फोटो गैलरी

Hindi Newsजाति-धर्म को चुनाव से अलग नहीं कर सकते

जाति-धर्म को चुनाव से अलग नहीं कर सकते

धर्म और जाति को चुनाव से अलग करने की दलीलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि धर्म, जाति, नस्ल, वर्ग, क्षेत्र तथा भाषा समाज का हिस्सा हैं। इन्हें चुनावों से अलग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा...

जाति-धर्म को चुनाव से अलग नहीं कर सकते
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 26 Oct 2016 11:34 PM
ऐप पर पढ़ें

धर्म और जाति को चुनाव से अलग करने की दलीलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि धर्म, जाति, नस्ल, वर्ग, क्षेत्र तथा भाषा समाज का हिस्सा हैं। इन्हें चुनावों से अलग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह राजनीति का केंद्र बिंदु है, संविधान भी इन विभाजनों को नहीं नकारता। चुनावों में धर्म के इस्तेमाल को रोकने लिए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संविधान पीठ जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा -123 (3) की व्याख्या कर रही है।

मामले की सुनवाई के दौरान पीठ के एक जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज, धर्म, जाति, नस्ल और वर्ग में विभाजित है, इसलिए चुनाव में इनके आधार पर वोटिंग होती है। उम्मीदवार तय होते हैं और सीटों का आरक्षण भी इसी आधार पर होता है। उन्होंने कहा कि संविधान भी इन विभाजनों को नहीं नकारता। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब एक कांग्रेस उम्मीदवार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उम्मीदवार द्वारा धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने को भ्रष्ट व्यवहार के दायरे में लाना चाहिए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें