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Hindi Newsswiss window for black money shuts

स्विस बैंक के खाताधारकों की जानकारी मिलेगी

भारत ने काले धन पर अंकुश को लेकर स्विटजरलैंड से मंगलवार को अहम समझौता किया। इसके तहत स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों के बारे में सितंबर 2019 से सूचनाएं मिल सकेंगी।  भारत की ओर से प्रत्यक्ष...

स्विस बैंक के खाताधारकों की जानकारी मिलेगी
एजेंसीTue, 22 Nov 2016 10:22 PM
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भारत ने काले धन पर अंकुश को लेकर स्विटजरलैंड से मंगलवार को अहम समझौता किया। इसके तहत स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों के बारे में सितंबर 2019 से सूचनाएं मिल सकेंगी। 

भारत की ओर से प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष सुशील चंद्र और भारत में स्विस दूतावास के उप प्रमुख गिलिस रोड्यूड ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों देश सितंबर 2018 से वैश्विक मानकों के अनुरूप बैंकिंग आंकड़ों का संग्रह शुरू करेंगे और 2019 से इन सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान होने लगेगा।

स्विटजरलैंड ने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के साथ सूचना के स्वत: आदान-प्रदान से जुड़े वैश्विक मानकों की पुष्टि की है। वहीं भारत ने आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखने का वादा किया है। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर को बड़ा कदम बताते हुए ट्विटर पर लिखा कि आयकर विभाग स्विटजरलैंड में भारतीयों के खातों के बारे में 2018 के बाद की सूचनाएं प्राप्त कर पाएगा।

स्विस संघीय वत्ति विभाग ने कहा कि भारत के साथ संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर सूचना के स्वत: आदान-प्रदान मानकों को लागू करने को लेकर स्विटजरलैंड की प्रतिबद्धता को बताता है। उसने कहा कि भारत ने आंकड़ों की गोपनीयता को बनाए रखा है, जो ऐसे सहयोग के लिए आवश्यक है। गौरतलब है कि भारत में कालाधन एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है,मोदी सरकार ने इसके खिलाफ व्यापक अभियान चला रखा है। 

वहीं स्विस बैंकों के खाताधारकों की गोपनीयता को लेकर दुनिया भर में सवाल उठते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद स्विटजरलैंड बैंक खाताधारकों की सूचना देने के लिए सहमत हुआ है। इसी दबाव का नतीजा है कि कराधान मामलों में बहुपक्षीय प्रशासनिक सहयोग संधि का सितंबर में अनुमोदन किया था। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह जून को स्विस राष्ट्रपति जॉन श्नीडर से मुलाकात की थी और कर चोरी रोकने से जुड़े इस समझौते को जल्द से जल्द लागू करने का अनुरोध किया था। 

पहले की जानकारी का उल्लेख नहीं
ताजा घोषणा पत्र में चुराए गएआंकड़े या भारत से पहले मांगी गई सूचनाओं के आदान-प्रदान के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। ऐसे में पहले के खाताधारकों के बारे में जानकारी इसके तहत मिलेगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।

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