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नए सत्र से एनसीईआरटी की किताबें लगने पर संशय

नए सत्र से निजी स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) की किताबें लगने पर संशय है। एक तरफ जहां मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से मिले निर्देशों के बाद केंद्रीय...

नए सत्र से एनसीईआरटी की किताबें लगने पर संशय
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Feb 2017 09:35 PM
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नए सत्र से निजी स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) की किताबें लगने पर संशय है। एक तरफ जहां मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से मिले निर्देशों के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस पर अपनी तैयारी पूरी कर ली है। वहीं दूसरी ओर निजी स्कूल इस फैसले को अव्यवहारिक बताते हुए निजी प्रकाशकों की किताबें ही लगाने की तैयारी में लगे हैं।

गौरतलब है कि एमएचआरडी ने सीबीएसई संबद्धित स्कूलों में अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र से पहली से 12वीं कक्षा तक में एनसीईआरटी की किताबें लगाने की योजना बनाई थी। इसके बाद सीबीएसई ने बकायदा परिपत्र जारी कर स्कूलों को इस फैसले के बारे में सूचित किया था। साथ ही सत्र से पहले किताबें जुटाने के लिए निर्देश भी जारी किए थे। लेकिन निजी स्कूल इस फैसले से सहमत नहीं हैं। 

ऑनलाइन मांगी गई थी किताबों की जरूरत
सीबीएसई ने स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन मांग की थी। इसके लिए सीबीएसई की वेबसाइट पर बकायदा लिंक शुरू किया गया था। 15 से 22 फरवरी तक चले इस लिंक के जरिए स्कूलों से कक्षावार और विषयवार किताबों की मांग भरने के निर्देश दिए थे। सीबीएसई ने इस ऑनलाइन मांग को एनसीईआरटी से साझा कर स्कूलों को किताबें मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। 

सीबीएसई ने अनिवार्य नहीं किया है फैसला
सुमित वर्मा, निदेशक, डायनेस्टी इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर-28: सीबीएसई की ओर से एनसीईआरटी की किताबें लगाने के निर्देश जारी हुए हैं। लेकिन स्कूलों के लिए ये आदेश अनिवार्य नहीं हैं। एनसीईआरटी की किताबें की कमी के चलते मजबूरन निजी प्रकाशकों की किताबें लगानी पड़ती हैं। ये फैसला व्यवहारिक नहीं है इसलिए नए सत्र से ऐसा कोई बदलाव नहीं होगा। 

निजी स्कूलों की मनमानी पर लगनी चाहिए लगाम
तेजेंद्र सिंह, जिला अध्यक्ष, हरियाणा पैरेट्ंस फोरम फॉर एजुकेशन: सीबीएसई की ओर से निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लगाने का फैसला सराहनीय है। लेकिन निजी स्कूल इस फैसले को नहीं मानेंगे। निजी स्कूलों में महंगी किताबें लगाकर अभिभावकों की जेब ढीली की जाती है। स्कूलों की मनमानी रोकने को सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

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