फोटो गैलरी

Hindi Newsबैक्टीरिया और डस्ट प्रूफ छत नैनो तकनीक से संभव: मुखर्जी

बैक्टीरिया और डस्ट प्रूफ छत नैनो तकनीक से संभव: मुखर्जी

नैनो तकनीक हमारे जीवन को अनेक रूप में बेहतर बना रहा है। आधुनिक युग में नैनो तकनीक का उपयोग मेडिकल साइंस से लेकर विशिष्ट किस्म के कपड़े बनाने में भी हो रहा है। आयुर्वेद में सिल्वर नैनोपार्टिकल्स का...

बैक्टीरिया और डस्ट प्रूफ छत नैनो तकनीक से संभव: मुखर्जी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 07 Mar 2017 09:23 PM
ऐप पर पढ़ें

नैनो तकनीक हमारे जीवन को अनेक रूप में बेहतर बना रहा है। आधुनिक युग में नैनो तकनीक का उपयोग मेडिकल साइंस से लेकर विशिष्ट किस्म के कपड़े बनाने में भी हो रहा है। आयुर्वेद में सिल्वर नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल कर उम्र बढ़ाने की दवा बनायी जाती है। इसके अलावा नैनो कैप्सूल और नैनो रोबोट मेडिकल साइंस में इलाज करने में उपयोग में लाए जा रहे हैं। यह कहना है साहा इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलाजी, कोलकाता के प्रो मानवेन्द्र मुखर्जी का।

वे झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) में भौतिकी विभाग की ओर से एक दिनी विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय ‘नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजीः ए प्रॉमिस फॉर फ्यूचर था। उन्होंने कहा कि कार्बन नैनोट्यूब्स जो ग्रेफाइट से बनता है, स्टील से भी ज्यादा मजबूत होता है। नैनो तकनीक से बने ग्रैफिन शीट से भविष्य की मजबूत छत बनायी जा सकती है। नैनो वायर का इस्तेमाल कर ट्रांजिस्टर बनाया जा रहा है। इस तकनीक से ऐसे कपड़े बनाए जा रहे हैं, जो वाटरप्रूफ होने के साथ बैक्टीरिया-प्रूफ एवं डस्ट-प्रूफ भी हैं।

उन्होंने छात्रों से कहा कि इससे भविष्य में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। इस क्षेत्र में शोध और विकास कार्य कम संसाधनों में भी किया जा सकता है। अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति प्रो नंद कुमार यादव ‘इन्दु ने कहा कि विज्ञान ने मानव विकास के प्रत्येक चरण में अहम भूमिका निभायी है। आज मनुष्य जहां है, वह विज्ञान एवं तकनीक के कारण संभव हो पाया है। नैनो तकनीक भविष्य को बेहतर बना सकती है। मौके पर प्रो एएन मिश्र ने भी विचार व्यक्त किया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें