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क्या मंत्रीपद देना रिश्वत के समान है: सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश के गेस्टहाउस कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता बसपा नेता रामअचल राजभर से सवाल किया है कि क्या मंत्रीपद देना रिश्वत देने के दायरे में आता है। जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता...

क्या मंत्रीपद देना रिश्वत के समान है: सुप्रीम कोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 07 Sep 2016 09:50 PM
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उत्तर प्रदेश के गेस्टहाउस कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता बसपा नेता रामअचल राजभर से सवाल किया है कि क्या मंत्रीपद देना रिश्वत देने के दायरे में आता है।

जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने शिकायतकर्ता बसपा नेता रामअचल राजभर की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील के.के. वेणुगोपाल से पूछा कि क्या मंत्रीपद देना रिश्वत के दायरे में आता है। पीठ ने कहा, जब भी गठबंधन की सरकार बनती है तब सभी पक्ष मिल-बैठकर यह तय करते हैं कि किसे मंत्री बनाना चाहिए। ऐसे में भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1) (डी) के तहत यह मामला कैसे बन गया। पीठ ने पूछा कि इस मामले में अपहरण, धमकी आदि अपराध तो समझ में आते हैं लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला कैसे बनेगा। इस पर राजभर के वकील ने कहा कि कानूनी स्थिति बताने के लिए उन्हें समय दिया जाए।

पीठ ने मामला 15 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया। बुधवार को मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी और गौरव भाटिया पेश हुए।

साल 1995 में उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा गठबंधन की सरकार बनी थी। लेकिन मायावती ने अपने 67 विधायकों का समर्थन वापस ले लिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुलायम और सपा नेताओं ने बसपा के पांच विधायकों का अपहरण किया और उन्हें गेस्टहाउस ले जाया गया। वहां उन्हें धमकी दी गई और सरकार बचाने के लिए उन्हें प्रलोभन दिया गया। सरकार बचाने के लिए 50-50 लाख रुपये की पेशकश भी गई। साथ ही मंत्री-पद का देने को भी कहा गया। बसपा नेता राजभर की शिकायत पर इस पूरे प्रकरण को लेकर चार एफआईआर दर्ज की गई थीं।

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