कोहरा
उत्तर भारत में इन दिनों कोहरे की चादर छाई हुई है। और भारत ही क्यों, समूचे उत्तरी गोलार्ध के देशों में कड़ाके की ठंड के साथ कोहरे की परत छाई दिख रही है। रोजाना ऐसी कई तस्वीरें आप देख रहे हैं। लेकिन...

उत्तर भारत में इन दिनों कोहरे की चादर छाई हुई है। और भारत ही क्यों, समूचे उत्तरी गोलार्ध के देशों में कड़ाके की ठंड के साथ कोहरे की परत छाई दिख रही है। रोजाना ऐसी कई तस्वीरें आप देख रहे हैं। लेकिन कोहरा कैसे अस्तित्व में आता है। यह जानना अपने आप में खासा रोचक है।
कोहरा सर्द हवा में बनता है। इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है। सर्द हवा ही अधिक नमी पकड़ सकती है। वह यह नमी वाष्पन के जरिए ग्रहण करती है। इसके अतिरिक्त कोहरा कई अन्य तरीकों से भी अस्तित्व में आता है। लेकिन अधिकांश कोहरे दो श्रेणियों, एडवेक्शन फॉग और रेडिएशन फॉग में तब्दील हो जाते हैं। दोनों हालात में कोहरा आम हवा से अधिक ठंडा महसूस होता है। ऐसा उसमें बैठी हुई नमी के कणों के कारण होता है।
जब गर्म हवा का एक विशेष हिस्सा किसी नम प्रदेश के ऊपर पहुंचता है तो एडवेक्शन फॉग बनता है। कई बार कोहरा काफी घना भी होता है जिससे दूर देखने में परेशानी महसूस होती है। समुद्र किनारे रहने वाले लोग एडवेक्शन फॉग से परिचित होते हैं। रेडिएशन फॉग तब बनता है जब धरती की ऊपरी परत ठंडी होती है। ऐसा अक्सर शाम के समय होता है।
धरती की ऊपरी परत ठंडी होने के साथ ही हवा भी ठंडी हो जाती है, जिस कारण कोहरा उपजता है। कोहरा कई पहाड़ी घाटियों में भी छाता है। वहां ऊपरी गर्म हवा ठंडी हवा को जमीन के निकट रखती है। ऐसा कोहरा अक्सर सुबह के समय होता है। सूरज निकलने के बाद ठंडी हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है। इसके बाद से कोहरा छंटना शुरू हो जाता है।