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मिल जाता है हर मुश्किल का जवाब

एरिक थॉमस, अमेरिका में 'हिप हॉप प्रीचर' के नाम से प्रसिद्ध हैं। लेखक हैं और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। सफलताएं हम सभी के जीवन में आती हैं और जब वे आती हैं तो लगता है कि अब कभी खत्म ही...

मिल जाता है हर मुश्किल का जवाब
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 22 Nov 2015 08:28 PM
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एरिक थॉमस, अमेरिका में 'हिप हॉप प्रीचर' के नाम से प्रसिद्ध हैं। लेखक हैं और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं।


सफलताएं हम सभी के जीवन में आती हैं और जब वे आती हैं तो लगता है कि अब कभी खत्म ही नहीं होंगी। एक के बाद एक इन असफलताओं से हमारा मनोबल कमजोर हो जाता है। जब बारिश आती है तो अपने साथ सब कुछ बहाकर ले जाती है। यानी दुख या सुख, जीवन में कुछ भी स्थिर नहीं रहता। लेकिन हमें लगता है कि हम ही अकेले हैं, जो इन असफलताओं से जूझ रहे हैं, जबकि सच यह है कि हर व्यक्ति इस तरह के अनुभवों से गुजरता है।   मान लीजिए आप अच्छी भली नौकरी कर रहे हैं और अचानक आपकी नौकरी छूट जाती है, तभी आप देखते हैं कि सिलेंडर की गैस खत्म होने वाली है, घर में राशन भी कम ही है। मुझे भी ऐसे अनुभव हुए हैं।

कई बार ऐसा होता है कि अनहोनी जीवन में लगातार घटती चली जाती हैं। हर घटना अलग होती है, लेकिन हमारा मस्तिष्क इन घटनाओं को खुद-ब-खुद एकसाथ जोड़ने लगता है। वे घटनाएं, जिनमें कोई समानता नहीं होती।  इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। एक थैले में लाल, नीले, हरे और पीले रंग के कंचे इकट्ठे करिए। हर रंग के दस कंचे ले लीजिए, ताकि किसी एक रंग की प्रधानता न रहे। जैसे ही आप ये कंचे थैले से निकालकर एक कांच के बर्तन में डालेंगे, तो आपको रंगों के अलग-अलग पैटर्न या डिजाइन नजर आएंगे। यह बिना किसी क्रम के  बनाए गए समूह जैसा लगता है।  लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमारे मस्तिष्क को समूह पहले नजर आता है और अलग-अलग कंचों का अस्तित्व बाद में। अगर आप अलग-अलग रंग के कंचों पर गौर फरमाएं, तो वे भी आपको पूरी स्पष्टता से नजर आएंगे और इस काम में आपको ज्यादा जहमत भी नहीं उठानी पड़ेगी।

यह तकनीक हमें बॉगल और स्क्रैबल जैसे शब्द बनाने से जुड़े खेलों का बेहतर खिलाड़ी बनाती है। मुसीबतों का पहाड़, तनाव को लेकर हमारी संवेदनशीलता से भी जुड़ा है। इसे इस तरह समझें। आप  हर रोज सीढि़यां चढ़ते हैं। चूंकि  रोजाना का काम है, तो इसका दबाव आपको महसूस नहीं होता। पर यदि एक दिन पहले आपने स्क्वेट्स(एक तरह की एक्सरसाइज) किए हैं, जिससे  मांसपेशियां अकड़ गयी हैं, तो अब सीढ़ी चढ़ने के लिए  एक कदम उठाना भी भारी दिखने लगता है। चूंकि हमारा शरीर बड़ी तकलीफ के साथ जूझ रहा होता है, ऐसे में हम हर अगले छोटे तनाव के लिए संवेदनशील हो जाते हैं। यही बात हमारी सोचने की प्रक्रिया पर भी लागू होती है। समस्याएं इसी तरह आती रहती हैं, पर हमें यह तलाशना होता है कि हम उनका समाधान कैसे करेंगे।


