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सांसद आदर्श ग्राम योजनाः पहल अच्छी, अभी अमल दूर

स्वराज से सुराज का सपना साकार करने के लिए शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना आठ महीने बाद भी सही दिशा की तलाश में है। पश्चिम बंगाल के 39 सांसदों को छोड़ कर देश के ज्यादातर राज्यों में सांसदों ने गांव...

सांसद आदर्श ग्राम योजनाः पहल अच्छी, अभी अमल दूर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 May 2015 12:56 AM
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स्वराज से सुराज का सपना साकार करने के लिए शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना आठ महीने बाद भी सही दिशा की तलाश में है। पश्चिम बंगाल के 39 सांसदों को छोड़ कर देश के ज्यादातर राज्यों में सांसदों ने गांव चुन लिए हैं। देश के चुनिंदा गांवों में अच्छी शुरुआत भी हुई है, पर स्पष्ट दिशा-निर्देश के बावजूद बड़ी संख्या में सांसद अब भी सरकार से पूछ रहे हैं कि इन गांवों के विकास के लिए पैसा कहां से मिलेगा? इन्हीं मुद्दों पर पेश है पंकज कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट

कई राज्यों की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने अप्रैल में पत्र भेज कर मनरेगा, इंदिरा आवास योजना, नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के एनआरएलएम के फंड से सांसद आदर्श ग्राम के लिए आकस्मिक प्रशासनिक खर्च की अनुमति दे दी है। मौजूदा केंद्रीय योजनाओं के कन्वर्जेंस से विकास का काम करने की अनुमति दी गई है।

कुछ गांवों को प्रगति रिपोर्ट में जगह
योजना पिछले साल 11 अक्तूबर को जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस पर शुरू हुई थी। आठ माह पुरानी योजना में गिने-चुने गांव ही ऐसे मिले हैं, जिन्हें मोदी सरकार की सालाना प्रगति पुस्तक ‘संवाद’ में जगह दी गई है।

676 ग्राम पंचायतों का चुनाव
प्रगति रिपोर्ट में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पीएमओ को बताया कि कुल 676 ग्राम पंचायतों का चयन योजना के तहत किया गया है। अभी सारे गांवों के कामकाज की स्थिति की प्रगति रिपोर्ट मंत्रालय को नहीं मिली है। जमीनी रिपोर्ट हासिल करने का सही मैकेनिज्म भी मंत्रालय नहीं बना पाया है।

प्रधानमंत्री ने प्रयासों को सराहा
‘संवाद’ में जिन तीन गांवों की चर्चा की गई है, उनमें से एक गुजरात के साबरकांठा की जसवंतगढ़ ग्राम पंचायत है। यहां से भाजपा के सांसद दीप सिंह शंकर सिंह राठौड़ ने जेसीबी और ट्रैक्टर खरीदने के लिए इस ग्राम पंचायत के लोगों से ढाई लाख रुपये जुटाए हैं। इनका इस्तेमाल गांव में कच्ची सड़कों का विस्तार करने और तालाबों की खुदाई में किया जा रहा है।

आधार और बैंक खातों से जुड़े
रिपोर्ट में एक नाम कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा द्वारा छत्तीसगढ़ में चुना गया गांव मोहाली का है। यहां सभी राशन कार्डधारी गांव वालों को छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आधार और बैंक खातों से जोड़ दिया गया है। जनवितरण दुकानों की निगरानी के लिए विजिलेंस कमेटी बनाई गई है। सरकार ने गुड गवर्नेंस की दिशा में इसे अच्छी पहल माना है।

शराबबंदी की पहल
केंद्रीय मंत्री अशोक गजपति राजू का आंध्रप्रदेश के विजयनगरम स्थित गांव द्वारापुडी भी अच्छी पहल के लिए चर्चा में है। सांसद ने यहां के लोगों से चर्चा की तो पता चला कि गांव की 50 फीसदी पुरुष आबादी शराब पीती है। सीधे संवाद से बने माहौल से शराब के लाइसेंसधारी व्यक्ति ने खुद ही अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि इन गांवों की नजीर देशभर में पेश की जाए।

सांसद आदर्श ग्राम योजना की अच्छी प्रगति हुई है। सभी दलों के सांसदों ने उत्साह दिखाया है। केंद्र ने सांसदों को हर तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया है। अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। निश्चित ही अच्छे नतीजे सामने आएंगे।
- चौधरी बीरेंद्र सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री

अच्छी योजना है, मगर इसमें सही मायने में सांसदों को भागीदारी करनी होगी। गांवों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार दिलाने और लैंगिक भेदभाव से मुक्त कराने के लिए साझा प्रयास की जरूरत है। सांसद इसे चुनौती के रूप में लें।
- सैयदा हमीद, योजना आयोग की पूर्व सदस्य

