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दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी रहे हैं गे

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी की एम्स के साइक्रेट्री विभाग में गे काउंसलिंग हो चुकी है। हालांकि डेढ़ साल पहले काउंसिलिंग के लिए आए दम्पति ने केवल तीन बार चिकित्सक से सलाह ली, इसके बाद उन्होंने...

दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी रहे हैं गे
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Apr 2015 10:16 PM
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दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी की एम्स के साइक्रेट्री विभाग में गे काउंसलिंग हो चुकी है। हालांकि डेढ़ साल पहले काउंसिलिंग के लिए आए दम्पति ने केवल तीन बार चिकित्सक से सलाह ली, इसके बाद उन्होंने एम्स आना जरूरी नहीं समझा। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि अधिकतर मामलों में समस्या यही होती हैं कि होमोसेक्सुअल लोग खुद को बीमार ही नहीं मानते हैं।

एम्स के न्यूरोसाइक्रेट्री विभाग के डॉ. नंदकुमार ने बताया कि दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी और दिल्ली की एक बड़ी साफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाली इंजीनियर को गे काउंसलिंग के लिए लाया गया था। हालांकि दोनों की मामलों में पत्नियों ने उन्हें चिकित्सक के पास लाने का बीड़ा उठाया था। डॉ. नंद कहते हैं कि ऐसे मामलों हालांकि दो से तीन प्रतिशत ही हैं बावजूद इसके अब काउंसलिंग के लिए आने वालें की संख्या बढ़ी है।

वर्ष 2012 में काउंसिलिंग के आए पुलिस अधिकारी को चार चरणों में बुलाया गया, जबकि पांचवे चरण के बाद दम्पति एम्स पहुंचे ही नहीं। जबकि साफ्टवेयर इंजीनियर के मामलें में बाद में पति पत्नी से सहमति से संबंध विच्छेद कर लिए। डॉ. नंद कहते हैं कि गे या होमोसेक्सुअलिटी को लेकर दो साल पहले अमेरिकन साइक्लॉजी ने इलाज के दिशा निर्देश में बदलाव किए, जिसके बाद गे या होमोसेक्सुअलिटी को मानसिक बीमारी से बाहर कर दिया गया। इसके बाद ऐसे लोगों में यह धारण बन गई कि उनका यह व्यवहार बेहद सामान्य है।

इहबास के मनोचकित्सक डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि निश्चित रूप से सेक्स अपनी व्यक्गित पसंद हैं, इसलिए ऐसे लोग अपने को मानसिक रोगी नहीं मानते। दो प्रतिशत मामलों में यदि यह चिकित्सक के पास पहुंच भी जाते हैं तो वह दो से तीन ओपीडी के बाद वापस लौट कर नहीं आते। मनोचिकित्सक हालांकि इसे व्यक्गित समस्या मानते हैं लेकिन समाज और परिवार की कुछ परिस्थितियां उनके विकल्प को मजबूत करती हैं।

बदलाव की अहम वजह
-पारिवारिक जीवन संतोषजनक न हो
-झगड़े की वजह व्यक्ति का गे होना होता है, जबकि मरीज झगडे़ को गे होने का आधार बताते हैं
-एक प्रतिशत मामलों में अकेले रहने वाले गे व्यवहार के करीब देखे गए
-चिकित्सकों के अनुसार गे मानसिकता जन्मजात नहीं है
-हालांकि इसे बदला भी नहीं जा सकता
नोट- होमोसेक्सुअलिटी को व्यवहार या काउंसलिंग से पहचाना जा सकता है

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