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राजघाट से जंतर-मंतर तक देश के लिए निकाली मार्च

हाथों में तिरंगा और मन में देशप्रेम की उमंग लिए हजारों की संख्या में देशप्रेमियों का हुजूम रविवार सुबह राजघाट से जंतर-मंतर तक पहुंचा। पूर्व सैनिकों की संस्था पीपल फार नेशन की ओर से आयोजित इस मार्च...

राजघाट से जंतर-मंतर तक देश के लिए निकाली मार्च
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 21 Feb 2016 09:28 PM
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हाथों में तिरंगा और मन में देशप्रेम की उमंग लिए हजारों की संख्या में देशप्रेमियों का हुजूम रविवार सुबह राजघाट से जंतर-मंतर तक पहुंचा। पूर्व सैनिकों की संस्था पीपल फार नेशन की ओर से आयोजित इस मार्च में कई संस्थाओं व महत्वपूर्ण हस्तियों ने हिस्सा लिया। वे देशप्रेम से ओतप्रोत नारे लगाते हुए जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी करने के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इस रैली में गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, पूर्व एडमिरल शेखर सिन्हा, एअर मार्शल पीके राॠय, एके उपाध्याय सहित सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

राजघाट पर सुबह दस बजे ही भीड़ जुटने लगी थी। पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था में विभिन्न संगठनों ने सुबह 11 बजे यहां से एकता मार्च निकाला। वे हाथों में तिरंगे और वंदे मातरम, भारत माता की जय, हिन्दुस्तान जिंदाबाद, जो अफजल का यार है, वो देश का गद्दार है...जैसे नारों से लिखी तख्तियां लेकर जंतर-मंतर की तरफ जोशोखरोश से बढ़ रहे थे। मार्च में कई दक्षिणपंथी संगठन भी शामिल हुए।

पूर्व एअर मार्शल पीके राय ने कहा कि आज इतने हुजूम को देखकर हमारी सेना का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा है। हमने सोचा भी नहीं था कि देश से प्यार करने वाले लोग सिर्फ एक आवाज में सड़कों पर आकर हमारा साथ देंगे। मार्च में सक्षम संस्था से 70 दृष्टिबाधित और 110 शारीरिक रूप से अक्षम डीयू के छात्रों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय संस्था संस्कार भारती से जुड़े लोगों ने भी हिस्सा लिया। राजघाट से शुरू हुआ मार्च जंतर-मंतर पर जाकर खत्म हुआ। यहां पार्लियामेंट थाने के पास मंच बनाया गया था, जहां से लोगों ने वर्तमान परिस्थितियों व देश प्रेम पर अपने-अपने विचार रखे। मार्च के मुख्य आयोजक पूर्व मेजर जनरल ध्रुव कटोच ने जेएनयू के आरोपी छात्रों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की।

मालिनी अवस्थी ने गाये देशभक्ति के गीत
मार्च की अगुवाई कर रही पद्मश्री गायिका मालिनी अवस्थी ने जियो औरों को भी जीने दो जैसे राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत गीत गाकर सभी को देशभक्ति से ओतप्रोत किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि हम सैनिकों को दिल से नमन करते हैं। उन्होंने जेएनयू के संदर्भ में कहा कि हमें हर हाल में देश की अखंडता से समझौता नहीं करना चाहिए। जब तक राष्ट्र है तभी तक विचार हैं। अगर हम राष्ट्र को ही नुकसान पहुंचाएंगे तो विचार कहां बचेंगे।

ट्रेंड करता रहा मार्च फार यूनिटी
सोशल मीडिया पर पूरे दिन मार्च फार यूनिटी ट्रेंड करता रहा। इस मार्च के बारे में तैयार मैसेज सोशल मीडिया तक ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया गया था। यही वजह रही कि मार्च में न सिर्फ संगठन विशेष से जुड़े लोग बल्कि आम नागरिक भी पहुंचे। अपने बच्चों और घर के बुजुर्गों के साथ पहुंचकर लोगों ने कहा कि हम सैनिकों के साथ हैं। देश की खातिर जान न्योछावर करने वाले राष्ट्रप्रेमियों के सामने आतंकवादी के समर्थन में नारे लगाना बिल्कुल उचित नहीं है।

हनुमंथप्पा के लिए भी लगे नारे
मार्च में देश का सैनिक कैसा हो, हनुमंथप्पा जैसा हो जैसे नारे भी लगे। लोगों ने अफजल गुरु के समर्थन में नारे लगाने वालों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। हर किसी का बस यही कहना था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राष्ट्र का अपमान किया गया है।

खंभों पर लगाए देशभक्ति के बोर्ड
राजघाट से चले मार्च ने रास्ते में कई बोर्ड टांगकर भारत माता की जय, जय हिंद, हिन्दुस्तान जिंदाबाद जैसे बोर्ड खंभो पर टांग दिए।

मीडिया के लिए मिली-जुली प्रतिक्रिया
जेएनयू मुद्दे पर कवरेज करने वाले चैनलों में कुछ चैनलों की तारीफ तो एक चैनल और उसके एंकर के खिलाफ भी नारेबाजी हुई। लोगों ने कहा कि इस मुद्दे पर मीडिया भी दो तरह से रिपोर्टिंग कर रहा है।

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