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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश मामले में केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नए सिरे से लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली किसान संगठनों की याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है। जस्टिस जेएस खेहर और एसए...

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश मामले में केंद्र को नोटिस
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 13 Apr 2015 11:21 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नए सिरे से लाए गए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली किसान संगठनों की याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है।

जस्टिस जेएस खेहर और एसए बोब्डे की पीठ ने केंद्र सरकार को इस याचिका पर नोटिस जारी किया। केंद्र को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है। याचिका में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि नए सिरे से अध्यादेश लाने के लिए ही राज्यसभा का सत्रावसान किया गया था। हालांकि, न्यायालय ने इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने का दिल्ली ग्रामीण समाज सहित याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह का आग्रह अस्वीकार कर दिया। उनका कहना था कि यदि इस पर शीघ्र सुनवाई नहीं की गई तो यह निर्थक हो जाएगी। लेकिन पीठ ने टिप्पणी की, निश्चित ही, यदि कानून आ गया तो यह निर्थक हो जाएगी। हमने नोटिस जारी किया है और जवाब देने का अवसर देने के बाद दूसरे पक्ष को भी सुनना होगा।

संगठनों ने 9 अप्रैल को दायर याचिका में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से लाए जाने को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा है कि यह कार्यपालिका के कानून बनाने के अधिकार को हड़पना है। दिल्ली ग्रामीण समाज के साथ ही भारतीय किसान यूनियन, ग्राम सेवा समिति और चोगामा विकास इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। याचिका में सरकार को भूमि अधिग्रहण ,पुनव्र्यवस्थापन एवं पुनर्वास (संशोधन) अध्यादेश, 2015 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के मामले में आगे कार्रवाई करने से रोकने का आग्रह किया गया है।

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