फोटो गैलरी

Hindi Newsऐसे कम करें माइग्रेन का दर्द

ऐसे कम करें माइग्रेन का दर्द

यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। इससे आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। यह ऐसा दर्द है जिसे भगाने के लिए कई बार मरीज को दवा लेने का होश...

ऐसे कम करें माइग्रेन का दर्द
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 16 Sep 2009 10:02 PM
ऐप पर पढ़ें

यह कोई छोटा-मोटा दर्द नहीं है। यह आपके सारे दिन की गतिविधियों को ठप्प कर देने वाला दर्द है। इससे आपकी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। यह ऐसा दर्द है जिसे भगाने के लिए कई बार मरीज को दवा लेने का होश तक नहीं रहता। इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन आप इस दर्द को कम ज़रूर कर सकते हैं। भीषण सरदर्द की यह बीमारी माइग्रेन है। पेश है इसके कारण और इलाज पर रोशनी डालता तसनीम चौधुरी का आलेख-

नोएडा की गृहिणी आरती अनेजा पाठक बचपन में अक्सर नाश्ते से जी चुराती थी। इससे उन्हें गैस और ऐसे तेज सरदर्द की शिकायत रहने लगी, जो कई बार कई दिन तक खिंच जाता। आरती को यह जानने में कई साल लग गए कि यह माइग्रेन था। अब 35 साल की उम्र में जाकर वे इस पर काबू पा सकी हैं। इस बारे में आरती कहती हैं, ‘क्योंकि मुङो इसकी वजह का पता चल गया है। मीठा खाने की इच्छा, या खुद को संयमित न रख पाने का एहसास होते ही मैं समझ जाती हूं कि अब सिर फटने वाला है।’

दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाली 32 साल के वकील मिलांक चौधुरी के लिए माइग्रेन कर मतलब है, उसी क्षण काम अपना रोक देना, चाहे वे तब कोर्ट में जिरह ही क्यों न कर रहे हों। वे कहते हैं, ‘ऐसा लगता है मेरे सिर में कोई अचानक जोर-जोर से मुक्के मार रहा है, और मिनट-दर-मिनट मुक्कों की गति तेज होती जा रही है। अगर पास में दवा न हो, तो फौरन घर पहुंचकर,  पेनकिलर्स खाकर घुप्प अंधेरे कमरे में कई घंटे सो जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। इस दौरान उल्टी भी आ जाती है, और कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। बस, दर्द ही दर्द याद रहता है। दर्द भी ऐसा कि सहा न जाए।’

माइग्रेन के ज्यादातर रोगी जानते हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई ऐसे भी हैं, जिन्हें यह भी पता नहीं कि इससे असरदार तरीके से निपटा जा सकता है।

माइग्रेन की पहचान
-क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा?
-क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है?
-क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है?

अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए।

ज्यादातर लोगों को माइग्रेन का पता तब चलता है, जब वे कई साल तक इस तकलीफ को ङोलने के बाद इसके लक्षणों से वाकिफ हो जाते हैं।
-कठोरता : किसी कठोर चीज से सिर के एक हिस्से में जोर-जोर से वार करने का एहसास तब होता है, जब जैविक परिवर्तन के कारण खून की धमनियां फूलने लगती हैं, या उनमें जलन होने लगती है। जबकि अन्य प्रकार के सिरदर्द में आमतौर पर दर्द सिकुड़ी हुई धमनियों या सिर और गर्दन की मांसपेशियों के सख्त हो जाने के कारण होता है। अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नै के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ए. पन्नीर के अनुसार, ‘माइग्रेन का दर्द बहुत जबर्दस्त होता है। इसस आप रोजमर्रा के आम काम भी नहीं कर पाते। यहां तक कि चलना फिरना भी दूभर हो जाता है, और लगता है कि शरीर टूट चुका है।’

-गैस की समस्या : माइग्रेन के साथ अक्सर जी मिचलाता है, और उल्टी भी हो जाती है। 
-संवेदनशीलता : डॉ. पन्नीर के अनुसार माइग्रेन का अटैक होने पर मरीज को रोशनी, आवाज या किसी तरह की गंध नहीं सुहाती। 

-हमला : दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. ईश आनंद कहते हैं: माइग्रेन का हमला अचानक होता है। कई बार यह शुरू में हल्का होता है, लेकिन धीरे-धीरे बहुत तेज दर्द में तब्दील हो जाता है। माइग्रेन का अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर इसकी शुरुआत किशोर उम्र से होती है।

-जीन्स : डॉ. आनंद  कहते हैं कि माइग्रेन के ज्यादातर मरीज वे होते हैं, जिनके परिवार में ऐसा इतिहास रहा है। इसके कुल मरीजों में 75 प्रतिशत महिलाएं होती हैं।

-स्थान : माइग्रेन का दर्द आमतौर पर सिर के एक सिरे से, या कभी-कभी बीचोंे बीच से या पीछे की तरफ से उठता है।

