राज्य के अनुदानित मदरसे व संस्कृत स्कूलों की होगी जांच
राज्य सरकार प्रदेश के अनुदानित मदरसे व संस्कृत विद्यालयों की जांच कराएगी। इसकी जद में राज्यभर में अनुदानित करीब 500 संस्कृत स्कूल व मदरसे आएंगे। बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालयों द्वारा छात्र संख्या और...
राज्य सरकार प्रदेश के अनुदानित मदरसे व संस्कृत विद्यालयों की जांच कराएगी। इसकी जद में राज्यभर में अनुदानित करीब 500 संस्कृत स्कूल व मदरसे आएंगे। बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालयों द्वारा छात्र संख्या और शिक्षक संख्या की गलत जानकारी देकर अनुदान प्राप्त करने को लेकर शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने जांच का आदेश दिया है। मंगलवार की शाम को डॉ. चौधरी ने बताया कि दस दिनों के अंदर शिक्षा विभाग द्वारा गठित दो-दो अधिकारियों की टीमें इन विद्यालयों की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि चंद लोग अनुदान पाने वाले विद्यालय को लेकर खेल रहे हैं। ऑपरेशन क्लीन के दूसरे चरण के तहत ऐसे फर्जीवाड़ों को प्राथमिकता के आधार पर रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों संस्कृत विद्यालय की जांच में खुलासा हुआ था कि नामांकन की तुलना में विद्यालय में बच्चों की वास्तविक संख्या बहुत कम थी। अधिक अनुदान पाने के लिए ये विद्यालय गलत आंकड़ा पेश कर रहे हैं। जांच में जहां ऐसी चीजें मिलेंगी उन विद्यालयों पर सख्त कार्रवाई होगी।
पुस्तक निगम की भी समीक्षा : संस्कृत और मदरसा स्कूलों की समीक्षा के साथ ही मंत्री ने मंगलवार को विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, सचिव जीतेन्द्र श्रीवास्तव के साथ पाठ्य पुस्तक निगम की गतिविधियों की भी समीक्षा की। कहा कि अगले सत्र से एक ही व्यक्ति या एजेंसी किताब छापने और विद्यालयों में पहुंचाने की जवाबदेही निभाएगा, ताकि बच्चों को समय से किताबें मिल सके। यह भी निर्णय लिया गया है कि एचपीसीएल द्वारा यदि पर्याप्त कागज नहीं दिया जाता है तो कागज की खरीद दूसरी जगहों से भी की जाएगी।
सेवा शर्त का ड्राफ्ट तैयार : शिक्षा मंत्री ने नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त निर्धारण में हो रही देर पर चिंता जतायी। हालांकि उन्होंने कहा कि सेवा शर्त का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सरकार द्वारा गठित सचिवों की समिति अब इसको लेकर जल्द ही बैठक करेगी। प्रदेश में कार्यरत सभी नियोजित शिक्षकों को अंतर्जिला ट्रांसफर की सुविधा देना मुमकिन नहीं है। उनकी कोशिश है कि सेवाशर्त में ऐसा प्रावधान बने कि मानवीय आधार पर जरूरत रखने वाले शिक्षकों का अंतर्जिला तबादला हो सके।