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झारखंड में गांव के स्तर पर बने जल नीति : राजेन्द्र सिंह

जल पुरुष डॉ राजेन्द्र सिंह ने झारखंड में जल संरक्षण के लिए गांव स्तर पर नीति बनाने पर जोर दिया। कहा कि राज्यस्तरीय जल नीति बनाने से यह समस्या दूर नहीं होगी। राजेंद्र सिंह शनिवार को गोस्सनर थियोलॉजिकल...

झारखंड में गांव के स्तर पर बने जल नीति : राजेन्द्र सिंह
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 09 Apr 2017 02:11 AM
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जल पुरुष डॉ राजेन्द्र सिंह ने झारखंड में जल संरक्षण के लिए गांव स्तर पर नीति बनाने पर जोर दिया। कहा कि राज्यस्तरीय जल नीति बनाने से यह समस्या दूर नहीं होगी। राजेंद्र सिंह शनिवार को गोस्सनर थियोलॉजिकल हॉल में वर्तमान झारखंड में कृषि संकट विषय पर आयोजित गोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। दो दिवसीय इस गोष्ठी का आयोजन एनजीओ बिरसा, अखरा और एसपीडब्ल्यू द्वारा किया गया है।

डॉ सिंह ने कहा कि मरी हुई नदी को जिंदा करना कोई चमत्कार नहीं है। ये काम हम मिलकर कर सकते हैं। पहले भारत के लोग पानी संरक्षण में विश्व गुरु माने जाते थे, लेकिन अब हम इस मामले में काफी पीछे हो गए हैं। पीने के पानी से गाड़ियां धोते हैं। सुखाड़ और बाढ़ दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस दिन भारत के लोग बरसात के पानी से धरती का पेट भरना जान जाएंगे, उस दिन जल संकट की समस्या दूर हो जाएगी। राजस्थान में लोगों के प्रयास की देन है कि रेड जोन में बादल बरस रहा है। पोखर, कुआं और तालाब की नीति को समझना होगा। यहां खेत में पड़ने वाले पेड़ को काटने की सलाह दी जाती है, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं होता। खेत में पेड़ रहने से पानी का स्तर बना रहता है।

डॉ सिंह ने कहा कि पलामू में पानी का परम्परागत मैकेनिज्म था, जो बिगड़ चुका है। हमें नीर, नारी और नदी का सम्मान करना सीखना चाहिए। यूनिवर्सिटी में टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और प्रबंधन के छात्रों को प्रकृति का दोहन कर मुनाफा कमाने की शिक्षा दी जाती है। हमें सामुदायिक जल प्रबंधन की ओर जाना होगा। गांव के लोग इसका प्रबंधन करें। यहां मिट्टी का कटाव रोकना जरूरी है।

कृषि अर्थशास्त्री देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि सोची समझी रणनीति के तहत कृषि को समाप्त किया जा रहा है। प्रो रमेश शरण ने सब्जी, तेलहन और दलहन की खेती पर जोर दिया। प्रो. जॉ हिल बिरसा माइंस मॉनिटरिंग सेंटर के लिए तैयार शोध पत्र प्रस्तुत किया। पद्मश्री सिमोन उरांव ने जंगल की कटाई रोकने पर जोर दिया।

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