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एक्सटेंशन में पतवाड़ी की जमीन को लेकर हाईकोर्ट के आदेश में नहीं देंगे दखल: सुप्रीम कोर्ट

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को एक्सटेंशन के गांव पतवाड़ी में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। विकास प्राधिकरण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के...

एक्सटेंशन में पतवाड़ी की जमीन को लेकर हाईकोर्ट के आदेश में नहीं देंगे दखल: सुप्रीम कोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 11 May 2016 08:36 PM
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ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को एक्सटेंशन के गांव पतवाड़ी में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। विकास प्राधिकरण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों आंशिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है। 

पतवाड़ी गांव में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के 589 हेक्टेयर भूमि का वर्ष 2008-09 में अधिग्रहण किया गया था। जमीन के अधिग्रहीत करने के कारण और उपयोग परिवर्तन करके बिल्डरों को आवंटन करने का विरोध करते हुए ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 19 जुलाई 2011 को आदेश सुनाया और अधिग्रहण को रद्द कर दिया। किसानों को यह जमीन लौटाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तू, जस्टिस एके सीकरी और अरुण मिश्रा 14 मई 2015 को फैसला सुनाया और हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। 

इस फैसले में तीन हिस्से हैं। पहला, जिन किसानों ने भूमि अधिग्रहण को रद्द करने  की मांग करते हुए ज्यादा देरी से याचिकाएं दायर की हैं, वे रद्द कर दी गई थीं। दूसरा, देवला, असदुल्लाहपुर और यूसुफपुर चक शाहबेरी गांव के किसानों की याचिकाएं स्वीकार कीं। इन गांवों की जिस जमीन का विकास नहीं हुआ है, उसका अधिग्रहण रद्द कर दिया था। तीसरा, विकसित हो चुकी भूमि से जुड़े किसानों को 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा, छह फीसदी की बजाय 10 फीसदी आबादी की भूमि दी जाएगी। 

आदेश के पैरा 45 में अधिग्रहण रद्द करने का जिक्र है। प्राधिकरण ने इसी पर पुनर्विचार याचिका दायर की। स्पष्टीकरण मांगा कि पूरे गांव का अधिग्रहण रद्द किया गया है या केवल याचिका कर्ताओं को आदेश के दायरे में माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी गोपाल गोड़ा और अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने मंगलवार को प्राधिकरण की यही पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। कहा कि पूर्व में दिया गया आदेश स्पष्ट है। वहीं बरकरार रहेगा। 

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