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हरियाणा: पर्यावरण को संजीवनी देने में जुटे युवा

कोई पौधोरोपण के जरिए धरती की कोख को हरा-भरा बनाने में जुटा है, तो कोई घर के कबाड़ से जरूरी आइटम बनाकर कूड़े के पहाड़ कम करने में लगा है। किसी की कोशिश लोगों को जागरूक कर जल संरक्षण की है, तो कोई लुप्त...

हरियाणा: पर्यावरण को संजीवनी देने में जुटे युवा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 04 Jun 2016 09:11 PM
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कोई पौधोरोपण के जरिए धरती की कोख को हरा-भरा बनाने में जुटा है, तो कोई घर के कबाड़ से जरूरी आइटम बनाकर कूड़े के पहाड़ कम करने में लगा है। किसी की कोशिश लोगों को जागरूक कर जल संरक्षण की है, तो कोई लुप्त होती गौरेया के अस्तिव को बचाने में जुटा है। 5 जून यानि विश्व पर्यावरण दिवस पर पेश है शहर में पर्यावरण सहेजने में लगे कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी:

प्रकृति के अस्तिव में बचाने में लगा है धरती मां ट्रस्ट
स्कूल के बाद उत्तराखंड से फरीदाबाद आकर बसे। गांव की हरियाली और साफ-सुथरे माहौल से दूर शहर में प्रदूषण से वास्ता पड़ा। इसलिए पर्यावरण संवारने की ठानी। ये कहना है कि कृष्णा कॉलोनी निवासी भवान सिंह बिष्ट का। सालों से गौरेयों के संरक्षण के लिए घोंसले बांटने, जैविक खाद बनाने में जुटे हैं। वहीं धरती मां ट्रस्ट बनाकर कूड़े से जरूरी सामान बनाने का काम भी शुरू किया। वेस्ट मेटीरियल से हैडमेड आइटम बनाकर ना सिर्फ शहर में कूड़े के अंबार को कम कर रहे हैं।

-    2010 से जुटे हैं गौरेया संरक्षण के काम में
-    2014 में पर्यावरण संरक्षण मुहिम को बना ट्रस्ट
-    150 युवा जुड़े हैं संगठन से
-    2000 घोंसले बांट चुके हैं दिल्ली-एनसीआर उत्तराखंड में

पौधारोपण कर स्कूल दे रहे शहर को ऑक्सीजन
20 साल पहले स्कूल में नौकरी मिली तो यहां चार पेड़ थे। निर्माण कार्य के चलते दो पेड़ काटने पड़े। स्कूल-कॉलेज दिनों से ही पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में सक्रिय था इसलिए हरियाली बढ़ाने को मुहिम छेड़ी। आज स्कूल बंजर मैदान से हरे-भरे कैंपस में बदल चुका है। ये कहना है ओल्ड फरीदाबाद स्कूल में एनएसएस अधिकारी रविंद्र मनचंदा का। स्कूल के अलावा छात्रों के साथ मिलकर शहर की कोई सोसायटियों के पार्कों में भी पौधारोपण कर उनकी सूरत बदल चुके हैं।
-    2004 से शुरू किया था पौधारोपण अभियान
-    1000 (करीब) पौधे लगा चुके हैं अभियान के तहत
-    20 सालों से सक्रिय हैं पर्यावरण संरक्षण को
-    04 बार साल में करते हैं पौधारोपण

पर्यावरण सहेजने में जुटा है सेव अरावली संगठन
विकास के नाम पर कंक्रीट के जंगल में बदलते शहर को सुरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। इसलिए शहरवासियों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम किए जाते हैं। ये कहना है सेव अरावली संस्था के संचालक जितेंद्र भड़ाना का। संगठन गांव और शहरी इलाकों में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत है। वृक्षारोेपण हो या फिर जल संरक्षण संगठन से जुड़े युवा हर क्षेत्र में काम करने में जुटे हैं। पर्यावरण दिवस पर संगठन ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर जागरूकता की मुहिम छेड़ी हुई है।

-    2009 में बनाया था संगठन
-    100 युवा जुड़े हैं संगठन से
-    500 पौधे बांटेंगे पर्यावरण दिवस पर
-    02 हजार लोग जुड़े हैं फेसबुक पर

आरडब्ल्यूए ने छेड़ी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम
सेक्टर-31 स्थित स्प्रिंगफील्ड रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने पौधारोपण के जरिए ना सिर्फ कॉलोनी के पार्क को खूबसूरत बनाया है। आरडब्ल्यूए के सदस्य कॉलोनी में लोगों को हर शुभदिन पर पौधे लगाने की अपील करते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष ऋषि मलिक ने बताया कि इलाके के बच्चों को साथ जोड़कर मुहिम के तहत लोगों को जागरूक किया जाता है। सोसाइटी में लोगों को टंकियों में वॉटर अलार्म लगाने, पीने के पानी से गाड़ियां ना धोने, जन्मदिन व त्योहारों पर पौधे लगाने को प्रेरित किया जाता है।

 

 

 

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