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पाठय-पुस्तक घोटाले की निगरानी जांच ठंडे बस्ते में

बिहार टेक्स्टबुक पाठ्य-पुस्तक घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है। इस घोटाले की जांच शुरू हुए छह माह हो गए, लेकिन अब तक निगरानी जांच टीम अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। अब तक इसमें एक भी...

पाठय-पुस्तक घोटाले की निगरानी जांच ठंडे बस्ते में
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 30 Apr 2017 07:44 PM
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बिहार टेक्स्टबुक पाठ्य-पुस्तक घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है। इस घोटाले की जांच शुरू हुए छह माह हो गए, लेकिन अब तक निगरानी जांच टीम अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। अब तक इसमें एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। ब्यूरो के एएसपी अमजद अली इस घोटाले की जांच कर रहे हैं।

शुरू में निगरानी ने इस मामले में काफी तेजी दिखाई, लेकिन जनवरी से जांच की गति धीमी हो गई। निगरानी विभाग के अधिकारिक सूत्रों का मानना है कि अगर इस घोटाले की गहराई से जांच की जाए तो इसमें 1500 करोड़ से अधिक का घोटाला उजागर हो सकता है। निगरानी ब्यूरो वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2015 तक हुई अनियमितता की जांच कर रहा है। सबसे ज्यादा शिकायत वर्ष 2011 से 2014 के बीच की है। ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार पाठ्य पुस्तक निगम पिछले कई वर्षों से एक खास प्रिंटिंग प्रेस से ही पुस्तक की छपाई करवा रहा था। आरोप है कि पुस्तक छपाई के लिए जो टेंडर निकाला जाता था, उसमें पारदर्शिता नहीं थी। पुस्तक छपाई की दर भी हमेशा एक ही रखी गई। टेंडर में एक खास राजनेता के प्रिंटिंग प्रेस को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियमों को ताक पर रखा गया।

आरोप है कि पुरानी पुस्तक को ही नए वर्ष में दर्शाकर स्कूलों में वितरित कर दिया गया। यानी वर्ष 2012 की छपी करीब 5 करोड़ की पुस्तक 2013 में भी वितरित की गई। समय पर कभी भी स्कूलों को पुस्तकें नहीं भेजी गईं। वर्ष 2008 से 13 के दौरान 65 लाख, 72 हजार बच्चे पुस्तक से वंचित रह गए। पाठ्य -पुस्तक निगम से जो पुस्तकें जिलों में आपूर्ति की जाती थी उसमें भी बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है। पुस्तक आपूर्ति का कोई लेखा-जोखा पुस्तक निगम के पास नहीं है। निगरानी जांच टीम निगम के तत्कालीन रहे एमडी फेराक अहमद, हसनैन आलम, आशुतोष, जेकेपी. सिंह, दिलीप कुमार, सेंथिल कुमार, ब्रजमोहन पटेल के कार्यकाल की जांच कर रही है।

कोट

पाठ्य-पुस्तक घोटाले की जांच जारी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई होगी।

रवींद्र कुमार, डीजी, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो

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