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शराब की तरह रासायनिक खाद का प्रयोग बंद करे सरकार : वंदना शिवा

शराब की तरह रासायनिक खाद के प्रयोग को भी सरकार बंद कराए। विदेशी कंपनियां रासायनिक खाद का प्रयोग बढ़ाकर मिट्टी को नशे का शिकार बना रही हैं। नीतीश सरकार ने शराबबंदी कर अच्छा काम किया। अब समय आ गया है...

शराब की तरह रासायनिक खाद का प्रयोग बंद करे सरकार : वंदना शिवा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Apr 2017 01:55 AM
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शराब की तरह रासायनिक खाद के प्रयोग को भी सरकार बंद कराए। विदेशी कंपनियां रासायनिक खाद का प्रयोग बढ़ाकर मिट्टी को नशे का शिकार बना रही हैं। नीतीश सरकार ने शराबबंदी कर अच्छा काम किया। अब समय आ गया है कि रसायनिक खादों का प्रयोग बंद कर किसानों को आत्महत्या से मजबूर होने से बचाया जाए।

ये बातें सत्याग्रह यात्रा पर रविवार को पटना पहुंचीं मशहूर पर्यावरणविद वंदना शिवा ने कही। वंदना शहर के अलग-अलग कार्यक्रमों में थीं। सब जगह उन्होंने रासायनिक खाद को बंद करने की वकालत की। वंदना ने कहा कि आज से सौ साल पहले महात्मा गांधी नील की खेती से किसानों को बचाने के लिए बिहार आये थे। अब वो देश की मिट्टी को रासायनिक खाद से मुक्ति दिलाने को जैविक सत्याग्रह पर निकली हैं।

पांच राज्यों बिहार, बंगाल, ओडिसा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जैविक सत्याग्रह चल रहा है। बिहार में जैविक खेती के लिए समस्तीपुर के शाहपुर पटौरी और मधुबनी के राजनगर पंचायत का चयन किया गया है। दोनों जिलों की पंचायतों में सब्जियों की खेती को पूरी तरह जैविक विधि से कराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दो साल में जैविक खेती कराकर विदेशी कंपनियां को मुहंतोड़ जवाब दिया जाएगा।

भोजन बन रहा जहर

वंदना शिवा ने कहा कि जिस प्रकार फसलों पर रसायनिक खाद का प्रयोग हो रहा है उससे हमारा भोजन जहर बन रहा है। सरकारें रासायनिक खाद और बीजों पर अनुदान देकर विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही हैं और किसानों को कर्ज में डूबा रही हैं।

जेपी विश्वविद्यालय, छपरा बनेगा ग्रीन यूनिवर्सिटी

जेपी विश्वविद्यालय, छपरा को ग्रीन यूनिवर्सिटी बनाया जाएगा। इसके लिए डॉ शिवा सोमवार को विश्वविद्यालय जाएंगी। विवि में पर्यावरण ज्ञान, इकोलॉजी, और एग्रो की पढ़ाई की जाएगी।

सत्याग्रह की शुरुआत बिहार से हो

वहीं पटना ट्रेनिंग कॉलेज में ‘चम्पारण सत्याग्रह से बीज सत्याग्रह कार्यक्रम में वंदना शिवा ने बिहार से ही बीज सत्याग्रह शुरू करने की अपील की। बीज और कीटनाशक बेचने वाली कॉरपोरेट कंपनियों का विरोध करना होगा, नहीं तो किसान आत्महत्या करते रहेंगे।

किसानों को जितना जैविक बीज चाहिए, उपलब्ध कराया जाएगा

वंदना शिवा ने सदाकत आश्रम के श्री ब्रजकिशोर स्मारक प्रतिष्ठान में कहा कि कभी हमारे किसान नील की खेती के लिए ब्रिटिश सत्ता के गुलाम थे। अब मोंसेंटो जैसी अमेरिकी व अंतर्राष्ट्रीय बीज कंपनियों के गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि आज की आजादी बीज स्वराज है। कहा कि किसानों को जितना जैविक बीज चाहिए, उपलब्ध कराया जाएगा

80 हजार रुपए किलो टमाटर का बीज खरीद रहे किसान

श्री ब्रजकिशोर स्मारक प्रतिष्ठान में चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष पर आयोजित गोष्ठी में ब्रजकिशोर जी के पोते व संस्थान के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश वर्मा ने कहा कि जो टमाटर हमलोग दो से पांच रुपए किलो खरीदते हैं, उसका बीज किसान 80 हजार रुपए प्रति किलो खरीदते हैं। इसी तरह मिर्च का बीज किसान 30 हजार रुपए प्रति किलो खरीदने को मजबूर हैं। परवल का पांच हजार रुपए किलो और करेला का बीज 30 हजार रुपए किलो किसानों को खरीदना पड़ रहा है। अगले चार साल में यह कीमत चार गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि बीज कंपनियों की रणनीति है कि वे खेत से किसान को अलग कर दें ताकि वे तकनीक के सहारे खुद खेती करें और अपना साम्राज्य खड़ा करें।

कार्यक्रम में जानेमाने गांधीवादी चिंतक, पूर्व सांसद रामजी सिंह, प्रो. बीबी मंडल, रिटायर आईएएस एसएन सिन्हा भी मौजूद थे। कार्यक्रम में चंपारण सत्याग्रह से जुड़े लोगों के वंशजों को सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पोती तारा सिन्हा भी शामिल थीं। उन्हें नवधान्य संस्थान ने मेरठ विद्रोह की याद में गुड़, नमक सत्याग्रह की याद में उड़ीसा का नमक, बीज और कपड़ा से सम्मानित किया गया। वंदना शिवा नवधान्य से ही जुड़ी हुईं हैं। संगोष्ठी भी नवधान्य और श्री ब्रजकिशोर स्मारक प्रतिष्ठान ने मिलकर आयोजित की थी। वहीं नवदन्या और पटना ट्रेनिंग कॉलेज के संयुक्त कार्यक्रम में पटना विवि के शिक्षा विभाग के संकायाध्यक्ष प्रो. खगेन्द्र कुमार सहित डॉ. कुमार संजीव, इन्द्र शेखर सिंह, डॉ. वीणा प्रसाद, डॉ. मो.ए. रहमान अंसारी, डॉ सुधाकर कुमार आदि थे।

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