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जरूरी है शून्य का होना

एक राजा था। सब होने के बावजूद वह अशांत था। उसके मंत्री ने आचार्य यानी राजा के बड़े भाई के पास जाने की सलाह दी, जिन्होंने  जीवन से जुड़े प्रश्नों का जवाब तलाशने के लिए राज पाट छोड़ दिया था। राजा को...

जरूरी है शून्य का होना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 07 Feb 2016 08:10 PM
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एक राजा था। सब होने के बावजूद वह अशांत था। उसके मंत्री ने आचार्य यानी राजा के बड़े भाई के पास जाने की सलाह दी, जिन्होंने  जीवन से जुड़े प्रश्नों का जवाब तलाशने के लिए राज पाट छोड़ दिया था। राजा को लगता था कि संन्यास कायरों का काम है। पर अपने मन की उदासी को दूर करने के लिए वह आचार्य के पास जाने के लिए राजी हो गया। आचार्य को राजा को अपने यहां आते देख हैरत हुई और  पूछा,‘ यहां आने का कष्ट क्यों उठाना पड़ा राजन।’ ‘मुझे वह चाहिए जो आपके पास है। मेरे पास सब कुछ है, बस शांति नहीं। आपके पास कुछ नहीं है, तो भी प्रसन्न हैं। मुझे उदासी से बाहर निकालें।’

आचार्य ने राजा से कहा, ‘कुछ दिन मेरे साथ यहीं रहो।  राजा ने घृणा से झोपड़ी को देखा, पर तैयार हो गया। अगले दिन आचार्य ने छोटे भाई को उठाया। उसे सुबह अच्छी लग रही थी। ‘क्या तुम आर्यभट्ट को जानते हो?’ आचार्य ने पूछा? ‘हां, जिन्होंने शून्य की खोज की।’ राजा ने कहा। ‘शून्य खोजा नहीं जा सकता। आविष्कार कहना बेहतर होगा। कुछ देर के लिए तुम खुद को उस समय में देखो जब शून्य नहीं था। अब यहां बिखरी सूखी पत्तियों को गिनो, पर ध्यान रहें कि शून्य नहीं आना चाहिए।’
    ‘इनका सबका मेरे प्रश्न से क्या संबंध है?’
   ‘ यदि समाधान चाहिए तो मेरा कहा माने राजन्।’
उसने पत्तियां गिननी शुरू की। नौ पर पहुंचते ही,याद आया कि शून्य को छोड़ना है। उसकी जगह राजा ने नया अंक गढ़ लिया।
     ग्यारह भी तो दस से ही बना है, यह सोचकर राजा को लगा कि यहां बिखरी हर सूखी पत्ती के लिए अब नया अंक बनाना होगा। उसने निन्यानवें नए अंक बनाकर हार मान ली।   
      आचार्य मुस्कुराए और बोले अच्छा बताओ कि शून्य क्या है?  ‘शून्य, शून्य है, और कुछ नहीं!’ राजा ने कहा।
   ‘फिर भी उसके बिना तुम बड़ी संख्या गिनने में असमर्थ हो। बहुत कुछ है, जिसके होने के लिए कुछ नहीं होने की जरूरत होती है। बिना उस शून्य के, कुछ ही चीजें हमारे पास होती हैं। राजा ने हैरत से कहा,‘आपका मतलब है कि मेरे पास बहुत कुछ है, पर शून्य नहीं है। और यही कारण है....

 ‘हां राजन्। तुम्हें, कुछ नहीं होने की जरूरत है और उसने लिए अपने से परे देखना होगा। जब आप वो करेंगे, जिससे कुछ नहीं मिलेगा, तो जो आपके पास होगा वह महत्वपूर्ण होगा। दान आपको कुछ नहीं देता, पर उसे करें। किसी की सेवा करना कुछ नहीं देता, पर उसे करें। बुजुर्ग की सेवा करना कुछ नहीं देगा, पर करें....ऐसे कई काम हैं जिन्हें करना कुछ नहीं देगा। पर आप देखेंगे कि उस कुछ नहीं से आपको ऐसा कुछ मिलेगा जो अभी आपके पास नहीं है। कुछ समय की शांति के बाद राजा, आचार्य के पैर छूते हुए बोला, ‘मुझे अब पता चला कि आप कुछ न होकर भी क्यों इतने अमीर हैं।’

 

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