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न्यायपालिका में हजारों पत्थरों को झेलने की ताकत: शीर्ष अदालत

उच्चतम न्यायालय ने आज न्यायाधीशों पर भेदभाव का आरोप लगाने पर केरल उच्च न्यायालय के अवमानना मामले का सामना कर रहे एक अधिवक्ता की खिंचाई की और कहा कि यह संस्थान हजारों पत्थरों को झेलने की ताकत रखता...

न्यायपालिका में हजारों पत्थरों को झेलने की ताकत: शीर्ष अदालत
एजेंसीFri, 27 Jan 2017 10:27 PM
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उच्चतम न्यायालय ने आज न्यायाधीशों पर भेदभाव का आरोप लगाने पर केरल उच्च न्यायालय के अवमानना मामले का सामना कर रहे एक अधिवक्ता की खिंचाई की और कहा कि यह संस्थान हजारों पत्थरों को झेलने की ताकत रखता है।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अदालत की अवमानना पर तीन महीने की जेल और एक हजार रूपये के जुर्माने के खिलाफ अधिवक्ता सीके मोहनन की अपील पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय से जवाब मांगा। पीठ ने कहा कि यह संस्थान हजारों पत्थरों को झेलने की ताकत रखता है। लेकिन हम इस पर एक भी पत्थर फेंकने नहीं देंगे।

मोहनन के वकील ने दावा किया कि अवमानना का नोटिस द्वेषपूर्ण है क्योंकि केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा इसे जारी करने की प्रक्रिया को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। उच्च न्यायालय द्वारा तीन महीने की जेल और एक हजार रूपये जुमार्ने की सजा के संदर्भ में शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि उसका नजरिया है कि उनके लिए तीन महीने का समय बहुत कम है।

पीठ ने कहा कि आपको ज्यादा समय के लिए जेल जाना चाहिए। पूरे केरल बार परिषद ने आपके व्यवहार के कारण आपका परित्याग किया है। पीठ ने निर्देश दिया कि दो हफ्ते में एक हजार रुपये का जुर्माना भरा जाए।

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