2500 गांव बनेंगे आदर्श
प्रधानमंत्री ने योजना शुरू करते हुए कहा था कि फिलहाल इस कार्यकाल में कुल तीन गांव की कल्पना की है। वर्ष 2016 तक एक गांव का मॉडल खड़ा हो जाए। उसके अनुभव के आधार पर वर्ष 2019 तक दो और गांव हो जाएं और आगे चल कर हर वर्ष एक गांव का विकास सांसद करें। करीब 800 सांसद हैं। अगर वर्ष 2019 के पहले तीन गांव का विकास करते हैं तो ढाई हजार तक यह संख्या पहुंच जाएगी।

पैसे वाली योजना नहीं, फिर भी पैसा चाहिए
प्रधानमंत्री ने शुरुआत में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि यह पैसे वाली योजना नहीं है। उन्होंने कहा था कि यह योजना कोई अंतिम नहीं है। इसमें बहुत बदलाव आएंगे। बहुत सुधार आएंगे। बहुत व्यावहारिक बातें आएंगी, लेकिन ये रुपये पैसों वाली योजना नहीं है। यह योजना जन भागीदारी वाली है। लोगों के सहयोग और सांसद के मार्गदर्शन में चलने वाली योजना है। प्रधानमंत्री के स्पष्ट संकेत के बावजूद अब भी ज्यादातर सांसद गांव के विकास के लिए स्पष्ट वित्तीय आवंटन चाहते हैं।

दिल्ली : उम्मीद के मुताबिक नहीं बदली तस्वीर
- झरोड़ा गांव
दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर बसे झरोड़ा गांव में बीते साल भर में कुछ भी नहीं बदला है। साल भर पहले भी यहां लोगों को पानी की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता था और आज भी यहां पानी के लिए लोगों को जल बोर्ड के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि इलाके के सांसद प्रवेश वर्मा ने पिछले साल गांव वालों से पानी की समस्या को दूर करने का भरोसा दिया था। ग्रामीण मनोज ने बताया कि कई जगह बोरिंग कराई गई है, लेकिन पानी खारा होने की वजह से इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। पिछले साल सांसद ने गांव वालों को पीने लायक पानी मुहैया कराने की बात की थी, लेकिन इस संदर्भ में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। वहीं शमशेर सिंह ने बताया कि गांव में पानी की समस्या के अलावा नाली और सीवर की समस्या एक अहम मुद्दा है। सांसद द्वारा गांव को लेने के बाद यहां कई बार अधिकारियों का दल आया और आश्वासन देकर गया कि अगले कुछ दिनों में नाले और सीवर बनाने के काम शुरू
हो जाएंगे।

वहीं क्षेत्र के सांसद प्रवेश वर्मा ने बताया कि गांव में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए योजनाओं को लेकर काम अगले कुछ दिनों में शुरू कर दिया जाएगा। इसका फायदा लोगों को लंबे समय तक हो इसके लिए योजनाएं तैयार करने में हमें भले थोड़ा समय लगा है, लेकिन हम काम पुख्ता तौर पर करना चाहते थे।

- पिलंजी गांव
दक्षिणी दिल्ली के पिलंजी गांव में बंद पड़े सीवर की समस्या बीते कई सालों से बनी हुई है। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के गांव को गोद लेने के बाद यहां लोगों में उम्मीद की किरण जगी थी, लेकिन छह-सात महीने बीतने के बावजूद गांव में विकास की एक ईंट तक नहीं रखी गई है। गांव को गोद लेने से पहले भी वह यहां आईं थी और इलाके में विकास की बात कही थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि अगले कुछ महीनों में गांव में टूटी सीवर लाइन की जगह नई सीवर लाइन बिछाई जाएगी, साथ ही पेयजल की समस्या को भी दूर किया जाएगा, लेकिन इतना समय गुजर जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। जहां तक साफ-सफाई की बात है तो उसकी हालत भी बदतर ही है। ग्रामीण रीतेश ने बताया कि गांव में विकास कार्य के नाम पर कुछ नहीं हुआ। आज भी हम सुबह मुख्य सड़क पर सीवर के जमा पानी से होकर गुजरने को मजबूर हैं। हाल यह है कि गांव वालों की जरूरतों के बारे में भी पूछने के लिए एक अधिकारी तक नहीं आया।

लोगों ने इस समस्या को लेकर बीते छह महीने में इलाके की सांसद से कई बार मुलाकात की, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया। गर्मी के दिनों में इलाके के लोग अपनी तरफ से पानी के टैंकर की व्यवस्था करते हैं। हालांकि सांसद ने इन समस्याओं को जल्द दूर करने का आश्वासन दिया है।

 

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