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धमनियों में 92 प्रतिशत खून जमने का रेयर मामला, डॉक्टरों ने बचाई जान

धमनियों में 92 प्रतिशत तक रक्त के थक्के जमने का रेयर मामला सामने आया है। इससे मरीज के शरीर का आधा हिस्सा पक्षाघात का शिकार हो गया। करीब एक माह तक चले इलाज के बाद उसकी जान बचाई गई है। इस तरह का यह...

धमनियों में 92 प्रतिशत खून जमने का रेयर मामला, डॉक्टरों ने बचाई जान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 24 Oct 2015 07:20 PM
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धमनियों में 92 प्रतिशत तक रक्त के थक्के जमने का रेयर मामला सामने आया है। इससे मरीज के शरीर का आधा हिस्सा पक्षाघात का शिकार हो गया। करीब एक माह तक चले इलाज के बाद उसकी जान बचाई गई है। इस तरह का यह पहला मामला है जब धमनियों के इतने बड़े क्षेत्र में थक्के बनने के बाद मरीज की जान बचाई जा सकी है।

पिछले करीब तीन माह पहले गुड़गांव निवासी अमित कुमार (परिवर्तित नाम) को शरीर के विभिन्न अंगों में सुन्नपन आया था। यह कुछ घंटे तक रहते और अपने आप चले जाते थे। सामान्य बीमारी समझ स्थानीय डॉक्टर की सलाह से विटामिन की गोलियां खाते रहे। लेकिन पिछले माह अचानक से ऑफिस में मरीज को इस्चेमिक अटैक आया। जिससे शरीर के बायां हिस्सा सुन्नपन के साथ पक्षाघात का शिकार हो गया।

मरीज को आनन फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच के दौरान दोनों कैरोटिड आर्टरीज (प्रमुख धमनी) में 92 प्रतिशत ब्लॉकेज की पुष्टि हुई। साथ ही सिर में भी रक्त के थक्के जम गए।

इलाज के लिए मेदांता रेफर किए जाने के दौरान ही रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध होने से मरीज को ब्रेन अटैक पड़ा। मेदांता में भर्ती कराने के बाद डॉ. विपुल की देखरेख में एक माह तक इलाज किया गया। डॉक्टरों की टीम ने एन्जियोप्लॉस्टी की। साथ ही रक्त के थक्के हटाने के लिए फाइन मेश वर्क फिल्टर का इस्तेमाल किया गया। ताकि कोई थक्का रह न जाए जिससे मरीज के जीवन को फिर से संकट खड़ा हो। करीब एक माह तक उपचार चलने के बाद उसकी जान बचाई गई है।
 
बीमारी का प्राथमिक लक्षण सुन्नता

डॉ. विपुल ने बताया कि एक माह से कुछ मिनटों तक बरकार रहने वाली सुन्नता बीमारी के प्राथमिक लक्षण थे। यदि समय पर दिखाया जाता तो ब्रेन अटैक और पक्षाघात को टाला जा सकता था। उन्होंने बताया कि कैरोटिड आर्टरी ब्लॉकेज का दो तरह से इलाज किया जाता है। इसमें ओपेन सर्जरी और एंजियोग्राफी शामिल है।

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