-समय : डॉ. आनंद के अनुसार, माइग्रेन का दर्द 4 से 48 घंटे तक रह सकता है। कभी यह रह-रहकर कई हफ्तों या महीनों तक, या फिर सालों तक खास अंतराल में उठता है। कई बार एक ही समय में यह बार-बार हथौड़ों की बारिश का एहसास कराता है।

-दायरा : डॉ. ए. पन्नीर के अनुसार माइग्रेन की अनुभूति कई बार वास्तविक दर्द से दस मिनट से लेकर आधे घंटे पहले ही शुरू हो जाती है। इस दाौरान सिर में बिजली फट पड़ने, आंखों के आगे अंधेरा छा जाने, बदबू आने, सुन्न पड़ जाने या दिमाग में झन्नाहट का एहसास होता है। किसी-किसी मरीज को अजीब-अजीब सी छायाएं नजर आती हैं। किसी को चेहरे और हाथों में सुइयां या या पिनें चुभने का एहसास होता है। लेकिन कई अध्ययनों से सामने आया है कि माइग्रेन के प्रभामंडल का एहसास केवल एक से पांच प्रतिशत मरीजों को ही होता है। इसे क्लासिकल माइग्रेन कहा जाता है, लेकिन यह महिलाओं में कम होता है।

माइग्रेन का इलाज
विशेषज्ञों के अनुसार माइग्रेन से निपटने में इस बात का रोल काफी अहम होता है कि आप इसके लिए कितने तैयार हैं। सभी मरीजों में माइग्रेन के पूर्व संकेत (ट्रिगर्स) एक से नहीं होते, इसलिए उनके लिए डायरी में अपनी अनुभूतियां दर्ज करना उपयोगी हो सकता है। इसके बाद आप दवा की सहायता से इन ट्रिगर्स से समय रहते बचकर, माइग्रेन को टाल भी सकते हैं।

-हल्का या यदा-कदा अटैक होने पर: कभी-कभार माइग्रेन का हल्का-फुल्का अटैक होने पर आपका रोजमर्रा का काम प्रभावित नहीं होता। ऐसे मरीजों को सीधे केमिस्ट से बगैर प्रैस्क्रिप्शन के मिलने वाले आम पेनकिलर लेकर खा लेने चाहिए, जैसे कि क्रोसीन या गैर-स्टैरॉयड जलन मिटाने वाली गोलियां डिस्प्रिन, ब्रूफेन और नैप्रा।

-भीषण अटैक होने पर : डॉ. आनंद कहते हैं: दो प्रकार की दवाएं काफी कारगर होती हैं, जिन्हें आपको हरदम अपने साथ रखना चाहिए। पहली- जलन मिटाने वाली कैफीन रहित गोलियां नैप्रा-डी, नैक्सडॉम और  मेफ्टल फोर्ट। और दूसरी ट्रिप्टान दवाएं- जैसे कि सुमिनेट टैब्लेट, नैसाल स्प्रे या इंजेक्शन, राइज़ैक्ट या फिर ज़ोमिग।

पहले ट्रिप्टान दवाएं तब दी जाती थीं, जब माइग्रेन पर आम पेन किलर्स का कोई असर नहीं होता था। इसके बाद नए रिसर्च में पता चला कि भीषण अटैक में सीधे ही ट्रिप्टान दवाओं का सहारा लेना ज्यादा कारगर होता है। ट्रिप्टान दवाएं दर्द शुरू होने से पहले, या मामूली दर्द शुरू हो जाने पर भी ली जा सकती हैं। इससे इनका असर बढ़ जाता है। ऐसा करके माइग्रेन के 80 प्रतिशत  हमलों को दो घंटे में खत्म किया जा सकता है। इससे दवा का साइड-इफैक्ट भी कम हो जाता है, और अगले 24 घंटों में माइग्रेन अटैक की संभावना भी नहीं रहती।

-सिर्फ डॉक्टर की राय से: कुछ दवाएं ऐसी हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन से ही लिया जा सकता है। इन्हें एर्गोटैमिन्स कहा जाता है। इस कैटेगरी में एर्गोमार, वाइग्रेन, कैफरगोट, माइग्रेनल और डीएचई-45 को शुमार किया जाता है। ट्रिप्टान दवाओं की तरह ये भी खून की धमनियों को तो खोलती हैं, लेकिन हृदय की धमनियों को कुछ ज्यादा ही खोल देती हैं, इसलिए कम सुरक्षित मानी जाती हैं।

चेतावनी : कई बार सिरदर्द दूसरी खतरनाक और जानलेवा बीमारियों का भी संकेत होता है। इसलिए बार-बार होने वाले तेज सिरदर्द, गर्दन दर्द, अकड़न, जी मिचलाने या आंखों के आगे अंधेरा छा जाने को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और फौरन डॉक्टर को दिखाएं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें