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राष्ट्रपति के तीखे बोल, मनोविकार है आतंकवाद

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लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Mar 2017 09:46 AM

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुनियाभर में फैल रही हिंसा, नफरत और आतंकवाद पर तीखा प्रहार किया और कहा है कि इस पर जीत हासिल करने का ठोस विकल्प बौद्ध मार्ग हो सकता है। राजगीर पहुंचे राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी बुद्धिज्म को मानते थे। आज गांधी की सोच को अपनाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि दुनिया आज हिंसा, नफरत और आतंकवाद से जूझ रही है। आज-कल कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब दुनिया के किसी कोने में हिंसा नहीं होती। दरअसल आतंकवाद एक मनोविकार है। इसे शिक्षा के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है।

राष्ट्रपति राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में रविवार को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब होता है दिमाग का विकास। क्रोध और हिंसा से मुक्त दिमाग। इस क्रम में उन्होंने नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों की चर्चा की और कहा कि पहले शिक्षकों और छात्रों में गंभीर संवाद होते थे। शिक्षक छात्र को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते थे कि वे सवाल पूछें। उसका सकारात्मक जवाब शिक्षक देते थे। आज के दौर में इसका अभाव दिखता है। इस बात पर दुख व्यक्त किया कि पर्यटकों और विद्यार्थियों पर कई देशों में हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भी बुद्धिज्म को मानते थे। आज गांधी की सोच को अपनाने की जरूरत है।      

राजगीर में रविवार को बौद्ध सम्मेलन के समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व सीएम नीतीश कुमार।
दुनिया में पर्यावरण की तरह ही मानव की सोच भी प्रदूषित हो रही है। आतंकवाद की चुनौती से निपटने में बौद्ध सम्मेलन सहायक होगा।     

-प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति

बुद्ध का मध्यम मार्ग ही दिखा सकता है रास्ता : नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दुनिया में अशांति है। एक-दूसरे के खिलाफ अविश्वास, नफरत और असहिष्णुता का माहौल पैदा हुआ है। ऐसे में महात्मा बुद्ध का मध्यम मार्ग एक रास्ता दिखा सकता है।

उन्होंने कहा कि मैं किसी देश का नाम लेना मुनासिब नहीं समझता। लेकिन आपलोग नजरें दौड़ा कर देखें कि दुनिया में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने की कोशिश के दौरान ही हमने सुझाव दिया था कि यहां कॉनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन सेंटर स्थापित किया जाए। इसके लिए बिहार सरकार जमीन देगी। आज मुझे खुशी है कि इसकी पहल की जा रही है। दुनिया के लोग यहां आएं, अमन-चैन का माहौल पैदा करने पर मंथन करें। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में शांति, सौहार्द और सहिष्णुता का माहौल है। गुरु गोविंद सिंह का 350वां प्रकाशोत्सव और बोधगया में कालचक्र की पूर्ण सफलता इसका परिचायक है।

समापन समारोह
-नालंदा में कॉनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन सेंटर की पहल खुशी की बात
-दुनिया के लोग अमन-चैन का माहौल पैदा करने पर मंथन करें 

दस फीसदी नई पीढ़ी भी र्अंहसा के महत्व को अंगीकार कर लेगी तो अगले 20 सालों में माहौल पूरी तरह बदल जाएगा। हिंसा, विवाद व असहिष्णुता फैलाने वालों की दाल नहीं गलेगी। गांधी के विचारों से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी अहिंसा की ताकत को समझे। 
-नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

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राष्ट्रपति के तीखे बोल, मनोविकार है आतंकवाद

अच्छा नागरिक बनने का संकल्प लेकर जाएं : प्रणब मुखर्जी  
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन में आये लोगों से अपील की कि वे अच्छा नागरिक बनने का संकल्प लेकर जाएं। यह भी संकल्प लें कि इस दुनिया को एक सुंदर और शांति स्थल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। राष्ट्रपति ने उम्मीद जतायी कि राजगीर में हुए तीन दिवसीय बुद्धिस्ट सम्मेलन से ऐसी बातें और विचार दुनिया में फैलेगी जो लोगों के मन से नफरत और क्रोध को दूर करेगी। यह आयोजन पूरी दुनिया के आतंकवाद की चुनौती पर काबू पाने में सहायक बनेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज विश्व संकट से गुजर रहा है। दिन-प्रतिदिन दुनिया जटिल हो रही है। इस संकट के दौर में मानव सभ्यता को कैसे बचाया जाय, यह सवाल आज विश्व के समक्ष खड़ा है। ऐसे समय में महात्मा बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। बौद्ध धर्म ने ही सम्राट अशोक को भी प्रभावित किया और उन्हें नये रास्ते पर ले गया। उन्होंने कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तृतीय शताब्दी ईशा पूर्व से 12वीं सदी तक उत्कृष्ट शिक्षा के केंद्र रूप में दुनिया में विख्यात रहा। यहां खुले दिमाग से वाद-विवाद होते थे। आचार्यों के द्वारा विद्यार्थियों का मानसिक विकास किया जाता था। हिंसा और नफरत आज हमारी विरासत को भी प्रभावित कर रही है। हिंसा और नफरत की आग कब खत्म होगी, यह पूरे विश्व के लिए चुनौती है।  

आयोजन 
-राजगीर में हुए अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन में राष्ट्रपति ने किया आह्वान
-सीएम ने चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह में आने का दिया न्योता

युवा पीढ़ी को अहिंसा की ताकत से अवगत कराएंगे : नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गांधी की चंपारण यात्रा के सौ साल पूरे होने पर दस अप्रैल से कई कार्यक्रम राज्यभर में चलेंगे। इसी क्रम में गांधी के विचारों से नई पीढ़ी को अवगत कराया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी र्अंहसा की ताकत को समझे। मुख्यमंत्री ने 17 अप्रैल को पटना में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आने का न्योता भी दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दस फीसदी नई पीढ़ी भी अहिंसा के महत्व को अंगीकार कर लेगी तो अगले 20 सालों में माहौल पूरी तरह बदल जाएगा। हिंसा, विवाद और असहिष्णुता फैलाने वालों की दाल नहीं गलेगी। 

हमलोग बिहारी ‘ब’ पर अधिक जोर देते हैं, इसलिए बिहार बोलते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में ही पहली बार प्राचीन काल में बौद्ध सम्मेलन हुआ था। महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में भी राजगीर आये थे। यह जो बिहार राज्य है, दरअसल में विहार है। हमलोग बिहारी ‘ब’ पर अधिक जोर देते हैं, इसलिए बिहार बोलते हैं। बाद के क्रम में यह बोला गया कि बिहार में बहार है। उन्होंने कहा कि राजगीर भगवान महावीर का भी क्षेत्र रहा है। गुरुनानक सिंह महाराज और इस्लाम धर्म के सूफी संत का भी यहां निवास हुआ था। 

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बुद्धिज्म में विश्व की अधिकतर समस्याओं के समाधान की क्षमता : कोविन्द

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और नव नालंदा महाविहार के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया। राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के सभागार में आयोजित समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। नव नालंदा महाविहार के अध्यक्ष और सूबे के राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद ने कहा कि वे कई बार महाविहार आ चुके हैं। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में महाविहार निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के समय में चर्चित विपश्यना की परंपरा को महाविहार ने आज भी जिंदा रखा है। यह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन में यह बात उभरकर सामने आयी है कि आज विश्व की अधिकतर समस्याओं के समाधान की क्षमता बुद्धिज्म में है। संभवत: यही कारण है कि बहुत सारे लोग मानते हैं कि बुद्धिज्म ही भविष्य का धर्म है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी फॉर तिब्बतन स्टडीज, सारनाथ के कुलपति प्रोफेसर जी नवांग ने कहा कि नव नालंदा महाविहार ने स्थापना के कुछ ही वर्षों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। कई उपलब्धियां भी हासिल की है। त्रिपिटिक के देवनागरी संस्करण का 41 खंडों में प्रकाशन कर महाविहार ने छात्रों और शोधार्थियों को एक अनोखा उपहार दिया है। इतना ही नहीं यहां बुद्धिस्ट साइंस विभाग खुलने से छात्रों को काफी लाभ मिलेगा। कार्यक्रम की शुरुआत में नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ एम एल श्रीवास्तव ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राज्यपाल रामनाथ र्कोंवद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शॉल,  गुलदस्ता व मोमेंटो देकर उनका स्वागत किया।

सम्मेलन का समापन
-कहा-विपश्यना की परंपरा को जिंदा रखना महत्वपूर्ण
-अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में निरंतर आगे बढ़ रहा महाविहार
30 देशों के विद्वान प्रतिभागी सम्मेलन में हुए शामिल

बुद्धिज्म से ही मानव जीवन की बेहतरी संभव
समापन समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त सचिव और नव नालंदा महाविहार के कुलपति डॉ एमएल श्रीवास्तव ने कहा कि सम्मेलन में 3 दिनों तक चले सत्रों में उन बिन्दुओं को खोजने की कोशिश की गई कि सामाजिक उत्थान के लिए बुद्धिज्म किस रूप में मददगार हो सकता है। इन सत्रों में 30 देशों से आए विद्वान प्रतिभागियों ने सामाजिक संघर्ष, हिंसा और बुद्धिस्ट साइंस के अलावा कई अन्य प्रासंगिक विषयों पर अपने विचार रखे। यह बात उभरकर सामने आई कि हर व्यक्ति के मन में शांति लाए बिना संसार में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। बुद्धिज्म से ही मानव जीवन की बेहतरी संभव है। 

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