सूबे के स्कूलों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई हो: केंद्रीय सरना समिति
केंद्रीय सरना समिति ने सरकार से स्कूलों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई कराने की मांग की है। निजी विद्यालयों में बीपीएल परिवार के बच्चों के नामांकन के लिए माप दंड तैयार करने की भी मांग की है, जिससे आदिवासी...
केंद्रीय सरना समिति ने सरकार से स्कूलों में जनजातीय भाषा की पढ़ाई कराने की मांग की है। निजी विद्यालयों में बीपीएल परिवार के बच्चों के नामांकन के लिए माप दंड तैयार करने की भी मांग की है, जिससे आदिवासी बच्चों का नामांकन शत-प्रतिशत निजी विद्यालयों में हो सके। समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की व महासचिव संतोष तिर्की ने शनिवार को रांची में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
समिति के दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य के सभी उच्च एवं प्राथमिक स्कूलों में कुडुख, मुंडारी, संताली, खड़िया व हो एवं क्षेत्रीय भाषा नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया आदि भाषाओं की पढ़ाई होनी चाहिए। इसके अलावा राज्य के वीर सपूतों, विशिष्ट हस्तियों व आंदोलनकारियों की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। इससे राज्य की सभ्यता, संस्कृति व ऐतिहासिक विरासत संरक्षित हो सकेगा। उन्होंने निजी विद्यालयों में बीपीएल श्रेणी में आदिवासी बच्चों का सत-प्रतिशत नामांकन हो इसके लिए भी सरकार से कदम उठाने की मांग की। प्रेस कांफ्रेस में सत्यनारायण लकड़ा, माधो कच्छप और अनिता गाड़ी सहित कई लोग उपस्थित थे।