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जज ने तोमर से कहा, कब तक मूर्ख बनाओगे

कानून की फर्जी डिग्री रखने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने तोमर पर लगे आरोपों को संगीन बताते हुए कहा कि मामले की...

जज ने तोमर से कहा, कब तक मूर्ख बनाओगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 22 Jun 2015 09:49 PM
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कानून की फर्जी डिग्री रखने के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने तोमर पर लगे आरोपों को संगीन बताते हुए कहा कि मामले की जांच बहुत ही महत्वपूर्ण चरण में है, ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। अदालत ने तोमर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजते हुए कहा कि लोगों को कब तक मूर्ख बनाया जाएगा।

एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट तरूण योगेश ने कहा, आप (तोमर) एक आम नागरिक के रूप में हमें कब तक मूर्ख बनाएंगे। अदालत ने तोमर से कहा कि आप दस्तावेज या हलफनामे में फर्जीवाड़ा नहीं कर सकते। अदालत ने टिप्पणी की कि ‘ लोगों को कब तक मूर्ख बनाया जाएगा, हम अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान करते हैं लेकिन हमें क्या मिलता है।’

अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटा विकल्प का प्रावधान करके सही काम किया है। एसीएमएम योगेश ने कहा कि आम मतदाता के तौर पर, मुझे ईवीएम में यह बटन दबाकर बहुत संतुष्टि मिलती है। अदालत ने पूर्व कानून मंत्री व आम आदमी पार्टी के विधायक तोमर को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि और विधायक होने के नाते उनके खिलाफ आरोप संगीन हैं। अदालत ने कहा है कि मामले में दिल्ली विधिज्ञ परिषद अधिवक्ता के तौर पर पंजीकरण के लिए फर्जी डिग्री और दस्तावेज का उपयोग और आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के आरोपों में यह मामला दर्ज है और जिन सह आरोपियों, साथियों के अपराध में सहभागिता की आशंका है, वे अब तक पकड़े नहीं गये हैं। ऐसे में तोमर को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है।

तोमर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है। गुप्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने उनके मुवक्किल को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी, इसका अर्थ यह हुआ कि आरोपी से और पूछताछ नहीं की जानी है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

तोमर को इस मामले में 9 जून को गिरफ्तार किया था। तब से लेकर तोमर पुलिस हिरासत में थे। लेकिन रविवार को पूछताछ पूरी होने के बाद अदालत ने तोमर को एक दिन की न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया था।

‘जमानत मिलने पर तोमर गवाहों और साक्ष्यों से कर सकते हैं  छेड़छाड़’
तीन घंटे से अधिक चली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ‘यदि तोमर को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह गवाहों और साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकता है।’ उन्होंने अदालत को बताया कि विधायक व प्रभावशाली होने के कारण तोमर ने अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद से सूचना के अधिकार कानून के तहत मिले जवाब के साथ भी फर्जीवाड़ा किया।

मामला प्रकाश में आने पर कॉलेज और विश्वविद्यालय से लगातार संपर्क में था तोमर
दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि फर्जी डिग्री का मामला प्रकाश में आने के बाद से तोमर लगातार कॉलेज और विश्वविद्यालय से संपर्क में था। उन्होंने कहा कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि तोमर ने दस्तावेज फर्जीवाड़ा किया लेकिन यह भी सत्य है कि इस पूरे मामले का फायदा उन्हें ही मिला।

जमानत के लिए बजट सत्र में भाग लेने को आधार बनाया था तोमर
पूर्व कानून मंत्री तोमर ने अदालत में अर्जी दाखिल कर जमानत देने की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच पूरी हो गई है, ऐसे में उन्हें जमानत कर रिहा किया जाए। इसके अलावा उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि 23 जून से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, ऐसे में उन्हें सत्र में भाग लेने के लिए जमानत दी जाए। पुलिस की ओर से तोमर के इस दलील का विरोध किया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अभियोजक ने कहा कि जन प्रतिनिधियों को मिला संसदीय विशेषाधिकार उनके काम में सहयोग करने के लिए है, यह अन्य नागरिकों की तुलना में एक अलग श्रेणी नहीं बनाता। अतिरिक्त लोक अभियोजक श्रीवास्तव ने कहा कि कानून अपराधी को अलग तरह के व्यवहार की अनुमति नहीं देता।

 

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