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मकर संक्रांति 14 जनवरी को, गंगा स्नान और दान-पुण्य का महत्व

राजधानी पटना सहित पूरे प्रदेश में माघ कृष्ण द्वितीय शनिवार 14 जनवरी को अश्लेषा नक्षत्र में मकर संक्रांति मनायी जाएगी। इस दिन भगवान भास्कर के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने से मकर संक्रांति मनायी...

मकर संक्रांति 14 जनवरी को, गंगा स्नान और दान-पुण्य का महत्व
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 12 Jan 2017 08:44 PM
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राजधानी पटना सहित पूरे प्रदेश में माघ कृष्ण द्वितीय शनिवार 14 जनवरी को अश्लेषा नक्षत्र में मकर संक्रांति मनायी जाएगी। इस दिन भगवान भास्कर के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने से मकर संक्रांति मनायी जाती है। इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण भी हो जाएंगे। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि भीष्म पितामह ने भी सूर्य भगवान के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी। इस दिन उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। खरमास मास भी समाप्त हो जाएगा और शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। धर्म मास माघ का भी शुभारंभ सौर कर्म से शुरू हो जाएगा।

कल पूरे दिन मकर संक्रांति रहेगी

ज्योतिषाचार्य मार्कण्डेय शारदेय ने बताया कि शनिवार की दोपहर 1.56 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। परंतु मकर संक्रांति पूरे दिन रहेगी। गंगास्नान और दान सुबह से ही किया जाएगा।

शुभ संयोगों में मनेगी मकर संक्रांति

ज्योतिषी पीके युग के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य के आगे बुध और पीछे शुक्र जैसे शुभ ग्रहों के रहने से शुभ करतरी योग का संयोग है। शुक्र के साथ मंगल के भी रहने से शूपरिजात योग और सूर्य के आगे-पीछे ग्रह रहने से उभयचरी योग रहेगा। यह संयोग राज्य के लिए शुभ फलदायी है। उभयचारी योग से शासन सत्ता में पैनापन दिखने के साथ लोकहित में बड़े फैसले लिये जाएंगे।

खरमास समाप्त होगा,शुभ मांगलिक कार्य शुरू होंगे

आचार्य बैद्यनाथ झा शास्त्री के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त हो जाएगा और शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। उत्तरायण में मृत्यु होने पर देवलोक की प्राप्ति होती है। क्योंकि सूर्य का अयण देवता मुख होता है। इसके बाद दिन भी बड़े होने लगेंगे और ठंड कम होने लगेगी।

गंगास्नान,दान से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल

ज्योतिषी इंजीनियर प्रशांत कुमार के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगास्नान और तिल,गुड़,चूड़ा-दही, खिचड़ी, वस्त्र, लकड़ी और अग्नि दान अति फलदायी होता है। गंगा स्नान-दान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। माघ स्नान भी संक्रांति से ज्योतिषी डा.राजनाथ झा के मुताबिक खरमास की समाप्ति के साथ धर्म मास माघ शुरू होगा। माघ में मां गायत्री और सूर्य की उपासना प्राचीन काल से की जाती है। पूरे माघ मास में प्रात:स्नान की परंपरा है। इससे सूर्य की ऊर्जा मिलती है।

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