ऑफिस में पेशेवर हो आपकी छवि
किसी भी व्यक्ति की तरक्की में उसकी पेशेवर छवि बहुत मायने रखती है। इसलिए समय रहते अपनी पेशेवर छवि पर ध्यान देना बेहद जरूर होता है। दफ्तर में कैसे निखरे आपकी छवि? बता रही हैं वन्या एक बड़ी कॉरपोरेट...
किसी भी व्यक्ति की तरक्की में उसकी पेशेवर छवि बहुत मायने रखती है। इसलिए समय रहते अपनी पेशेवर छवि पर ध्यान देना बेहद जरूर होता है। दफ्तर में कैसे निखरे आपकी छवि? बता रही हैं वन्या
एक बड़ी कॉरपोरेट कंपनी में काम करने वाले दीपक ने नौकरी के पहले दिन से ही सिर्फ काम पर ध्यान दिया। वह समय से दफ्तर पहुंचता, अपने हिस्से का काम पूरी ईमानदारी से करता और शाम को घर वापस चला जाता। न किसी के साथ चाय पीता और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लेता। कुछ दिनों तक कंपनी में उसे कोई दिक्कत नहीं थी। हर कोई उसके शांत स्वभाव और मेहनतकश रवैये की कद्र करता। कभी कोई उससे मदद मांगता, थोड़ा सा अतिरिक्त काम करने को कहता तो वह मना नहीं करता।
उसका यह रवैया सबको बड़ा अच्छा लगता। लेकिन धीरे-धीरे उससे मदद मांगने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इससे उसका अपना काम प्रभावित होने लगा। लिहाजा दीपक ने खुद को थोड़ा बदलने की ठानी। अब वह दूसरों का काम तभी करता, जब उसका अपना काम निबट जाता। कोई बहुत दबाव बनाता तो अपने मैनेजर को काम लेट होने की वजह बता देता। एक-दो बार तो उसने काफी तल्ख अंदाज में मदद करने से मना कर दिया। दीपक का यह बदला हुआ रूप उससे अकसर अपना काम कराने वालों को पसंद नहीं आया। उन लोगों ने दीपक के बारे में अनाप-शनाप प्रचार करना शुरू कर दिया।
मैनेजर से उसकी शिकायतें करने लगे। दीपक काम में धीमा और सुस्त है, उसका व्यवहार खराब है। वह काम तो कर लेता है, लेकिन अपनी ही तरह से चलता है आदि। ये लोग मैनेजर ही नहीं, कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भी उसकी इमेज बिगाड़ने में पीछे नहीं रहते।
वहीं दूसरी ओर आकाश का काम में हाथ थोड़ा तंग था। जब देखो किसी न किसी के साथ चाय की दुकान पर दिखता। इसकी बुराई उससे और उसकी बुराई किसी और से करने में उसे बहुत मजा आता। काम आया नहीं कि किसी दूसरे की ओर ठेल दिया और जब काम गिनाने की बारी आए तो सबसे आगे। जो लोग उसका काम कर दें, वो हुनरमंद और जो काम नहीं करें वो उसके निशाने पर। कुछ समय तक तो वह मन की करता रहा, लेकिन जल्द ही उसकी भी इमेज का बट्टा बैठ गया। दरअसल नए लोग आने के साथ ही आकाश का मैनेजमेंट फ्लॉप होने लगा।
