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भूकंप के खतरे के आकलन के लिए धरती का होगा ‘सिटी स्कैन’

भूकंप की भविष्यवाणी नहीं हो सकती लेकिन इसके खतरे के आकलन के लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना पर कार्य कर रही है। इसके तहत सरकार धरती का एक मॉडल तैयार करेगी जिसमें जमीन की संरचना का पूरा ब्यौरा होगा...

भूकंप के खतरे के आकलन के लिए धरती का होगा ‘सिटी स्कैन’
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 12 May 2015 11:42 PM
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भूकंप की भविष्यवाणी नहीं हो सकती लेकिन इसके खतरे के आकलन के लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना पर कार्य कर रही है। इसके तहत सरकार धरती का एक मॉडल तैयार करेगी जिसमें जमीन की संरचना का पूरा ब्यौरा होगा जिसके आधार पर जाना जा सकेगा कि किस स्थान पर भूकंप का खतरा है और कितना है। या कौन सा स्थान भूकंप के लिहाज से सुरक्षित है।

अर्थ साइंस महकमे के सचिव डा. शैलेस नायक ने हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में कहा कि मूलत इस योजना का मकसद धरती का सीटी स्कैन करना है। यानी उसके भीतर की संरचना कैसी है। दरअसल हमारे देश की जमीन के नीचे की संरचना को लेकर अभी तक जो वैज्ञानिक जानकारियां हैं, वे सामान्य किस्म की हैं। जिसके आधार पर क्षेत्रों को भूकंपीय जोन में बाटा गया है। लेकिन वह संरचना कैसी है और भूकंप उसे कैसे प्रभावित कर सकता है, इस पर शोध कम हुए हैं। इसलिए मंत्रालय ने इस योजना को लेकर उच्च स्तरीय विमर्श प्रक्रिया शुरू कर दी है।

दरअसल, धरती टेक्टोनिक प्लेटों पर बसी है जिसके ऊपर चट्टानों एवं मिट्टी की कई किस्में की परते हैं। इन परतों के व्यापक अध्ययन के जरिये यह आकलन किया जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र भूकंप के हिसाब से कितना खतरनाक है। हालांकि यह प्रक्रिया भी भूकंपीय माइक्रोजोनिक जैसी है लेकिन यह उसमें कुछ ऊपरी परतों का ही अध्ययन किया जाता है जबकि इस नई योजना में गहराई तक जमीन में उपकरण डालकर संरचना का पता लगाया जाएगा।

नायक के अनुसार जिस प्रकार से भूकंप का खतरा बढ़ रहा है, उसके मद्देनजर जल्द से ज्लद इस योजना को मंजूरी दी जाएगी। इसमें आने वाले खर्च का आकलन किया जा रहा है।

कोयना में विदेशी वैज्ञानिकों की मदद लेंगे-नायक के अनुसार मप्र के कोयना प्रोजेक्ट पर अक्टूबर में अहम कार्य शुरू होगा। अक्टूबर में तीन किलोमीटर गरीब बोरिंग की जाएगी और वहां उपकरण स्थापित किए जाएंगे। अभी तक वहा डेढ़ किलोमीटर के दस बोर किए जा चुके हैं जिनमें उपकरण लगाए जा रहे हैं। सबसे अहम बोर तीन किमी गहरा होना है जिसमें ऐसे सेंसर लगाए जाएंगे जो भूकंप से पहले, दौरान और बाद में होने वाली हलचलों को रिकार्ड कर सकें। इनका अध्ययन कर वैज्ञानिक भूकंप के बारे में अध्ययन करेंगे। बोरिंग के दौरान वहां की चट्टानों से निकले टुकड़ों का भी अध्ययन करने की योजना है जिसमें विदेशी वैज्ञानिकों की मदद ली जा सकती है।

बता दें कि कोयना में नियमित रूप से भूकंप आते हैं जिनकी तीव्रता पांच से कम होती है। इसलिए कोई नुकसान नहीं है। इन झटकों का केंद्र कोयना होता था बीस किमी दायरे में इन्हें महसूस किया जाता है। अपनी तरह का यह अनूठा शोध है। अमेरिका में भी एक बार वैज्ञानिकों ने इसी तरह का शोध करने की कोशिश की थी लेकिन जैसी ही भूकंप की जगह पर बोर किया गया, वहां भूकंप आने बंद हो गए। लेकिन कोयना में बोर करने के बावजूद भूकंपों का आना जारी है।

 

 

 

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