अरहर के पौधों में बालियां तो लगी पर दाने हो गये गायब
अरहर उत्पादक किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। अरहर के पौधों में फूल भी लगे और उसमें बालियां भी लगी, लेकिन दाने मार खा गए। खेतों में यह नजारा देखकर गड़खा के किसान हैरान व परेशान हैं।...
अरहर उत्पादक किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। अरहर के पौधों में फूल भी लगे और उसमें बालियां भी लगी, लेकिन दाने मार खा गए। खेतों में यह नजारा देखकर गड़खा के किसान हैरान व परेशान हैं। कई किसानों का कहना है कि उन्होंने महंगी कीमत पर बीज खरीदकर फसल बोये थे पर प्रकृति की इस मार से वे बेजार हो गए हैं। रामपुर बहोरा मठ के पीड़ित किसान देवव्रत राय ने बताया कि आलू के भाव गिरने के कारण उससे हुई क्षति से अभी उबरे भी नहीं थे कि अरहर ने भी धोखा दे दिया। पौधों में बालियां तो लगी हैं पर दाने मार खा गए हैं। महम्मदपुर के किसान कृष्णा सिंह का कहना है कि बालियों में कीड़ा लग जाने के कारण दाने मार खा गए हैं। रामपुर के जगदीश राय, दारोगा राय, राजवंशी राय भी प्रकृति के इस मार से परेशान हैं। कुदरबाधा, हकमा, गोपुर, जानकीनगर, फुर्सतपुर, अख्तियारपुर आदि गांवों के कई किसान भी प्रकृति की इस लीला को देख चिंतित हैं। पिछले वर्ष भी इन किसानों की फसल मार खा गई थी। फसल उगाकर लाभ कमाने की मंशा पालने वाले किसानों के चेहरे लटक गये हैं। इनके सारे अरमान चकनाचूर हो गए हैं। बालियों में सही तरीके से दाना नहीं लगने के कारण किसानों को केवल खाली झांक जलावन के काम आएगा।
दो फसलों जैसा लगता है समय
अन्य फसलों की तुलना में अरहर की फसल के तैयार होने में दोगुना समय लगता है। इससे एक फसल मार खा जाती है। इसके बाद भी अरहर की पैदावार नहीं होने से किसानों की क्षति बढ़ गयी है। किसानों की माने तो अगर मौसम अनुकूल हो और फसल अच्छी हो तो एक कट्ठे में 35 से 40 किलो अरहर की पैदावार होती है, लेकिन इस बार दाने के मार खा जाने से एक कट्ठा में 5 से सात किलो ही पैदावार निकल रही है। किसान फसल की इस दुर्गति को देख हैरान व परेशान हैं।