फोटो गैलरी

Hindi Newsसबसे बड़ी आपदा नेपाल का जलजला

सबसे बड़ी आपदा नेपाल का जलजला

प्राकृतिक आपदा और ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों ने इस साल दुनिया को कई बार  चेतावनी दी। नेपाल के भूकंप और चेन्नई की बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हुआ, तो दिल्ली-बीजिंग में वायु प्रदूषण के...

सबसे बड़ी आपदा नेपाल का जलजला
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 29 Dec 2015 09:01 PM
ऐप पर पढ़ें

प्राकृतिक आपदा और ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों ने इस साल दुनिया को कई बार  चेतावनी दी। नेपाल के भूकंप और चेन्नई की बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हुआ, तो दिल्ली-बीजिंग में वायु प्रदूषण के चलते लाखों लोग सांस के लिए साफ हवा के मोहताज हो गए। सितंबर में सऊदी अरब में हुई भगदड़ ने सैकड़ों हज यात्रियों की जान ले ली। 2015 की प्राकृतिक आपदाओं और हादसों पर पेश है विनीत शरण श्रीवास्तव की रिपोर्ट

शनिवार  25 अप्रैल की सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर आए भूकंप से नेपाल की धरती कांप उठी। 7.8 तीव्रता के इस भूकंप में नौ हजार से ज्यादा लोग मारे गए और दो हजार घायल हुए। इसका प्रभाव नेपाल की सीमा से सटे भारतीय राज्यों -बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी महसूस किया गया,  लेकिन भूकंप का केंद्र काठमांडू के पास होने से नेपाल में तबाही ज्यादा हुई। भारत पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा।  

नेपाल में आए भूकंप का कारण भारत की टेक्टोनिक प्लेट से जुड़ा है, जो हर साल पांच सेंटीमीटर की रफ्तार से उत्तर यानी मध्य एशिया की ओर बढ़ रही है। इस प्लेट और यूरोपीय टेक्टोनिक प्लेट के घर्षण के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप आते हैं। वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगले 10 या 20 सालों में हिमालयी क्षेत्र में एक भीषण भूकंप आएगा। इससे हिमालय क्षेत्र के जमीन की भीतर की विशाल ऊर्जा एक बार में बाहर आ जाएगी।

रह-रहकर लगते रहे झटके
12 मई तक महसूस होते रहे भारत, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भूकंप के झटके
38 हजार करोड़ का नुकसान हुआ भूकंप से नेपाल को

17 पर्वतारोही बर्फ में समा गए भूकंप की वजह से माउंट एवरेस्ट पर्वत पर आए हिमस्खलन में

18 वीं सदी में बनी काठमांडू की धरधरा इमारत हो गई पूरी तरह नष्ट

1934 के बाद नेपाल में पहली बार आया इतना प्रचंड भूकंप

मीना में भयानक भगदड़
24 सितंबर को सऊदी अरब के मीना में मची भगदड़ में 14 भारतीय हज यात्रियों समेत 717 लोगों की मौत हुई। हज यात्रा के आखिरी दिन मीना में शैतान को कंकड़ी मारने की रस्म के दौरान यह हादसा हुआ। सालाना हज पर हुई यह इतिहास की दूसरी सबसे भीषण त्रासदी थी। इससे पहले 1990 में हुए हादसे में 1,426 लोग मारे गए थे। इस हादसे से कुछ दिन पहले 11 सितंबर को मक्का में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद में एक क्रेन टूटकर गिर पड़ी, जिसमें 111 लोग मारे गए। इलाके में आए तूफान से यह क्रेन टूटकर गिरी थी।

