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ढाई सौ फीसदी के बोझ से लड़खड़ा गया 3जी नेटवर्क

देश में जब कुछ साल पहले थ्री जी सेवाएं शुरू हुई थी तो यह उम्मीद थी कि इससे मोबाइल फोन सेवाएं बेहतर होंगी। लेकिन हो रहा है ठीक इसके उलट। पहले ही दौर में थ्री जी नेटवर्क क्षमता से ढाई सौ फीसदी ज्यादा...

ढाई सौ फीसदी के बोझ से लड़खड़ा गया 3जी नेटवर्क
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 15 Sep 2015 04:47 PM
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देश में जब कुछ साल पहले थ्री जी सेवाएं शुरू हुई थी तो यह उम्मीद थी कि इससे मोबाइल फोन सेवाएं बेहतर होंगी। लेकिन हो रहा है ठीक इसके उलट। पहले ही दौर में थ्री जी नेटवर्क क्षमता से ढाई सौ फीसदी ज्यादा बोझ ढोने के कारण लड़खड़ाने लगा है। दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनियों ने ग्राहक तो बढ़ा लिए लेकिन नेटवर्क की क्षमता का अपेक्षित विस्तार नहीं किया।

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने काल ड्राप को लेकर सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि किस प्रकार दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां अपने नेटवर्क की क्षमता नहीं बढ़ा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार थ्री जी सेवाओं में नेटवर्क पर क्षमता से 252 और टूजी सेवाओं में 106 फीसदी ज्यादा बोझ है।

ट्राई ने अपनी रिपोर्ट में जून 2013 से लेकर मार्च 2015 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस अवधि में थ्री जी इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल 252 फीसदी बढ़ा है। जून 2013 में डाटा इस्तेमाल करीब 37 पेटाबाइट था जो मार्च 2015 में 130 पेटा बाइट तक पहुंच गया। जबकि इसी अवधि में जीएसएम मोबाइल फोन उपभोक्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मिनटों की संख्या 92 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ पार कर गई। यानी जीएसएम फोन काल में करीब 12 फीसदी का इजाफा हुआ।

दूसरी तरफ थ्री जी नेटवर्क से जुड़े टावरों आदि नेटवर्क की क्षमता विकास सिर्फ 61 फीसदी तक सीमित रहा है। नतीजा यह हुआ कि मोबाइल और डाटा (इंटरनेट) दोनों के इस्तेमाल के बढ़ने से थ्रीजी फोन सेवाएं देश में ठीक से पैर जमाने से पहले ही लड़खड़ाने लगी।

ट्राई के अनुसार टेलीकॉम सेवा देने वाल कंपनियां थ्री जी शुरू होने के बाद टूजी नेटवर्क के प्रति भी उपेक्षा बरतने लगी। इसलिए उपरोक्त अवधि में टूजी नेटवर्क क्षमता से 106 फीसदी अधिक का बोझ में घिसट रहा है। उपरोक्त अवधि में टूजी सेवाओं के टॉवरों में महज 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि टूजी सेवाओं का डाटा इस्तेमाल 106 फीसदी बढ़ा है।

उपरोक्त अवधि में यह 52 पेटा बाइट से बढ़कर 106 पेटा बाइट हो गया। ट्राई का कहना है कि मोबाइल कंपनियों अगर नेटवर्क में विस्तार करें, रेडियो फ्रिक्वेंसी बढ़ाएं तो कॉल ड्रॉप की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

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