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सपाट पैर से लेकर 77 मेडल तक, जानिए कैसे कांटों से भरा रहा दीपा करमाकर का सफर

ओलंपिक खेलों में 52 साल के लंबे अंतराल के बाद भारत की बतौर पहली महिला जिमनास्ट के रूप में क्वालिफाई करने का गौरव हासिल करने वाली दीपा करमाकर एक समय अपने सपाट तलवों के कारण इन खेलों का हिस्सा तक बन...

सपाट पैर से लेकर 77 मेडल तक, जानिए कैसे कांटों से भरा रहा दीपा करमाकर का सफर
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 19 Apr 2016 02:56 PM
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ओलंपिक खेलों में 52 साल के लंबे अंतराल के बाद भारत की बतौर पहली महिला जिमनास्ट के रूप में क्वालिफाई करने का गौरव हासिल करने वाली दीपा करमाकर एक समय अपने सपाट तलवों के कारण इन खेलों का हिस्सा तक बन पाने में असमर्थ थीं।

ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करते ही दीपा सुर्खियों में आ गई हैं, लेकिन दीपा है कौन, कहां से आई है और कैसे पहुंची इस मुकाम तक जानिए सबकुछ-

1- 9 अगस्त 1993 को अगरतला के त्रिपुरा में जन्मीं दीपा 6 वर्ष की आयु में जिमनास्ट से जुड़ीं। लेकिन दीपा के पैर उस समय सपाट थे और जिमनास्टिक में इस तरह के व्यक्तियों को या तो बहुत दिक्कत होती है या वह इस कारण से इन खेलों का हिस्सा ही नहीं बन पाते हैं।

2- अनुभवी कोच बिस्बेश्वर नंदी के मार्गदर्शन में जिमनास्ट की ट्रेनिंग लेने वालीं दीपा ने इस समस्या से भी पार पाया। दीपा के कोच नंदी ने कहा, 'दीपा जब मेरे पास आई थी तो उसके पैर सपाट थे और जिमनास्ट के लिए यह अच्छा नहीं होता है। ऐसे पैरों की वजह से एथलीट के लिये पैर जमाना और भागना या कूदना आसान नहीं होता है।'

3- सपाट पैर के साथ दीपा के मेहनत कुछ ज्यादा ही करनी पड़ी। उसके कोच ने बताया, 'दीपा की इस समस्या को ठीक करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। दीपा के पैरों में उस तरह का घुमाव लाना आसान नहीं था। लेकिन बचपन से ही हमने उनके पैरों को लेकर काफी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि यही उनकी सबसे बड़ी समस्या थी।'

4- 2015 में अर्जुन अवॉर्ड जीत चुकी दीपा भी मानती है कि उन्हें यहां तक पहुंचाने का श्रेय केवल उनके कोच को जाता है।

5- बचपन से ही जिमनास्ट की ओर दीपा का रुझान करने का श्रेय उनके पिता को जाता है जो भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के कोच रह चुके हैं।

6- देश की बेस्ट आर्टिस्ट जिमनास्ट बन चुकी दीपा के लिए ओलंपिक का सफर तय करना इतना आसान नहीं रहा है और कुछ समय पहले दीपा ने बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में बताया था कि जब पहली बार उन्होंने जिमनास्टिक स्पर्धा में भाग लिया था तो उनके पास पैरों में जूते तक नहीं थे और उन्होंने किसी से मांग कर ढीली ढाली ड्रेस पहनकर स्पर्धा में हिस्सा लिया था।

7- दीपा के अगस्त में होने वाले रियो ओलंपिक के क्वालिफाई करने के कुछ घंटे के अंदर ही केंद्रीय खेल मंत्रालय ने उन्हें ओलंपिक स्कीम टॉप्स में शामिल कर लिया जिसके तहत उन्हें ओलंपिक की तैयारियों के लिए 30 लाख रुपये तक की वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी।

8- दीपा साल 2014 में ग्लास्को राष्ट्रमंडल खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद सुर्खियों में आई जबकि इसके अगले वर्ष 2015 में उन्होंने एशियाई जिमनास्टिक चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। इससे पहले साल 2007 में उन्होंने जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जीत दर्ज की थी। इसके बाद से उन्होंने राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 77 मेडल जीते हैं जिनमें 67 गोल्ड मेडल शामिल हैं।

9- दीपा ने रियो ओलंपिक खेलों की परीक्षण प्रतियोगिता में वाल्टस फाइनल में गोल्ड मेडल जीता। 22 साल की दीपा 14.833 प्वॉइंट के अपने बेस्ट प्रदर्शन के साथ महिला वाल्टस फाइनल में टॉप पर रहीं और इस वैश्विक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता जो भारतीय जिम्नास्ट के लिए बड़ी उपलब्धि है। भारतीय जिम्नास्टिक अधिकारियों ने बताया कि पहली बार किसी भारतीय महिला ने वैश्विक जिम्नास्टिक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है।

10- दीपा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो अपने कोच की बातें सारी मानती हैं लेकिन साथ ही उनको गुस्सा भी बहुत आता है। वो अपने गुस्से पर मुश्किल से कंट्रोल कर पाती हैं।

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