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वरिष्ठ भाकपा नेता एबी बर्धन का निधन

भाकपा के वरिष्ठ नेता एबी बर्धन का शनिवार को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। अस्पताल के डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि बर्धन ने देर शाम 8 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। 92 वर्षीय बर्धन...

वरिष्ठ भाकपा नेता एबी बर्धन का निधन
एजेंसीSat, 02 Jan 2016 10:15 PM
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भाकपा के वरिष्ठ नेता एबी बर्धन का शनिवार को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। अस्पताल के डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि बर्धन ने देर शाम 8 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली।

92 वर्षीय बर्धन को गत 7 दिसंबर को पक्षाघात (पैरालिसिस स्ट्रोक) होने पर जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से डाॠक्टरों की एक टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए थी।

वहीं, पार्टी के महासचिव डी. राजा ने बताया कि शुक्रवार को बर्धन का वेंटीलेटर हटा लिया गया था और वह सामान्य रूप से सांस ले रहे थे, लेकिन शनिवार को रक्तचाप का स्तर फिर गया। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ती गई।

वामपंथी राजनीति का प्रमुख चेहरा थे बर्धन
एबी बर्धन के नाम से लोकप्रिय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता का पूरा नाम अर्धेन्दु भूषण बर्धन था। सच्चे और समर्पित वामपंथी बर्धन लंबे समय तक सीपीआई के महासचिव रहे। बर्धन 1996 में ज्योति बसु द्वारा प्रधानमंत्री पद नहीं स्वीकार करने और 2008 में यूपीए से वामदलों का समर्थन वापस लेने को कम्युनिस्ट ताकतों की बड़ी भूल मानते थे।

ट्रेड यूनियन नेता
उनका जन्म 24 सितंबर 1924 को बारिसाल में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है। बाद में उनका परिवार महाराष्ट्र के नागपुर में आ गया। छात्र जीवन में 14 साल की उम्र में उन्होंने कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो कई बार पढ़ा और उनकी जिंदगी बदल गई। पहले सीपीआई की छात्र विंग एआईएसएफ और फिर ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर एटक में सक्रिय हुए। वे युवावस्था में अच्छे वक्ता थे। एक बार वामपंथ की ओर रुझान बढ़ा, तो ऐसा रंग चढ़ा कि ताउम्र निष्ठावान वामपंथी रहे। उनकी गिनती महाराष्ट्र के बड़े ट्रेड यूनियन नेताओं में होती थी। वे बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी और मराठी धाराप्रवाह बोलते थे।

सादगी भरा जीवन
बर्धन जीवनभर सादगी पसंद रहे। सीपीआई महासचिव रहते हुए भी ट्रेन में स्लीपर क्लास में सफर करते मिलते थे। बर्धन को मोहम्मद रफी के नगमे सुनना और फैज अहमद फैज की शायरी पसंद थी।

एक चुनाव जीता
बर्धन ने अपने जीवन में कई चुनाव लड़े, लेकिन उन्होंने सिर्फ 1957 में महाराष्ट्र विधान सभा का चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीता था। वे 1967 और 1980 में नागपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके। 90 के दशक में सीपीआई की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुए।

परिवार
एबी बर्धन की पत्नी पद्मा नागपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थीं। उनका निधन 1986 में हो गया था। उनकी बेटी अलका अहमदाबाद में डॉक्टर हैं, जबकि उनके दामाद का नाम समीर कुमार बरुआ है। समीर आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक हैं। बरुआ के दो बेटों में एक बिजनेस में है, जबकि दूसरा बार्कले यूनीवर्सिटी में अर्थशास्त्र के शोधार्थी हैं।

राजनीतिक सफर
1940 में 15 साल की उम्र में कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। 
1990 में सीपीआई के सहायक महासचिव बने। 
1996 में इंद्रजीत गुप्ता के बाद सीपीआई के महासचिव बने।
2012 तक एबी बर्धन सीपीआई के महासचिव रहे।
04 साल जेल में रहे।
30 साल से दिल्ली के सीपीआई दफ्तर अजय भवन में एक कमरे में रहते थे।

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