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Hindi Newsकेंद्रीय मंत्री उमा भारती बोलीं: व्यापमं मामले की निष्‍पक्ष जांच हो, मैं भी डरी हुई हूं

केंद्रीय मंत्री उमा भारती बोलीं: व्यापमं मामले की निष्‍पक्ष जांच हो, मैं भी डरी हुई हूं

व्यापमं घोटाले में अपना नाम आने को केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गहरी साजिश बताया और कहा कि लोग घोटाले के कारण शर्म और डर से जान दे रहे हैं और कोई उनकी हत्या नहीं कर रहा। उमा भारती ने इशारों में...

केंद्रीय मंत्री उमा भारती बोलीं: व्यापमं मामले की निष्‍पक्ष जांच हो, मैं भी डरी हुई हूं
एजेंसीTue, 07 Jul 2015 10:48 AM
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व्यापमं घोटाले में अपना नाम आने को केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गहरी साजिश बताया और कहा कि लोग घोटाले के कारण शर्म और डर से जान दे रहे हैं और कोई उनकी हत्या नहीं कर रहा।

उमा भारती ने इशारों में व्यापम घोटाले की सीबीआई जांच की बात करते हुए कहा कि सक्षम एजेंसी से दोबारा जांच का रास्ता निकाला जाए।

भारती ने कहा, यह एक गहरी साजिश है। गहरी साजिश का बड़ा उदाहरण है इसमें मेरा नाम है। मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है। अगर इसमें मेरा नाम है तो कुछ गहरी साजिश है।

केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया कि लोग डर और शर्म से मर रहे हैं और कोई उनकी हत्या नहीं कर रहा है।

उन्होंने दावा किया, हो सकता है कि किसी ने उनकी हत्या नहीं की हो। लेकिन डर और शर्म से मस्तिष्काघात, हदयाघात के शिकार हो रहे या आत्महत्या कर रहे। क्योंकि मैंने जब व्यापमं में अपना नाम सुना तो मैं भी सदमे में आ गयी।

उधर, हैदराबाद में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने व्यापमं घोटाले पर भाजपा के खिलाफ सवाल खड़ा करो और भागो की नीति अपना ली है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस भ्रमित है और उसने सवाल खड़ा करो और भागो की नीति अपना ली है। वे कुछ साबित नहीं कर रहे हैं। वे केवल अपनी हताशा जाहिर कर रहे हैं। इसके अलावा यह और कुछ नहीं है।

गोविंदाचार्य ने व्यापमं घोटाले पर मध्यप्रदेश सरकार की आलोचना की

व्यापमं घोटाले से जुड़ी रहस्यमयी मौतों पर मध्यप्रदेश सरकार की असंवेदनशीलता की आलोचना करते हुए आरएसएस के वरिष्ठ विचारक एन गोविंदाचार्य ने आज कहा कि केंद्र सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और मामले में उच्चतम न्यायालय को भी संज्ञान लेना चाहिए।

बेंगलूरू के प्रेस क्लब में उन्होंने कहा, मुददे को लेकर सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर मुझे बहुत दुख हो रहा है़। केंद्र सरकार को संज्ञान लेना चाहिए और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उच्चतम न्यायालय को स्व: संज्ञान लेना चाहिए।

गोविंदाचार्य ने कहा कि मामले में मध्यप्रदेश सरकार के गैरजिम्मेदार रवैये पर वह दुखी हैं और संवेदनहीन तरीके से मामले से निपटा गया है।

उन्होंने कहा, संवेदनहीन तरीके से इससे निपटा गया है। मारे गए लोगों के प्रति कोई भावुकता नहीं दिखाई गयी़, सरकार की तरफ से सबसे दुखद चीज है कि उसने संवेदनशीलता नहीं दिखाई।

आरएसएस विचारक ने कहा कि पार्टी के महासचिव के गैरजिम्मेदार बयान में असंवेदनशीलता और अशिष्टता दिखाई दी। उन्होंने कहा, उदाहरणस्वरूप, अक्षय सिंह मामले में पार्टी के एक महासचिव का बयाऩ, गैरजिम्मेदाराना बयान है।

जांच की जिम्मेदारी स्वतंत्र संस्था को सौंपने में मध्यप्रदेश सरकार क्यों हिचकिचा रही है इस बारे में पूछे जाने पर गोविंदाचार्य ने कहा कि उन्हें कोई वजह नहीं दिखता कि इसे क्यों नहीं सौंपा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि मध्यप्रदेश को क्या अड़चन है क्योंकि मुक्षे कोई वजह नजर नहीं आती कि इसे क्यों हवाले नहीं किया जाना चाहिए।

गोविंदाचार्य ने कहा कि न्याय एसआईटी जांच से नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, न्याय जरूरी है और इस तरह की जांच से न्याय नहीं हो सकता़, वहां पर तनाव का माहौल है और बेहतर होगा कि इससे एक स्वतंत्र संस्था निपटे और मुक्षे लगता है कि उच्चतम न्यायालय इसे कर सकता है।

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