तीन तलाक: 'धार्मिक मामलों में दखल नहीं दे सकती सुप्रीम कोर्ट'
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को जायज ठहराया है. एआईएमपीएलबी ने तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. लॉ बोर्ड ने हलफनामे...
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को जायज ठहराया है. एआईएमपीएलबी ने तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. लॉ बोर्ड ने हलफनामे में कहा, "सामाजिक सुधार के नाम पर पर्सनल लॉ को बदला नहीं जा सकता."
लॉ बोर्ड ने कहा, "पर्सनल लॉ कोई कानून नहीं है. यह धर्म से जुड़ा सांस्कृतिक मामला है. ऐसे में कोर्ट तलाक की वैधता तय नहीं कर सकता." हलफनामे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को चुनौती देने को असंवैधानिक करार दिया है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, "पर्सनल लॉ को चुनौती नहीं दी जा सकती, क्योंकि ऐसा करना संविधान के खिलाफ होगा."
लॉ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि धार्मिक अधिकार पर अदालत फैसला नहीं दे सकता. आपको बता दें कि तीन तलाक के मुद्दे पर अलग-अलग चार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मार्च महीने में शायरा बानो नाम की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर सुनवाई के दौरान कह चुके हैं कि यह कोर्ट यह तय करेगा कि अदालत किस हद तक मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल दे सकती है और क्या उसके कुछ प्रावधानों से नागरिकों को संविधान द्वारा मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.
कोर्ट ने केंद्र समेत इस मामले में सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही संकेत दिया है कि अगर जरूरी लगा तो मामले को बड़ी बेंच को भेजा जा सकता है.