दीपक और आकाश जैसे बहुत से लोग हमारे ईद-गिर्द होते हैं। इस तरह के लोगों की तरक्की में बड़ी बाधा बनती है खराब छवि। विशेषज्ञ कहते हैं कि दफ्तर में दीपक जैसे लोगों को लगता है कि वे बेहतर काम जानते हैं इसलिए उन्हें किसी से बात करने की क्या जरूरत। उन्हें तो किसी की मदद की जरूरत पड़ती नहीं तो क्यों किसी के साथ तालमेल बैठाया जाए। ऐसे लोग अपने कार्यस्थल में साथियों के साथ घुलने-मिलने से बचते हैं। उन्हें कोई चर्चा में शामिल करने की कोशिश भी करे तो पलट कर तल्ख जवाब देते हैं। ऐसे में लोग उनसे बातचीत में पहल करने में डरते हैं। किसी मुद्दे पर उनका समर्थन नहीं करते। उनकी छवि गैरमिलनसार कर्मचारी की बनने लगती है। वहीं आकाश जैसे कर्मचारी काम पर ध्यान देने की बजाय चीजें मैनेज करने में ही लगे रहते हैं। इससे धीरे-धीरे वे काम में पिछड़ते जाते हैं। हालांकि दफ्तर में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ काफी ऊपर होता है, लेकिन परफेक्शन के साथ काम न कर पाने, हमेशा किसी की मदद मांगने और चुनौती न लेने की वजह से वे पिछड़ते जाते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक दफ्तर में ज्यादातर लोग तकनीकी रूप से दक्ष, सामाजिक सरोकारों से जुड़े, मेहनती, अपने काम, अपनी टीम और कंपनी के प्रति समर्पित, अच्छे आचरणवाले और ईमानदार व्यक्ति की छवि चाहते हैं। इस छवि की इच्छा रखना अच्छी बात है। लेकिन इस छवि की इच्छा रखने वालों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि दफ्तर में बेहतर छवि सिर्फ काम से ही बनती है। अगर आप काम नहीं जानते होंगे तो कितनी भी चीजें मैनेज करें, एक न एक दिन आपकी असलियत सामने आ ही जाएगी। हां, अगर आप काम के साथ कुछ बातें मैनेज करना भी जानते हैं तो आपकी राह आसान हो सकती है। इसलिए दफ्तर में पहली प्राथमिकता काम है। खूब काम करें और साथ ही वक्त निकाल कर सहकर्मियों से मेल-जोल भी बढ़ाएं। कभी कोई रुचिकर किस्सा सुना कर, कभी किसी सेलिब्रेशन के बहाने तो कभी किसी जरूरतमंद की मदद कर आप लोगों के करीब आ सकते हैं। इससे आपकी सकारात्मक छवि बनेगी। इसके अलावा भी कई अन्य बातें हैं, जो छवि निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं-
जो कहें वो करें, जो कर सकें वही कहें
दफ्तर में आप क्या और कितना काम करते हैं, लोगों की नजरें हमेशा इस पर बनी रहती हैं। आपसे काम में कोई कमी छूटी नहीं या किसी काम के लिए आपके मुंह से ना निकली नहीं कि लोग बतंगड़ बनाए बिना नहीं रहेंगे। इसलिए दफ्तर में हमेशा अपने काम पर फोकस रहें। जिस भी एसाइनमेंट को हाथ में लें उसे पूरी शिद्दत के साथ समय से पूरा करें। जो काम आपकी सीमाओं में न हो उसके बारे में अपने सीनियर से स्पष्ट कहें। अगर किसी काम में किसी साथी कर्मचारी या सीनियर की मदद ले रहे हैं तो उसका विनम्रता से आभार व्यक्त करें। उसके काम का उसे पूरा श्रेय दें।
मददगार बनें
एक शोध के मुताबिक दफ्तर में सबसे ज्यादा उन्हीं लोगों को पसंद किया जाता है, जो साथियों की मदद करने में सबसे आगे रहते हैं। मदद कई तरह की हो सकती है। जैसे अगर कोई साथी कर्मचारी किसी दिन आधा घंटा पहले जाना चाहता है तो खुद से पहल कर उस दिन उसके हिस्से का काम करके आप उसकी मदद कर सकते हैं। अगर आपके पास कार है तो अपने घर के पास ही रहने वाले कलीग को जरूरत पड़ने पर उसके घर तक छोड़ सकते हैं, किसी कलीग को आर्थिक मदद चाहिए, तो वह भी