कठिन घड़ी में अनावश्यक चिंताओं का बोझ हटाएं 
1- इस प्रक्रिया का पहला चरण है खुद को शांत और स्थिर बनाना। शांत भाव से ही आप अपनी समस्याओं से बाहर आने का रास्ता खोज सकते हैं। समस्याओं को भावना से जोड़कर नहीं, बल्कि तटस्थ भाव से देखें। अपनी समस्या के बारे में अगर आप लिखें तो इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता। एक सूची बनाएं और अपनी समस्याओं की गंभीरता को देखते हुए उनके बारे में सिलसिलेवार तरीके से लिखें। समस्याओं की स्पष्टता तनाव कम करती है।

2- कई बार सहज लगने वाली चीजें भी बिगड़ जाती हैं। लेकिन सकारात्मकता नहीं छोड़ें। हालात बेहतर होंगे ये विश्वास बनाए रखें। हमारा दिमाग बहुत शक्तिशाली होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सफलता या असफलता के बीच फर्क सिर्फ इतना होता है कि उसे किस नजरिये से देखा जा रहा है।

3- आमतौर पर बहुत ज्यादा संघर्ष कर लेने पर हमें लगता है कि कोई इंसान या फिर कोई वस्तु ही हमारे दुख का कारण है। हमारी असफलता या फिर उसका जश्न मनाने वाले जब हमारे सामने होते हैं, तो विकल्प हमें चुनना होता है। या तो हार मानकर छुप जाएं या फिर अपनी स्थितियां बेहतर बनाने के लिए दोगुने उत्साह से जुट जाएं।

4- हुनर या समय का प्रबंधन सीखने के लिए हम खुद को भूतकाल में तो नहीं ले जा सकते। हमें इन्हें समय के साथ सीखते रहना होता है। हम अपने अपमान या असफलता को मिटा नहीं सकते, लेकिन यह जरूर सुनिश्चित कर सकते हैं कि यही छोटी-छोटी असफलताएं हमारी तरक्की की तस्वीर को और यादगार बना दें।


तीन नियम
1- मन:
खुद को प्यार किए बिना क्या दूसरों को प्यार किया जा सकता है? आखिरकार खुद को खाली रखकर कोई किसी को कब तक भर सकता है। लेखिका माया एंजेलो कहती हैं, 'मैं उन लोगों पर कतई विश्वास नहीं करती, जो खुद को प्यार नहीं करते और मुझसे प्यार होने की बात कहते हैं। एक अफ्रीकी कहावत है : जिसके खुद के शरीर पर कपड़े नहीं हैं और वह आपको कपड़े पहनाने की कोशिश कर रहा है तो सावधान हो जाना चाहिए।'

2- वचन: जीवन में कोई यूं ही नहीं चला आता। सबका एक मकसद होता है। सब कुछ न कुछ दे ही रहे होते हैं। निर्भर आप पर है कि आप उनसे क्या सीखते हैं। उन्हें दोष दे रहे हैं या आपको कुछ नया सिखाने का श्रेय? किसी ने कहा है कि जीवन में कभी किसी को दोष न दें। अच्छे लोग आपको खुशी देते हैं और बुरे लोग अनुभव। निकृष्ट लोग सबक देते हैं और सर्वश्रेष्ठ लोग हमेशा के लिए यादों में दर्ज हो जाते हैं।

3- काया: दर्पण में शरीर तो दिखता है, पर मन नहीं। और केवल बाहरी सुंदरता से ही रीझते रहना न सिर्फ खुद से, बल्कि दूसरों से भी दूर कर देता है। अमेरिकी स्टाइलिस्ट स्टेसी लंदन कहती हैं, 'तन की सुंदरता से आत्म-सम्मान हासिल नहीं हो सकता। इसके लिए जरूरी है कभी-कभी दर्पण के सामने से हटकर अपने नए प्रतिबिंब देखे जाएं। खुद को उन लोगों की आंखों में देखा जाए, जो हमें प्यार करते हैं। हमारी प्रशंसा करते हैं।' 

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