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क्या है पनामा पेपर लीक? जानिए अमिर कैसे छुपाते हैं अपना काला धन 

सारी दुनिया में तहलका मचा रहे पनामा पेपर्स लीक को लेकर अभी भी लोगों में अजीब-सी स्थिति है। जिन लोगों के नाम सामने आए हैं वे परेशान हैं तो आम जनता हैरान है कि आखिर यह मामला है क्या? कुछ देशों में तो...

क्या है पनामा पेपर लीक? जानिए अमिर कैसे छुपाते हैं अपना काला धन 
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Feb 2017 03:24 PM
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सारी दुनिया में तहलका मचा रहे पनामा पेपर्स लीक को लेकर अभी भी लोगों में अजीब-सी स्थिति है। जिन लोगों के नाम सामने आए हैं वे परेशान हैं तो आम जनता हैरान है कि आखिर यह मामला है क्या? कुछ देशों में तो इसने सरकारों को भी गिराने की स्थिति में ला दिया है तो कुछ जगह प्रधानमंत्रियों तक को इसने मुश्किल में डाला। आईसलैंड के पी.एम. ने तो अपने परिवार के बारे में खुलासे के बाद इस्तीफा ही दे दिया।

जानिए आई.सी.आई.जे. को

इंटरनैशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वैस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आई.सी.आई.जे.) नाम के एन.जी.ओ. ने पनामा पेपर्स के नाम से यह बड़ा ख़ुलासा किया है। पनामा (उत्तरी व दक्षिणी अमरीका को भूमार्ग से जोडऩे वाला देश) की एक कानूनी फर्म ‘मोसेक फोंसेका’ के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद अब यह खुलासा किया गया है। पत्रकारों के इस समूह ने करीब 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेजों का खुलासा क्रमवार किया है। इसमें 100 मीडिया ग्रुप्स के पत्रकारों को दिखाए गए दस्तावेज हैं।

370 जर्नलिस्टों ने की जांच

70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की है और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई। दुनिया भर के 190 खोजी पत्रकार इस समूह से जुड़े हैं। इसमें 76 देशों के 109 मीडिया संस्थान शामिल रहे। 1997 में आई.सी.आई.जे. की स्थापना हुई थी ताकि इस ग्लोबल दौर में पत्रकारिता किसी मुल्क की सीमा के भीतर सिमट कर न रह जाए। अपराध, भ्रष्टाचार अब एक देश की सीमा तक सीमित नहीं है। इसमें कई प्रकार के अनुभवी लोग काम करते हैं खासकर वे लोग जो सरकारी दस्तावेजों को पढऩे में दक्ष होते हैं। तथ्यों की जांच करने वाले और वकील भी होते हैं। यह डाटा 2013 में ही हासिल कर लिया गया था और इसके अध्ययन में इतना समय लगा। 

क्या है टैक्स हैवन कंट्री?

टैक्स हैवन उन देशों को कहा जाता है जो राजनीतिक और आर्थकि रूप से स्थिर माहौल में विदेश व्यक्तियों, निवेशकों या कारोबारियों को न के बराबर की टैक्स लायबिलिटी प्रदान करता है। इन मुल्कों में कमाई पर किसी तरह का को टैक्स नहीं लगता। टैक्स संबंधी इन्हीं लाभों को उठाने के लिए अमीर लोग इन मुल्कों में इन्वेस्टमेंट करते हैं। इतना ही नहीं इन मुल्कों में कारोबार या इन्वेस्टमेंट के लिए वहां के नागरिक होने या रहने की भी कोई जरूरी शर्त नहीं होती। 