दे सकते हैं। इससे दफ्तर में आपकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। लेकिन मदद करते समय ढिंढोरा न पीटें यानी आपने किसी की क्या मदद की है यह दफ्तर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए। यही नहीं, दफ्तर में जो व्यक्ति आपसे जितनी मदद की अपेक्षा करे, उससे अधिक उसकी मदद करने की कोशिश करें। जैसे दफ्तर में किसी ने आपसे एक कॉन्टेक्ट नंबर मांगा तो आप उसे एक ही नहीं, ज्यादा कॉन्टेक्ट नंबर देने की कोशिश करें। अगर कोई आप से 24 घंटे के भीतर कोई जानकारी मुहैया करवाने की उम्मीद कर रहा है तो आप 12 घंटे में ही जानकारी जुटा कर दे सकते हैं। ये छोटे-छोटे तरीके आपकी छवि निखारने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
निरंतरता है बेहद जरूरी
कुछ लोग कभी-कभी ही व्यवहार से लेकर काम करने में काफी सक्रियता दिखते हैं, इसका छवि पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोग अकसर अप्रेजल टाइम से पहले काम में तेजी दिखाते हैं और अप्रेजल होते ही काम से जी चुराने लगते हैं। इनकी छुट्टियों की लिस्ट हमेशा तैयार रहती है। दफ्तर में भी इनका जितना ध्यान अपने काम पर होता है, उससे ज्यादा ध्यान मैनेजर के केबिन पर। मैनेजर दफ्तर से निकले नहीं कि बैग उठाकर वे भी भाग निकलते हैं।
यह प्रवृत्ति न सिर्फ सहकर्मियों की निगाह में, बल्कि मैनेजर की निगाह में आपकी छवि खराब करती है। इसी को ध्यान में रखकर निरंतरता बनाए रखें।
बनें भरोसेमंद और जिम्मेदार
मिस्टर भरोसेमंद की छवि हर जगह कारगर सिद्ध होती है। इसलिए अपनी छवि को भरोसेमंद कर्मचारी की छवि में तब्दील करें। इसके लिए समय से काम पूरा करें। अगर कोई काम हाथ में लिया है तो उसे हर हाल में पूरा करके दें। कुछ लोग उत्साह में आगे बढ़ कर काम तो ले लेते हैं, लेकिन अंतिम समय तक काम करके नहीं देते। 'घर में कोई बीमार हो गया था, मेरी तबियत ठीक नहीं है, कंप्यूटर में से फाइल उड़ गई।' वे इस तरह के बहाने बना कर काम टालते हैं। ये सब बातें कंपनी का तो नुकसान करती ही हैं, उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचाती हैं। यही नहीं, अपनी जिम्मेदारी से जुड़ा हर काम पूरी शिद्दत से करें। अगर दफ्तर में कुछ अतिरिक्त काम आ गया है तो उसे पूरा करने में भी पूरा योगदान देंं। इस समय छुट्टी न लें। यहां छुट्टी मांगने का मतलब काम से भागने के रूप में लिया जा सकता है।
नेटवर्किंग भी है जरूरी
छवि बनाने में फीडबैक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और आपका नेटवर्क इसमें काफी मददगार हो सकता है। दरअसल नेटवर्क जितना विस्तृत, समृद्ध और आपका पक्षधर होगा, आपके बारे में उतना ही बढि़या फीडबैक मैनेजमेंट को मिलेगा। लगातार एक ही तरह का फीडबैक आपके मैनेजर के दिमाग में आपकी एक छवि बनाता है। इसलिए अपना मजबूत नेटवर्क बनाएं। नेटवर्क में हर तरह के लोगों को शामिल करें। इससे फीडबैक के अतिरिक्त आपको समय-समय अन्य मदद भी मिल सकेगी।