झारखंड में मुकदमों के निपटाने की रफ्तार हुई तेज
एक तरफ जहां जजों की कमी के कारण अदालतों में मामलों के बढ़ते बोझ चिंता की बात बनी हुई है, वहीं झारखंड में हालत बेहतर हुआ है। यहां हाईकोर्ट समेत निचली अदालतों में मामलों के निष्पादन में तेजी आयी है।...
एक तरफ जहां जजों की कमी के कारण अदालतों में मामलों के बढ़ते बोझ चिंता की बात बनी हुई है, वहीं झारखंड में हालत बेहतर हुआ है। यहां हाईकोर्ट समेत निचली अदालतों में मामलों के निष्पादन में तेजी आयी है।
पिछले साल की तुलना में झारखंड हाईकोर्ट में इस बार करीब नौ हजार से अधिक मामलों का निष्पादन किया गया। इसी प्रकार निचली अदालतों में भी आठ फीसदी अधिक मामलों निपटाए गए। पिछले साल जनवरी से सितंबर तक हाईकोर्ट में 22327 मामलों का निष्पादान हुआ था, जबकि 2016 में इस अवधि तक 31314 मामलों का निष्पादन किया गया। 2015 में पहली बार हाईकोर्ट में पहली बार दायर मुकदमों से अधिक लंबित मामलों का निष्पादन किया गया। हाईकोर्ट में लंबित पांच साल से अधिक पुराने मामलों के निष्पादन में भी तेजी आयी है। ऐसे मामलों में 170 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी हुई है। आपराधिक मामलों के निष्पादन में भी 60 फीसदी अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
निचली अदालतों में निष्पादन दर आठ फीसदी बढ़ी
राज्य के निचली अदालतों में भी निष्पादन दर में तेजी आयी है। 2014 में राज्य की निचली अदालतों में 1100678 मामलों का निष्पादन हुआ था जबिक 2015 में 1118845 मामलों का निष्पादन किया गया।