़ा रहे शोभा

अमरोहा। तौफीक अहमद के पास भंज वंश के राजा भंजननाथ देव व राजा भंज देव के समय के ताम्र पत्र हैं। जिन पर संस्कृत भाषा में राजाओं के वंश का पूरा ब्यौरा अंकित है। यह दोनों ताम्र पत्र औरंगाबाद और कानपुर से खरीदे थे। इसके अलावा पौराणिक हथियारों में तलवार भी है। जो तांबे की बनी है और 10 हजार वर्ष पुरानी बताई जाती है।

म्यूजियम की शान बढ़ा रही चीजें
अमरोहा। तौफीक अहमद द्वारा देश के कई म्युजियमों को पौराणिक काल की वस्तुएं व पुस्तक दी जा चुकी हैं। जिनमें मथुरा, इलाहाबाद, नई दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और वृंदावन शोध संस्थान शामिल हैं। इनमें पौराणिक काल के सिक्के, हथियार, ताम्र पत्र व हथियार शामिल हैं।

तारीके फरिश्ता किताब पढ़ने के बाद पौराणित काल की जानकारी करने की इच्छा हुई थी। इसी में पुरानी चीजों को इकट्ठा करने व इमारतों को देखने का शौक लग गया। वह कब जीवन में उतर गया, पता ही नहीं चला। अब तो जहां पौराणिक काल की वस्तु देखता हूं, उसने लेने की इच्छा जाग उठती है।
तौफीक अहमद चिश्ती

 

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