चेन्नई में बाढ़ से तबाही
नवंबर और दिसंबर में लगातार कई दिनों तक बारिश के चलते चेन्नई समेत तमिलनाडु के कई शहरों में बाढ़ आ गई। बाढ़ इतनी भयानक थी कि सिर्फ चेन्नई में 350 लोग मारे गये। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस साल नवंबर में चेन्नई में 1197 मिमी बारिश हुई, जबकि इससे पहले 1918 में सर्वाधिक 1088 मिमी बारिश हुई थी। यानी यह सौ साल की सबसे ज्यादा बारिश थी। विशेषज्ञों के मुताबिक प्राकृतिक जलाशयों और जल निकासी वाले नालों का रास्ता रोक देने से चेन्नई में बाढ़ की स्थिति गंभीर हुई और 15 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।

दुनिया भर की कुछ अन्य आपदाएं और हादसे

200 लोगों की मौत अक्तूबर में पाकिस्तान में आए भूकंप में
300 ने जान गंवाई फरवरी में अफगानिस्तान में आए हिमस्खलन में
20 लोगों की मौत हुई और यहां स्थित चिडि़या घर के कई जानवर मारे गए 13 जून को जॉर्जिया में आई बाढ़ में

38 लोग मारे गए और 213 अरब रुपये का नुकसान हुआ 07 अगस्त को समुद्री तूफान सौडेलोर ने ताइवान और चीन में जबरदस्त तबाही मचाई

173 लोग मारे गए 13 अगस्त को चीन के तियानजिन में केमिकल ब्लॉस्ट में

बढ़ा पारा और लगी अर्थिक चपत
सबसे गर्म साल रहा 2015
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अलनीनो और ग्लोबल वार्मिंग के चलते यह साल का सबसे गर्म साल रहा। पिछले 136 साल में धरती इतनी गर्म कभी नहीं रही। स्विस रे की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल गर्मी और लू की वजह से भारत, पाकिस्तान, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। भारत और पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में मई और जून का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। इसी के चलते भारत और पाकिस्तान में तीन हजार से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई।

जून में गर्मी से 2300 मौत

जून की गर्मी में केवल भारत में ही 2,300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। आंध्र प्रदेश में 1,636 और तेलंगाना में 541 मौत हुईं।

1636 आंध्र प्रदेश में मारे गए गर्मी के कारण
541 लोग मारे गए गर्मी के कारण तेलंगाना में

जान का नुकसान
26 हजार लोगों की मौत हुई प्राकृतिक आपदाओं से इस साल
2014 के मुकाबले दोगुनी है यह संख्या


दिल्ली में भयानक वायु प्रदूषण
एक अध्ययन में यह साबित हुआ कि दिल्ली में सांस लेना दिनभर में 30 सिगरेट पीने के समान है। धुंध में लिपटी यहां की हवा इस साल और भी जहरीली हो गई। राजधानी और एनसीआर के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 10 गुना ज्यादा हो चुका है। नासा की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि यहां हवा में नाइट्रोजन आक्साइड, ओजोन, बेंजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑसाइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। भारी कणों के घने बादल अकसर छाए रहते हैं। प्रदूषण की भयानक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में हाइकोर्ट के एक जज ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लग रहा है कि दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है।

बीजिंग में धुंध के चलते रेड अलर्ट,  सांस लेना मुश्किल  
पूरे साल चीन प्रदूषण और धुंध की परेशानी से जूझता नजर आया। यहां की 70 प्रतिशत नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं। सबसे खतरनाक स्थिति राजधानी बीजिंग की है। दिसंबर में तो यहां की हवा में तय मानकों से 10 गुना ज्यादा खतरनाक कण मिले हैं। हवा में कणों की संख्या 400 से 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई है, जबकि यह 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए। इसके चलते बीजिंग में धुंध को लेकर पहली बार रेड अलर्ट जारी किया गया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि  वहां विदेशों से आई हवा की बोतलें बिक रही हैं। मॉस्क पहने बिना घर से बाहर निकलना असंभव हो गया है। मध्यमवर्ग के लोग भी लाखों रुपये के एयरप्यूरीफायर खरीद रहे हैं। फिर भी प्रदूषण से होने वाली मौत में कमी नहीं आ रही है। बर्कले की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में हर साल 16 लाख लोगों की मौत प्रदूषण से होने वाली दिल और फेफड़े की बीमारियों से होती है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें