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दोस्ती की चुंबक है आपके पास!

मैरी जैक्श, जेन मास्टर, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर और ब्लॉगर। खुशहाल जिंदगी जीने हेतु व्यावहारिक सूत्रों के लिए प्रेरित करना उन्हें अच्छा लगता है। क्या जीवन में बहुत सारे दोस्त चाहते हैं? मेरा...

दोस्ती की चुंबक है आपके पास!
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 02 Aug 2015 08:18 PM
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मैरी जैक्श, जेन मास्टर, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर और ब्लॉगर। खुशहाल जिंदगी जीने हेतु व्यावहारिक सूत्रों के लिए प्रेरित करना उन्हें अच्छा लगता है।


क्या जीवन में बहुत सारे दोस्त चाहते हैं? मेरा मतलब है सच्चे दोस्त...जो आपके साथ हंसें और रोएं। मेरे करीबी दोस्त, मेरी दुनिया हैं। मुझे जब भी उनकी जरूरत होती है, वे मेरे साथ होते हैं। उनकी तरक्की में मुझे खुशी होती है और जब वे दुखी होते हैं तो उनकी मदद के लिए तैयार रहती हूं। वे हैं तो मैं खुश हूं और जिंदगी खुशहाल। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं थी। जैसे मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में एक मेरे पहले पति भी हैं।  कई साल लगे टूटे दिल को संभालने में, अपनी उदासी और गुस्से से आगे निकलकर उस मजबूत दोस्ती को बनाए रखने में, जो हममें आज भी है। दोस्ती का रिश्ता बनने में समय लगता है। अच्छी कोशिशें करनी होती हैं। एक कहावत है कि दोस्त वह है, जिसके सामने दिल की तमाम बातें कही जा सकती हैं। आप जानते हैं कि उसके कोमल हाथ भूसी और चारे की परख स्वयं कर लेंगे और जरूरी चीजों को अपने पास रखकर शेष को बिना कोई राय बनाए आसानी से छोड़ देंगे।

झूठे दोस्तों से छुटकारा
बीते समय में दोस्ती ने कई सबक सिखाए। मैं एक संगीतकार और एक प्रतिष्ठित संगीत स्कूल की निदेशक थी। मेरा जीवन अच्छा चल रहा था। अच्छी नौकरी थी और लोगों में मेरा सम्मान था। जाने-माने कई लोग मेरे दोस्त थे। लेकिन जल्द ही सब बिखर गया। मेरी नौकरी चली गयी। मैं और मेरे पति अलग हो गए। अचानक ही मेरा रुतबा कम हो गया। वे सब जिन्हें मैं अपना दोस्त समझ रही थी, रातभर में ही सब कहीं गायब हो गए। बहुत मुश्किल समय था वह। लेकिन कुछ थे, जिन्होंने मेरे पास फोन करके कहा था कि वे कुछ समय मेरे साथ बिताना चाहते हैं। मैंने पूछा था, अब क्यों?
एक ने कहा कि मैं बहुत लंबे समय से तुम्हारा दोस्त बनना चाहता था।  शायद अब तुम्हें मेरी आवाज सुनाई दे। यही लोग मेरे आज भी मेरे दोस्त हैं, जिन पर मुझे गर्व है। अपने मुश्किल समय में मैंने यह सीखा कि यदि ध्यान सफलता पर ही रहेगा तो कई अच्छे दोस्त छूट जाएंगे। असली दोस्त उसी समय हमारी ओर आकर्षित होते हैं, जब हम कमजोर और अकेले होते हैं, हवा से जमीन पर आ चुके होते हैं।  

दोस्तों को यूं लाएं करीब
ऐसा नहीं है कि हमारे काम को देखकर दोस्त हमारे करीब आते हैं। दोस्ती की इमारत हमारी सोच की नींव पर खड़ी होती है। जब हम दूसरों को देखने के नजरिए में बदलाव लाते हैं तो दोस्तों को आकर्षित करने वाली चुंबक का रूप ले लेते हैं। लेकिन होता यह है कि हम दूसरों की गलतियां देखते रहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम अक्सर खुद को ऊपर उठाने की आशा में दूसरों को नीचा दिखाते हैं। जैसे ही हम दूसरों की अच्छी बातों पर ध्यान देने लगते हैं, हमें जादुई अनुभव होते हैं। हमें अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलने लगती हैं।

दूसरों की अच्छाई देखें: हममें से कोई भी परफेक्ट नहीं है। हम सभी में कुछ ऐसे गुण हैं, जिनके साथ रहना मुश्किल होता है। दूसरों की बुरी बातें ही न देखें। उनके मजबूत पक्षों पर भी गौर करें। जब भी खुद को दूसरों की गलतियां देखते हुए पाएं तो सोचें कि आपमें भी कमियां हैं।

मुस्कराएं: बुद्ध की किसी पुरानी प्रतिमा को देखें। एक स्थिर, सहज और निर्मल मुस्कान उनके चेहरे पर हमेशा मिलेगी। यह भी उनकी एक शिक्षा ही है, क्योंकि हम जब भी मुस्कराते हैं, हम चेतन हो उठते हैं। अपनी उलझनों से बाहर निकलकर वर्तमान में लौट आते हैं। आप किसी से सीधे बात कर रहे हैं या फिर फोन, ट्विटर, ईमेल व चैट आदि के जरिए, आप जिससे बात कर रहे हैं, उसे आपके मुस्कराते हुए चेहरे का अनुभव जरूर होना चाहिए।

गांठें खोलें: यह सही है कि किसी के बुरे विचार या व्यवहार को भुलाना आसान नहीं होता, पर इन्हें सोचते रहना आपको उदास व कठोर बना देता है। ऐसे विचारों से जल्दी बाहर आ जाएं। वर्तमान की खूबसूरती को देखें।  

दूसरों के प्रति ईमानदार बनें: अगर आप किसी के दोस्त बनना चाहते हैं तो उन्हें यह जरूर बताएं कि उनमें क्या अच्छाई है। उनकी कौन-सी बातें आपको उनकी ओर आकर्षित करती हैं। जरूरत पड़ने पर ऐसा दर्पण बन जाएं, जिसमें वे अपना सही चेहरा देख सकें।

मदद करें: लंबी दोस्ती चाहते हैं तो दोस्तों की मदद करने के लिए तैयार रहें। उनके लिए आप क्या कर सकते हैं, इस पर विचार करें। उदाहरण के लिए, मेरे एक दोस्त के पिता की मृत्यु हो गयी थी। उस समय उसे जरूरत थी। मैं उसके लिए खाना बनाती थी, ताकि कुछ चीजें आसान हो सकें। उन तक ये संदेश पहुंचे कि लोग उनका ध्यान रखते हैं।

दयालु बनें: आप किसी भी समय और परिस्थिति में रह रहे हों, दया और करुणा के भावों की जरूरत हमेशा रहती है। मैं यह नहीं कह रही कि मैं हमेशा ही इन भावों में रहती हूं, पर मेरी यह इच्छा जरूर है। यदि किसी ने कोई गलती की है तो भी पहल करके बात को संभालने की कोशिश करें।

आभार व्यक्त करें: अक्सर हम दोस्तों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। उनकी अनदेखी करने लगते हैं। अगर दोस्ती को मजबूती देना चाहते हैं तो उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करें। अपने शब्दों व कार्यों से उनको प्यार दें। हर व्यक्ति को पसंद आता है कि कोई उसका महत्व समझ रहा है।
        


तीन नियम
1- मन:
  सवाल आपका और आपके भविष्य का है, चिंता  होगी ही। पर धर्म गुरु दलाई लामा ऐसा नहीं मानते। वे कहते हैं, 'अगर कष्ट है तो यह सोचें कि उसे दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है। अगर कुछ कर सकते हैं तो चिंता की बात ही नहीं है। और कुछ कर नहीं सकते तो चिंता करने की जरूरत ही नहीं। इसलिए चिंता फिजूल ही है।'

2- वचन: खरी बातें कहना अच्छा लगता है, पर सुनना नहीं। दूसरों से कहते जरूर हैं कि वे आपके बारे में सच बताएं, पर सुनना तारीफ ही चाहते हैं। सही आलोचना और सलाहें बर्दाश्त नहीं होतीं। 'लैटर्स टू हिज सन' में लॉर्ड चेस्टरफील्ड लिखते हैं, 'सलाहें कम ही पसंद आती हैं। जो इन्हें सबसे ज्यादा चाहते हैं, वे ही इन्हें नापसंद करते हैं।'

3- काया: पैदल चलना जीवन के कई पक्षों से जुड़ा है। अमेरिकी लेखक जिम बुशर कहते हैं,  'जब मैं दुखी होता हूं, खुद को उलझन में फंसा, अकेला और डरा हुआ पाता हूं तो पैदल सैर के लिए निकल जाता हूं। चलता रहता हूं और फिर कुछ ऐसा मेरे पास आता है, जो मुझे खुशी  देता है। मेरा सारा तनाव हवा में बहकर दूर चला जाता है।
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