पाकिस्तान में लापता हुए भारतीय मौलवी वतन लौटे
गत सप्ताह पाकिस्तान में लापता हो गए हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन सहित दो भारतीय मौलवी सोमवार दोपहर को स्वदेश लौट आए। सैयद आसिफ निजामी और उनके भतीजे नाजिम अली निजामी का परिजनों और शुभचिंतकों...
गत सप्ताह पाकिस्तान में लापता हो गए हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन सहित दो भारतीय मौलवी सोमवार दोपहर को स्वदेश लौट आए। सैयद आसिफ निजामी और उनके भतीजे नाजिम अली निजामी का परिजनों और शुभचिंतकों ने हवाईअड्डे पर स्वागत किया। अपनी सकुशल वापसी के लिए दोनों मौलवियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहित भारत और पाकिस्तान की सरकारों को धन्यवाद दिया।
हजरत निजामुद्दीन दरगाह के सज्जादानशीन आसिफ निजामी के पुत्र आमिर निजामी ने भारत सरकार के प्रयासों की विशेष रूप से सराहना की। वहीं, आमिर ने आरोप लगाया कि दोनों को पाकिस्तान के एक उर्दू दैनिक अखबार की खबर के आधार पर पकड़ा गया था।
उक्त खबर में दावा किया गया था कि दोनों के भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ से संबंध हैं। हालांकि, इसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने के सवाल पर आमिर ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मगर उन्होंने इतना जरूर कहा कि उनके खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं किया गया और दोनों बिल्कुल ठीक हैं। हालांकि, वतन लौटने के बाद दोनों मौलवियों ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा कि वे कैसे लापता हो गए थे।
वहीं, नाजिम अली निजामी ने पाकिस्तानी मीडिया की उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि वे भीतरी सिंध में थे, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं था। उन्होंने बताया कि हमारे पास सिंध के भीतरी क्षेत्र में जाने के लिए वीजा नहीं था तो हम वहां कैसे जाते। हम सूफी विचारधारा से संबंध रखते हैं जो शांति और भाईचारा सिखाती है।
पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा पूछताछ करने के सवाल पर नाजिम ने कहा कि उनसे वीजा और आव्रजन के संबंध में पूछताछ की गई थी। नाजिम और सैयद आसिफ निजामी ने कहा कि हम केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और हमारी वापसी के लिए प्रार्थना करने वाले सभी धर्मों के शुभचिंतकों को धन्यवाद देते हैं।
यह है मामला
80 वर्ष के सैयद आसिफ निजामी अपनी बहन से मिलने के लिए भतीजे नाजिम अली निजामी के साथ 6 मार्च को पाकिस्तान गए थे। वे 13 मार्च को कराची पहुंचे और पाकपट्टन में सूफी संत बाबा फरीद गांग के दरगाह पर जियारत के लिए गए थे। दोनों 14 मार्च को लाहौर से लापता हो गए थे। दोनों मौलवियों के लापता होने से भारत और पाकिस्तान में हड़कंप मच गया था।