पनामा को क्यों कहा जाता है टैक्स हैवन देश

पनामा की ही बात करें तो इसे इसलिए टैक्स हैवन देश कहा जाता है, क्योंकि यहां के टैक्स सिस्टम के तहत आने वाले टैरेट्रियल सिस्टम के मुताबिक, रेसिडेंट और नॉन रेसिडेंट कंपनियों से तभी टैक्स वसूला जाता है, जब इनकम देश में ही जेनरेट हुई हो। वैसे यहां कॉर्पोरेसन टैक्स सिस्टम भी है। इसी का फायदा भारत या अन्य मुल्कों के अमीर उठाते हैं और अपने मुल्क में कमाई गई रकम को टैक्स से बचाने के लिए पनामा में इन्वेस्ट करते हैं। फॉरेन इन्वेस्टमेंट पर पनामा में कोई टैक्स नहीं लगता। 

खुलासे में है क्या?

कागजात बताते हैं कि किस तरह से पैसे वाले लोग ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं हो। यानी ‘टैक्स चोरी का स्वर्ग’। जिन 143 राजनेताओं के बारे में इसमें जिक्र किया गया है उनमें से 12 तो अपने देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं। उनके परिवार व नजदीकी लोग इससे जुड़े हैं। रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खास दोस्त सर्जेई रोल्दुगिन का भी नाम इसमें आया है। इस पैसे को जिस रिजॉर्ट में लगाया गया था उसमें पुतिन की बेटी कैटरीना की शादी भी 2013 में हुई थी।

कितना डाटा हुआ है लीक

बहुत डाटा लीक हुआ है। अब तक का शायद सबसे बड़ा खुलासा। विकीलीक्स के 2010 के खुलासे से भी बड़ा। 2013 में एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक किए गए खुफिया दस्तावेजों से भी बड़ा खुलासा इसे कहा जा रहा है। 2.6 जी.बी. डाटा मोसेक फोंसेका के डाटाबेस से उड़ाया गया है।

क्या है मोसेक फोंसेका

पनामा की यह लॉ कंपनी आपके पैसे का मैनेजमैंट करने का काम करती है। यदि आपके पास बहुत-सा पैसा है और आप उसे सुरक्षित रूप से ठिकाने लगाना चाहते हैं तो यह आपकी मदद करती है। यह आपके नाम से फर्जी कंपनी खोलती है और कागजों का हिसाब रखती है। इस कंपनी द्वारा दुनिया भर में किए जा रहे कारोबार पर ही पनामा देश की अर्थव्यवस्था भी निर्भर करती है। 

खुलासे के बाद कंपनी परेशान है और जांच की मांग कर रही है कि कैसे उसकी सूचनाएं लीक हुईं। 42 देशों में सक्रिय इस कंपनी का कम से कम 600 लोगों का स्टाफ है। कुछ देशों में इसने अपनी फ्रैंचाइजी भी दी हुई है। जहां इसके ब्रांड नाम का प्रयोग किया जाता है। ‘टैक्स हैवन’ कहे जाने वाले देशों स्विट्जरलैंड, साइप्रस और ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, जर्सी आदि में यह सबसे ज्यादा जोरदार काम कर रही है।

धन का स्थानांतरण

पनामा पेपर्स की जांच कर रहे पत्रकारों ने पाया कि मोसेक फोंसेका कंपनी पूरी दुनिया में कम से कम दो लाख कंपनियों से जुड़ी हुई है जो इसके लिए एजैंट का काम करते हैं और पैसा एकत्र करते हैं। कंपनियों से सीधे सौदेबाजी करने की बजाय यह उन्हें सलाह देती है। कई स्थान पर यह दलाली भी करती है। तमाम कोशिशों के बाद भी यह साफ नहीं हो पाया है कि इन कंपनियों के छिपे हुए मालिक कौन हैं। ज्यादातर में लोगों ने किसी दूसरे को नामांकित किया हुआ है। इस मामले में सबसे ज्यादा कंपनियां चीन व हांगकांग की पाई गई हैं। पैसा जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित देश स्विट्जरलैंड व हांगकांग माने गए। इसके बाद पनामा का नंबर आता है।

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