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सियासी वजह से स्वदेश नहीं आईं नेताजी की अस्थियां

नेताजी से जुड़ी 1970 की एक अति गोपनीय फाइल के सार्वजनिक होने से पता चला है कि किन वजहों से उनकी अस्थियां भारत वापस नहीं लाई गईं। फाइल के मुताबिक, भारत सरकार टोक्यो के बौद्ध मंदिर में रखी गई नेताजी की...

सियासी वजह से स्वदेश नहीं आईं नेताजी की अस्थियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 Jan 2016 06:47 PM
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नेताजी से जुड़ी 1970 की एक अति गोपनीय फाइल के सार्वजनिक होने से पता चला है कि किन वजहों से उनकी अस्थियां भारत वापस नहीं लाई गईं। फाइल के मुताबिक, भारत सरकार टोक्यो के बौद्ध मंदिर में रखी गई नेताजी की अस्थियों को लाने की अनिच्छुक थी, क्योंकि उसे डर था इसका राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

गृह मंत्रालय की ओर से वर्ष 1970 दशक में तैयार इस फाइल में टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास के प्रस्ताव पर मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो और विदेश मंत्रालय के बीच हुआ पत्राचार शामिल है। दूतावास ने प्रस्ताव किया था कि टोक्यो स्थित रैंकोजी मंदिर में प्रमुख पुजारी के संरक्षण में रखी नेताजी की अस्थियों को स्वदेश वापस लाया जाए। कई वर्षों में तैयार करीब 200 पन्नों के मुताबिक सरकार सियासी नुकसान की वजह से अस्थियों को वापस लाने के पक्ष में नहीं थी। उसे दो बातों का डर था, पहला नेताजी के परिवार के सदस्यों का विरोध और दूसरा आबादी के एक हिस्से की प्रतिक्रिया का भय, जो मानती थी कि नेताजी की मौत 1945 विमान हादसे में नहीं हुई थी।

आईबी ने भी आगाह किया था
सरकार के लिए असहज स्थिति होने की आशंका जुलाई 1976 में विदेश मंत्रालय में उत्तर और पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव एनएन झा ने जताई थी। उस समय देश में आपातकाल लागू था। अगस्त 1976 में आईबी के संयुक्त निदेशक टीवी राजेश्वर ने भी सलाह दी कि अस्थियों को वापस नहीं लाना चाहिए, क्योंकि इससे जटिल स्थितियां पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा, नेताजी का परिवार और उनके द्वारा गठित राजनीतिक दल फाॠरवर्ड ब्लाॠक इसे नेताजी की अस्थियों के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। राजेश्वर ने चेतावनी दी कि अस्थियों को वापस लाने पर सरकार पर नेताजी की झूठी मौत का दुष्प्रचार करने का आरोप लगेगा।

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