प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र: दिल्ली सरकार ने एनजीटी से जुर्माना बढ़ाने की मांग की
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण से ऐसे वाहनों के खिलाफ जुर्माना बढ़ाने की मांग की है, जो वैध नियंत्रित प्रदूषण प्रमाणपत्र पर चल...
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण से ऐसे वाहनों के खिलाफ जुर्माना बढ़ाने की मांग की है, जो वैध नियंत्रित प्रदूषण प्रमाणपत्र पर चल रहे हैं। दिल्ली सरकार ने साथ ही जुर्माने की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रुपये किए जाने की गुजारिश की है।
दिल्ली सरकार ने एनजीटी में दायर याचिका में दलील दी है कि वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या और ऐसे में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ एनजीटी अधिनियम के तहत सख्त जुर्माने का प्रावधान किया जाए। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माने की राशि को बढ़ाने का अधिकार नहीं है। ऐसे में एनजीटी की ओर से जुर्माना बढ़ाने का आदेश जारी किया जाए।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने याचिका में कहा है कि राजधानी के निवासियों को स्वच्छ हवा मुहैया कराने के लिए वह प्रतिबद्ध और इसके लिए कई स्तरों पर कदम उठा रही है। प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एसडीएम और तहसीलदारों को सशक्त करने वाले आदेश दिए हैं, ताकि जो लोग कूड़ा-कचरा जलाकर वायु प्रदूषण कर रहे हैं और धूल के जरिए प्रदूषण फैला रहे हैं उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाए।
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार इसी क्रम में यह चाहती है कि दिल्ली में वाहन चलाने वाले प्रदूषण के मानक उत्सर्जन के नियम का सख्ती से पालन करें और इसी के लिए कड़े कदम उठाना चाहती है।
एनजीटी को दिल्ली सरकार ने याचिका में बताया है कि अधिकृत प्रदूषण जांच केंद्र पूरी दिल्ली में हैं और मौजूदा समय पूरी दिल्ली में पेट्रोल सीएनजी वाहनों की जांच के लिए 388 केंद्र और डीजल वाहनों की जांच के लिए 273 केंद्र काम कर रहे हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में ऐसे वाहन चल रहे हैं, जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र नहीं है। ऐसे में एनजीटी अधिनियम की धारा-15 के तहत जुर्माने की राशि को बढ़ाकर पांच हजार रूपये करने का आदेश दे।
गौरतलब है कि मौजूदा कानून में यदि किसी वाहन का वैध प्रमाणपत्र नहीं होता है तो उस पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 190 (2) के तहत मामला चलता है जिसके तहत पहली बार एक हजार रूपये और इसके बाद हर उल्लंघन के लिए दो हजार रूपये का जुर्माना किया जाता है।