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बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

यौन हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें मांग की गई है कि बच्चों से रेप करने के दोषियों को नपुंसक बना दिया जाए। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट महिला...

बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 31 Dec 2015 06:29 PM
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यौन हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें मांग की गई है कि बच्चों से रेप करने के दोषियों को नपुंसक बना दिया जाए।

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट महिला अधिवक्ता एसोसिएशन ने अपनी महासचिव प्रेरणा कुमारी के जरिये दाखिल की है। याचिका में उन्होंने मांग की है कि कानून मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि बच्चों से रेप करने के दाषियों पर कारावास की सजा देने के साथ नपुंसक बनाने का अतिरिक्त दंड और लगाया जाए।

साथ ही महिला और बाल कल्याण मंत्रालय को यह दिशानिर्देश बनाने का आदेश दिया जाए जिसमें बच्चों को यौन दुर्व्यवहार से बचाने तथा बच्चियों से रेप करने वालों को बधिया बनाने के नियम हों। ताकि बच्चियों के संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण किया जा सके।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण का 2012 में लाया गया कानून नाबालिगों को यौन हमलों से बचाने में विफल रहा है। एसोसिएशन ने कहा कि इस कानून में दिए गए दंड का प्रावधान आईपीसी में दिए गए दंड के प्रावधानों से अलग नहीं है। याचिका में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला भी दिया गया है। कहा गया है कि  देश में हर 30 मिनट में एक बच्चे के साथ यौन दुर्व्यवहार हो रहा है। देश में बालकों से बलात्कार की घटनाओं में पांच वर्षों के अंदर 151 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के 4 जनवरी को खुलने के बाद सुनवाई होने की संभावना है। याचिका में आग्रह किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट 'पेरेंस पेट्रिया' क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर अभिभावक के रूप में बच्चों के मानवाधिकार का संरक्षण करे जिनके साथ आए दिन रेप, यौन दुर्व्यवहार हो रहा है और कई बार हत्या तक की जा रही है।

मद्रास हाईकोर्ट दे चुका है ऐसा आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने अक्तूबर माह में केंद्र सरकार से कहा कि था बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने पर विचार किया जाए ताकि नाबालिगों पर यौन हमला करने वालों में डर पैदा किया जा सके। यह आदेश देते हुए जस्टिस किरुबाकरण ने कहा था कि उनके सुझाव को बर्बर, प्रस्तरयुगीन, प्रतिगामी, अमानवीय माना जा सकता है लेकिन परंपरागत कानून इस कृत्य को रोकने में अपर्याप्त और नाकामयाब रहे हैं। उच्च अदालत ने कहा था कि वर्ष 2012  में जहां रेप की संख्या 38,172 थी वहीं 2014 में यह संख्या 89,423  यानी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई।

दिल्ली की जज ने भी दिया था सुझाव
मद्रास हाईकोर्ट से पूर्व दिल्ली की एक सेशन जज कामिनी लाऊ ने 2011 में रेपिस्टों को नपंुसक बनाने तथा इस पर देशव्यापी बहस करने का सुझाव दिया था।

कई देशों में है प्रावधान
हाईकोर्ट जज ने आदेश में कहा था कि रूस, पोलेंड, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, यूएस, न्यूजीलेंड और अर्जेंटिना में बच्चों से रेप करने वालों को नपुंसक बनाने का प्रावधान है।
 

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