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अरुणा की मौत के बाद इच्छा मृत्यु पर बहस

इच्छा मृत्यु के मामले दो तरह के होते हैं, एक निष्क्रिय इच्छा मृत्यु और दूसरी सक्रिय इच्छा मृत्यु। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ऐसे व्यक्ति को उसके परिजनों की इजाज़त से मरने की छूट दी जाती है,...

अरुणा की मौत के बाद इच्छा मृत्यु पर बहस
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 19 May 2015 11:55 AM
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इच्छा मृत्यु के मामले दो तरह के होते हैं, एक निष्क्रिय इच्छा मृत्यु और दूसरी सक्रिय इच्छा मृत्यु। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ऐसे व्यक्ति को उसके परिजनों की इजाज़त से मरने की छूट दी जाती है, जो जीवन रक्षक प्रणाली पर अचेत अवस्था में रहता है, लेकिन तकनीकी तौर पर वो जीवित होता है। परिजनों के न होने पर डॉक्टर भी ये फैसला कर सकते हैं। सक्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ठीक न हो सकने वाले बीमारी की हालत में किसी मरीज को उसकी इच्छा से मृत्यु दी जाती है।

इन देशों में इच्छा मृत्यु पर ये है प्रावधान

अमेरिका: यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है, लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उसकी मदद से मरने की इजाजत है।

स्विट्जरलैंड: खुद से जहरीली सुई लेकर आत्महत्या करने की इजाज़त है, हालांकि इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है।

नीदरलैंड: डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छा मृत्यु और मरीज की मर्जी से दी जाने वाली मृत्यु दंडनीय अपराध नहीं है।

बेल्जियम: सितंबर 2002 से यहां इच्छा मृत्यु वैधानिक हो चुकी है।

ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है।

गौरतलब है कि मुंबई के एक अस्पताल में नृशंस यौन हमले के बाद 42 साल तक कोमा में रहीं और सोमवार को इस संसार को अलविदा कह गईं पूर्व नर्स अरुणा शानबाग को नर्सिंग समुदाय समेत सैकड़ों लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी।

अरुणा का अंतिम संस्कार उनके परिजनों के बजाय परेल स्थित केईएम अस्पताल की नर्सें करना चाहती थीं, जिन्होंने लंबे समय तक उनकी देखभाल की।

हालांकि एक सहमति के तहत नर्सों, अस्पताल के अन्य कर्मचारियों और अरुणा के परिजनों ने मिलकर अंतिम संस्कार की रस्म अदा की। केईएम अस्पताल के डीन और अरुणा के एक रिश्तेदार ने मिलकर अरुणा की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी।

66 वर्षीय अरुणा का सोमवार सुबह निधन हो गया और भोइवाडा शवदाहगृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार से पहले आखिरी दर्शन के लिए अस्पताल में उनकी पार्थिव देह को रखा गया और बाद में भोइवाड़ा शवदाहगृह ले जाया गया। ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने अस्पताल जाकर अरुणा को श्रद्धांजलि दी।

 

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